सोलन: आज शनिवार को पर्वतारोही बलजीत कौर अपने गृह जिला सोलन पहुंची. पर्वतारोही बलजीत कौर नेपाल स्थित दुनिया की सबसे खतरनाक चोटियों में से एक अन्नपूर्णा चोटी को फतेह कर वापस लौटी हैं. जब वे हादसे का शिकार हुई थीं तो उनके निधन की अफवाह भी पूरे देश और प्रदेश में फैल चुकी थी, लेकिन पहाड़ों की बेटी के हौसले के आगे मौत ने भी अपने घुटने टेक दिए. आज हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन में पहुंचने पर बलजीत कौर का विभिन्न संस्थाओं द्वारा उनका स्वागत किया गया और उन्हें सम्मानित किया गया. इस दौरान पत्रकारों को संबोधित करते हुए बलजीत कौर ने कहा कि मैं पहाड़ों की बेटी हूं और पहाड़ों को तो नहीं छोड़ सकती, लेकिन अब कुछ समय वह अपनी माता पिता के साथ वो समय बिताना चाहती है, वे तीन-चार महीनों तक अपने परिवार को समय देगी, क्योंकि करीब 6 से 7 साल हो गए हैं वह अपने परिवार के साथ अच्छे से समय व्यतीत नहीं कर पाई हैं.
'मिस मैनेजमेंट से हुआ हादसा': बलजीत कौर ने कहा कि जो भी हादसा वहां पर पेश आया वह मैनेजमेंट की गलती थी यदि सही शेरपा उनके साथ भेजा जाता तो यह हादसा ना होता, क्योंकि जो उनके लिए एजेंसी ने शेरपा भेजा था वह किसी और के साथ अधिक पैसों के लिए चला गया. बलजीत ने कहा कि वह इसमें किसी को भी दोषी नहीं ठहराना चाहती हैं, क्योंकि पैसों के लिए उस शेरपा ने किसी और क्लाइंट को चुना होगा, लेकिन जो शेरपा उनके साथ दोबारा कंपनी ने भेजा था वह भी उन्हे बीच रास्ते में छोड़ कर चला गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पहाड़ों से मिली चुनौती को स्वीकार कर अन्नपूर्णा को फतह कर वे वापस लौट आई हैं.
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'आ रहे थे अजीब सपने': बलजीत कौर ने बताया कि जब वो अन्नपूर्णा क्लाइंब कर रही थी तो कई विचार उनके मन में चल रहे थे और उन्हें अजीब-अजीब सपने भी आ रहे थे, लेकिन उन्होंने अपना पूरा ध्यान अन्नपूर्णा को फतह करने में लगाया और जब अन्नपूर्णा फतह करने के बाद बेस कैंप 4 के लिए आने लगी तो उस दौरान उनके दो शेरपा उनके साथ आ रहे थे वह भी उन्हें छोड़कर भाग गए, लेकिन फिर उन्होंने सेटेलाइट से मदद मांगी और सही सलामत हुए आज अपने घर वापस आई हैं.
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'पहाड़ों ने चलना और गिरना सिखाया है': बलजीत कौर का मानना है कि आगे से किसी भी पर्वतारोही के साथ इस तरह का हादसा ना हो उसको लेकर मैनेजमेंट को ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें उन्हें पहाड़ों ने चलना सिखाया है गिरना सिखाया है और उठना सिखाया है वे पहाड़ों को छोड़ नहीं सकती, लेकिन थोड़ा इंतजार करने के बाद वे पहाड़ों को फतह करने के लिए फिर निकलेगी. बलजीत से जब पूछा गया कि यदि प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी नौकरी देने की बात की जा रही है तो वह खुद मुख्यमंत्री और मंत्रियों से इसको लेकर मिलेंगे, ताकि उनको भी एक अलग पहचान मिल सके.
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