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भारत में छह करोड़ घटी अल्पपोषितों की संख्या : संयुक्त राष्ट्र - संयुक्त राष्ट्र

भारत में पोषण की स्थिति में सुधार हुआ है. संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या 2017-19 में घटकर 14 प्रतिशत रह गई है, जोकि 2004 से 2006 में 21.7 प्रतिशत थी. विस्तार से पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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भारत में पोषण की स्थिति में सुधार
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Published : Jul 14, 2020, 7:33 PM IST

न्यूयॉर्क : भारत में पोषण की स्थिति में सुधार हुआ है. देश में पिछले एक दशक में अल्पपोषित लोगों की संख्या छह करोड़ तक घट गई है. संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2004 से 2006 तक भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या 21.7 प्रतिशत थी, जो 2017-19 में घटकर 14 प्रतिशत हो गई.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा सोमवार को जारी 'विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट' में बताया गया कि बच्चों में बौनेपन की समस्या कम हो गई है लेकिन देश के वयस्कों में मोटापा बढ़ रहा है.

भूख और कुपोषण को समाप्त करने की दिशा में होने वाली प्रगति पर नजर रखने वाली सबसे आधिकारिक वैश्विक अध्ययन माने जाने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या 2004-06 के 24.94 करोड़ से घटकर 2017-19 में 18.92 करोड़ रह गई. प्रतिशत के हिसाब से देखें तो भारत की कुल आबादी में अल्पपोषण की व्यापकता 2004-06 में 21.7 प्रतिशत से घटकर 2017-19 में 14 प्रतिशत रह गई.

रिपोर्ट में कहा गया कि पूर्वी एवं दक्षिण एशिया में अल्पपोषण में कमी दिखी है, जहां महाद्वीप की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- चीन और भारत का वर्चस्व है. बहुत अलग-अलग परिस्थितियों, इतिहास और प्रगति की दर के बावजूद दोनों देशों में भूख में आई कमी दीर्घकालिक आर्थिक विकास, घटती असमानता और मूलभूत सामानों एवं सेवाओं तक बेहतर हुई पहुंच का नतीजा है.

इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएएफडी), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.

बतौर रिपोर्ट, भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की समस्या भी 2012 में 47.8 प्रतिशत से घटकर 2019 में 34.7 प्रतिशत रह गई यानी 2012 में यह समस्या 6.2 करोड़ बच्चों में थी जो 2019 में घटकर 4.03 करोड़ रह गई.

भारत में वयस्कों में मोटापा बढ़ा
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर भारतीय वयस्क 2012 से 2016 के बीच मोटापे के शिकार हुए. मोटापे से ग्रस्त होने वाले वयस्कों की संख्या 2012 के 2.52 करोड़ से बढ़कर 2016 में 3.43 करोड़ हो गई यानि 3.1 प्रतिशत से बढ़कर 3.9 प्रतिशत हो गई.

वहीं, खून की कमी (एनीमिया) से प्रभावित प्रजनन आयु वर्ग (15-49) की महिलाओं की संख्या 2012 में 16.56 करोड़ से बढ़कर 2016 में 17.56 करोड़ हो गई. 0-5 माह के शिशु जो पूरी तरह स्तनपान करते हैं उनकी संख्या 2012 के 1.12 करोड़ से बढ़कर 2019 में 1.39 करोड़ हो गई.

रिपोर्ट के मुताबिकस, कोविड-19 वैश्विक खाद्य प्रणालियों की अपर्याप्तता और संवेदनशीलता को बढ़ा रहा है क्योंकि सभी गतिविधियां एवं प्रक्रियाएं खाद्य उत्पादन, वितरण एवं उपभोग को प्रभावित कर रही हैं. अनुमान है कि करीब तीन अरब लोग या उससे अधिक स्वस्थ आहार ले पाने में असमर्थ हैं.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक 2019 में दुनिया भर में करीब 69 करोड़ लोग अल्पपोषित (या भूखे) हैं. यह संख्या 2018 के मुकाबले एक करोड़ ज्यादा है.

न्यूयॉर्क : भारत में पोषण की स्थिति में सुधार हुआ है. देश में पिछले एक दशक में अल्पपोषित लोगों की संख्या छह करोड़ तक घट गई है. संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2004 से 2006 तक भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या 21.7 प्रतिशत थी, जो 2017-19 में घटकर 14 प्रतिशत हो गई.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा सोमवार को जारी 'विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट' में बताया गया कि बच्चों में बौनेपन की समस्या कम हो गई है लेकिन देश के वयस्कों में मोटापा बढ़ रहा है.

भूख और कुपोषण को समाप्त करने की दिशा में होने वाली प्रगति पर नजर रखने वाली सबसे आधिकारिक वैश्विक अध्ययन माने जाने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या 2004-06 के 24.94 करोड़ से घटकर 2017-19 में 18.92 करोड़ रह गई. प्रतिशत के हिसाब से देखें तो भारत की कुल आबादी में अल्पपोषण की व्यापकता 2004-06 में 21.7 प्रतिशत से घटकर 2017-19 में 14 प्रतिशत रह गई.

रिपोर्ट में कहा गया कि पूर्वी एवं दक्षिण एशिया में अल्पपोषण में कमी दिखी है, जहां महाद्वीप की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- चीन और भारत का वर्चस्व है. बहुत अलग-अलग परिस्थितियों, इतिहास और प्रगति की दर के बावजूद दोनों देशों में भूख में आई कमी दीर्घकालिक आर्थिक विकास, घटती असमानता और मूलभूत सामानों एवं सेवाओं तक बेहतर हुई पहुंच का नतीजा है.

इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएएफडी), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.

बतौर रिपोर्ट, भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की समस्या भी 2012 में 47.8 प्रतिशत से घटकर 2019 में 34.7 प्रतिशत रह गई यानी 2012 में यह समस्या 6.2 करोड़ बच्चों में थी जो 2019 में घटकर 4.03 करोड़ रह गई.

भारत में वयस्कों में मोटापा बढ़ा
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर भारतीय वयस्क 2012 से 2016 के बीच मोटापे के शिकार हुए. मोटापे से ग्रस्त होने वाले वयस्कों की संख्या 2012 के 2.52 करोड़ से बढ़कर 2016 में 3.43 करोड़ हो गई यानि 3.1 प्रतिशत से बढ़कर 3.9 प्रतिशत हो गई.

वहीं, खून की कमी (एनीमिया) से प्रभावित प्रजनन आयु वर्ग (15-49) की महिलाओं की संख्या 2012 में 16.56 करोड़ से बढ़कर 2016 में 17.56 करोड़ हो गई. 0-5 माह के शिशु जो पूरी तरह स्तनपान करते हैं उनकी संख्या 2012 के 1.12 करोड़ से बढ़कर 2019 में 1.39 करोड़ हो गई.

रिपोर्ट के मुताबिकस, कोविड-19 वैश्विक खाद्य प्रणालियों की अपर्याप्तता और संवेदनशीलता को बढ़ा रहा है क्योंकि सभी गतिविधियां एवं प्रक्रियाएं खाद्य उत्पादन, वितरण एवं उपभोग को प्रभावित कर रही हैं. अनुमान है कि करीब तीन अरब लोग या उससे अधिक स्वस्थ आहार ले पाने में असमर्थ हैं.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक 2019 में दुनिया भर में करीब 69 करोड़ लोग अल्पपोषित (या भूखे) हैं. यह संख्या 2018 के मुकाबले एक करोड़ ज्यादा है.

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