ETV Bharat / bharat

झोपड़ी में रह रहा था शहीद का परिवार, युवाओं ने रक्षाबंधन पर घर भेंट किया

देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूती देने वाले शहीदों के परिवार कभी-कभी गुमनामी के अंधेरे में कुछ इस कदर डूब जाते हैं कि न तो उनकी तरफ सरकार का ध्यान जाता है, न ही स्थानीय प्रशासन का. लेकिन इंदौर के युवाओं ने एक ऐसी मिशाल पेश की जो सभी को जानना चाहिए.....

युवाओं ने रक्षाबंधन पर शहीद की पत्नी से राखी बंधवाकर घर भेंट किया
author img

By

Published : Aug 17, 2019, 10:03 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 6:34 AM IST

इंदौर: जिले के पीरपीपलिया गांव में रहने वाले सेना के जवान मोहन लाल सुनेर 1992 में असम पोस्टिंग के दौरान शहीद हो गए थे. उनके निधन के बाद से ही उनका परिवार आर्थिक तंगी में जिंदगी का गुजर बसर कर रहा था. शहीद की पत्नी झोपड़ी में रहकर और मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालती थी. लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर क्षेत्र के युवाओं ने देशभक्ति की मिशाल पेश करते हुए 'वन चेक-वन साइन फॉर वन शहीद' नाम से एक अभियान चलाया, जिसमें 11 लाख रूपए जमा हो गए और इन पैसों से शहीद के परिवार के लिए घर बनवाया और रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार पर शहीद की पत्नी से राखी बंधवाकर उपहार स्वरूप घर भेंट किया.

शहीद के परिवार की बदहाली का पता क्षेत्र के युवाओं को चला तो उन्होंने शहीद परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए 'वन चेक-वन साइन फॉर वन शहीद' अभियान चलाया. जिससे बीते एक साल में 11 लाख रुपए जमा हो गए. ग्रामीणों के अनुसार, जो काम शासन-प्रशासन को करना चाहिए था, वह स्थानीय लोगों की पहल पर किया गया है. अभियान के संयोजक विशाल राठी ने बताया कि सालभर पहले, जब शहीद के गांव गए तो उनका मकान देखकर काफी दुख: हुआ.

युवाओं ने घर भेंट किया

पढ़ें- देश का 'हीरो' अब्दुल हमीद, जिसकी एंटी टैंक गन के आगे हार गये थे पाकिस्तानी

इसी बात को लेकर उन्होंने इस अभियान को शुरू किया. मोहन सिंह सुनेर जब शहीद हुए थे, उस वक्त उनका तीन वर्ष का एक बेटा था और पत्नी राजू बाई चार माह गर्भ से थी. जिसके बाद उन्होंने एक और बेटे को जन्म दिया. दोनों बच्चों को झोपड़ी में रहकर मेहनत-मजदूरी कर भरण-पोषण करने लगी.

युवाओं ने 11 लाख रूपये जोड़कर घर बनवाया

अभियान के संयोजक राठी के अनुसार शहीद के परिवार के लिए दस लाख रुपए में घर तैयार हो गया, इसके साथ ही एक लाख रुपए मोहन सिंह की प्रतिमा के लिए रखे हैं. प्रतिमा भी लगभग तैयार है इसे पीर पीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाएंगे, इसके साथ ही जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की है, उसका नाम भी उनके नाम पर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

इंदौर: जिले के पीरपीपलिया गांव में रहने वाले सेना के जवान मोहन लाल सुनेर 1992 में असम पोस्टिंग के दौरान शहीद हो गए थे. उनके निधन के बाद से ही उनका परिवार आर्थिक तंगी में जिंदगी का गुजर बसर कर रहा था. शहीद की पत्नी झोपड़ी में रहकर और मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालती थी. लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर क्षेत्र के युवाओं ने देशभक्ति की मिशाल पेश करते हुए 'वन चेक-वन साइन फॉर वन शहीद' नाम से एक अभियान चलाया, जिसमें 11 लाख रूपए जमा हो गए और इन पैसों से शहीद के परिवार के लिए घर बनवाया और रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार पर शहीद की पत्नी से राखी बंधवाकर उपहार स्वरूप घर भेंट किया.

शहीद के परिवार की बदहाली का पता क्षेत्र के युवाओं को चला तो उन्होंने शहीद परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए 'वन चेक-वन साइन फॉर वन शहीद' अभियान चलाया. जिससे बीते एक साल में 11 लाख रुपए जमा हो गए. ग्रामीणों के अनुसार, जो काम शासन-प्रशासन को करना चाहिए था, वह स्थानीय लोगों की पहल पर किया गया है. अभियान के संयोजक विशाल राठी ने बताया कि सालभर पहले, जब शहीद के गांव गए तो उनका मकान देखकर काफी दुख: हुआ.

युवाओं ने घर भेंट किया

पढ़ें- देश का 'हीरो' अब्दुल हमीद, जिसकी एंटी टैंक गन के आगे हार गये थे पाकिस्तानी

इसी बात को लेकर उन्होंने इस अभियान को शुरू किया. मोहन सिंह सुनेर जब शहीद हुए थे, उस वक्त उनका तीन वर्ष का एक बेटा था और पत्नी राजू बाई चार माह गर्भ से थी. जिसके बाद उन्होंने एक और बेटे को जन्म दिया. दोनों बच्चों को झोपड़ी में रहकर मेहनत-मजदूरी कर भरण-पोषण करने लगी.

युवाओं ने 11 लाख रूपये जोड़कर घर बनवाया

अभियान के संयोजक राठी के अनुसार शहीद के परिवार के लिए दस लाख रुपए में घर तैयार हो गया, इसके साथ ही एक लाख रुपए मोहन सिंह की प्रतिमा के लिए रखे हैं. प्रतिमा भी लगभग तैयार है इसे पीर पीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाएंगे, इसके साथ ही जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की है, उसका नाम भी उनके नाम पर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

Intro:इंदौर, सेना के जवान तो मातृभूमि के लिए अपनी जान भी निछावर कर देते हैं पर कई बार मातृभूमि पर जान न्योछावर कर देने वाले शहीदों का परिवार गुमनामी और लाचारी की जिंदगी जीते है इंदौर में एक ऐसा ही परिवार को गांव के युवाओं ने रक्षाबंधन और 15 अगस्त के शुभ संयोग के बीच नए घर की सौगात देकर खुशियां लौटाने की अनूठी पहल की हैं
Body:दरअसल बेटमा के पिरपीपलिया ग्राम निवासी और सीमा सुरक्षा बल के जवान मोहन लाल सुनेर 1995 में बीएसएफ में थे असम में पोस्टिंग के दौरान वे 31 दिसंबर 1992 में शहीद हो गए थे उनकी शहादत के बाद शहीद का परिवार मजबूरी और गरीबी के कारण झोपड़ी में रहकर गुजारा कर रहा था, शहीद की पत्नी भी मजदूरी कर के अपना पेट पाल रही थी हाल ही में जब क्षेत्र के युवाओं को पता चला तो उन्होंने शहीद परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए चेक वन साइन वन नामक अभियान चलाया बीते 1 साल में देखते ही देखते 11 लाख रुपए जमा हो गए इस राशि से गांव के सभी युवाओं ने शहीद की पत्नी के लिए सुंदर मकान तैयार कराया और पिछले वर्ष की भांति युवाओ ने इस वर्ष भी शहीद की पत्नी से राखी बंधवाकर उन्हें रक्षाबंधन के उपहार स्वरूप नये भवन की चाबी उन्हें सौंप दी ग्रामीणों के मुताबिक जो काम शासन-प्रशासन को करना चाहिए था वे स्थानीय लोगों की पहल पर किया गया है अभियान के सयोजक विशाल राठी ने बताया कि 1 वर्ष पूर्व जब शहीद के गांव गए तो उनका मकान देखकर काफी दुख हुआ कि जो व्यक्ति देश हित में शहीद हुआ है उसका परिवार आज टूटी फूटी झोपड़ी में रह रहा है उस टीस को मन में लेकर एक अभियान छेड़ा गया जिसमें शहीद के परिजनों को पक्का मकान बनाने के लिए लोगों से सहयोग मांगा गया और लोगों ने देखते ही देखते दिल खोलकर 11 लाख रुपए दान में दे दिए जिससे शहीद के परिजनों के लिए सर्व सुविधा युक्त पक्के मकान का निर्माण किया गया ओर शाहिद की पत्नी को रक्षा बंधन पर उस मकान में ग्रह प्रवेश कराया गया। मोहन सिंह सुनेर जब शहीद हुए थे, उस वक्त उनका तीन वर्ष का एक बेटा था और पत्नी राजू बाई चार माह की गर्भवती थीं। बाद में दूसरे बेटे का जन्म हुआ पति की शहादत के बाद दोनों बच्चों को पालने के लिए पत्नी ने मेहनत-मजदूरी की झोपड़ी में ही परिवार गुजारा कर रहा था। टूटी-फूटी छत पर चद्दर। बांस-बल्लियों के सहारे जैसे-तैसे खड़ा हुआ ये विडंबना ही कही जाएगी कि परिवार को आज तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया

वीओ -स्कूल का नामकरण भी करेंगे राठी के मुताबिक शहीद के परिवार के लिए दस लाख रुपए में घर तैयार हो गया इसके साथ ही एक लाख रुपए मोहन सिंह की प्रतिमा के लिए रखे हैं। प्रतिमा भी लगभग तैयार है इसे पीर पीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाएंगे इसके साथ ही जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की है, उसका नाम भी उनके नाम पर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं अभियान से जुड़े सोहन लाल परमार ने बताया की अभियान मेंबेटमा ,सांवेर,गौतमपुरा ,पीथमपुर ,सागौरकनाडिया ,बड़नगर ,हातोद ,आगरा तथा महू क्षेत्र के लोगो ने सहयोग कियाConclusion:बाइट विशाल राठी संयोजक वन चेक वन साइन अभियान
Last Updated : Sep 27, 2019, 6:34 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.