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तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बटुकम्मा का हुआ आगाज

संसार में फूलों से मूर्तियों की पूजा होती है, लेकिन तलेगांना एक ऐसा राज्य है जहां फूलों से फूलों की पूजा होती है.  बटुकम्मा फूलों का त्यौहार है, इस उत्सव के दौरान नौ दिनों तक रोज शाम को महिलाएं और विशेष रुप से बालिकाएं ,अपनी बटुकम्मा के साथ इलाके के खुले क्षेत्रों में इकट्ठा होती है और बटुकम्मा के चारों ओर एक गोले  में लोक गीत गाती हैं.

तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बतुकम्मा का हुआ आगाज
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Published : Sep 28, 2019, 2:15 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 8:36 AM IST

हैदराबाद: तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बतुकम्मा का आगाज हुआ है. बटुकम्मा पर्व तेलंगाना में महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक क्षेत्रीय पर्व है. बता दें कि येंगली बतुकम्मा से उत्सव आरंभ होगा और छह अक्टूबर को सद्दुला बटुकम्मा के साथ समाप्त होगा. यह पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है.

तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बटुकम्मा का हुआ आगाज
bathukamma festival start from today
तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बतुकम्मा का हुआ आगाज

बटुकम्मा के पहले दिन चावल के आटे और तिल से बने भोजन के साथ मनाया जाता है. संसार में फूलों से मूर्तियों की पूजा होती है, लेकिन तलेगांना एक ऐसा राज्य है जहां फूलों से फूलों की पूजा होती है.

bathukamma festival start from today
तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बतुकम्मा का हुआ आगाज

बतुकम्मा फूलों का त्यौहार है, इस उत्सव के दौरान नौ दिनों तक महिलाएं शाम को और विशेष रुप से बालिकाएं , अपनी बतुकम्मा के साथ इलाके के खुले क्षेत्रों में इकट्ठा होती है और बटुकम्मा के चारों ओर एक गोले में लोक गीत गाते हुए, ताली बजाकर चारों और घुमती हैं.

bathukamma festival start from today
तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बतुकम्मा का हुआ आगाज

बटुकम्मा को फूलों से सात परतों से गोपुरम मंदिर की आकृति बनाई जाती है. तेलुगु में बटुकम्मा का मतलब होता है, देवी मां जिन्दा है.

हैदराबाद: तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बतुकम्मा का आगाज हुआ है. बटुकम्मा पर्व तेलंगाना में महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक क्षेत्रीय पर्व है. बता दें कि येंगली बतुकम्मा से उत्सव आरंभ होगा और छह अक्टूबर को सद्दुला बटुकम्मा के साथ समाप्त होगा. यह पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है.

तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बटुकम्मा का हुआ आगाज
bathukamma festival start from today
तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बतुकम्मा का हुआ आगाज

बटुकम्मा के पहले दिन चावल के आटे और तिल से बने भोजन के साथ मनाया जाता है. संसार में फूलों से मूर्तियों की पूजा होती है, लेकिन तलेगांना एक ऐसा राज्य है जहां फूलों से फूलों की पूजा होती है.

bathukamma festival start from today
तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बतुकम्मा का हुआ आगाज

बतुकम्मा फूलों का त्यौहार है, इस उत्सव के दौरान नौ दिनों तक महिलाएं शाम को और विशेष रुप से बालिकाएं , अपनी बतुकम्मा के साथ इलाके के खुले क्षेत्रों में इकट्ठा होती है और बटुकम्मा के चारों ओर एक गोले में लोक गीत गाते हुए, ताली बजाकर चारों और घुमती हैं.

bathukamma festival start from today
तेलंगाना में फूलों का त्यौहार बतुकम्मा का हुआ आगाज

बटुकम्मा को फूलों से सात परतों से गोपुरम मंदिर की आकृति बनाई जाती है. तेलुगु में बटुकम्मा का मतलब होता है, देवी मां जिन्दा है.

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    THE GREAT FLORAL FESTIVAL STARTS IN TELANGANA FROM TODAY



Bathukamma, the floral festival of Telangana, is all set to commence on a vibrant note on Saturday. The nine-day festival begins on Mahalaya Amavasya, also known as Pethra Amavasya, with Engili Poola Bathukamma.

The first day of Bathukamma is celebrated with the naivedyam prepared of sesame seeds with rice flour.

The festival ends with the Saddula Bathukamma also known as Durgashtami with the women dressed in traditional attire forming a circle and playing around the Bathukamma, a stack of seven concentric layers in a conical mound made of different flowers, and dance before immersing it in a water body. The day offers a fiesta to food lovers with five varieties - curd rice, tamarind rice, lemon rice, coconut rice and sesame rice.

    During the days, women clean their courtyard. The cow dung is then mixed with water and spread throughout as the ground-base. Then it is further decorated with a rangoli which is made of rice flour.

The men collect the flowers of vibrant colours and types for the preparations. There flowers are mainly; Celosia, Senna, Marigold, Lotus, Cucurbita, Cucumis etc. The preparations and decorating the rangoli and other things is folk art and generally, the preparations begin from afternoon.

    


Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 8:36 AM IST
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