नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो केंद्रीय संगठन (Central organization) 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव (UP assembly elections) हर संभव कोशिश करेगा कि योगी आदित्यनाथ को संगठन का पूरा सहयोग (Organization's full support to Yogi Adityanath) मिले. लखनऊ से वायरल पीएम मोदी व सीएम योगी की तस्वीर उसी की एक बानगी है.
पिछले एक साल में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर उठापटक की सियासत चली. उससे जनता के बीच पार्टी संगठन में बिखराव का संदेश चला गया और इसका फायदा विपक्षी पार्टियां उठाने की फिराक में हैं. वहीं प्रधानमंत्री ने योगी आदित्यनाथ के कंधे पर हाथ रखकर तस्वीर जारी की जिसने सभी अटकलों पर विराम लगा दिया.
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो संगठन अब योगी पर केंद्रित होकर प्रचार कार्यक्रमों की रूपरेखा तय कर रहा है. जिसमें यूपी में पूरा दारोमदार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दिखाया जाएगा. 2017 का चुनाव भले ही केंद्र की योजनाओं पर लड़ा गया लेकिन 2022 का चुनाव राज्य की उपलब्धियों पर ही लड़ा जाना है. क्योंकि केंद्र की योजनाओं का झांसा देकर जनता को दोबारा भरमाया नहीं जा सकता.
ऐसे में संगठन पूरी तरह से यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि योगी आदित्यनाथ के पीछे प्रदेश पूरा संगठन खड़ा है. सूत्रों की मानें तो प्रदेश और केंद्र के नेताओं को चुनाव प्रचार में राज्य की उपलब्धियां और योगी आदित्यनाथ के नाम का इस्तेमाल बार-बार करने के निर्देश दिए गए हैं.
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र नाथ भट्ट (Political analyst Virendranath Bhatt) ने ईटीवी भारत से कहा कि यूपी का चुनाव नरेंद्र मोदी या योगी आदित्यनाथ के नाम पर लड़ा जाएगा यह अभी फाइनल करना मुश्किल है. क्योंकि बीजेपी की सेंट्रल लीडरशिप (BJP Central Leadership) पूरे दमखम के साथ योगी की सहायता में उतरेगी.
प्रधानमंत्री और योगी आदित्यनाथ की जो फोटो वायरल हुई है उसमें यह कहना जरूरी होगा कि इस साल जनवरी में जब अरविंद शर्मा को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद उत्तर प्रदेश में भेजा गया तो प्रदेश में अटकलों का बाजार गर्म हो गया. जिसमें यह कहा गया कि अरविंद शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा या उनको भी महत्वपूर्ण पद दिया जाएगा.
हालांकि तमाम अटकलों पर पार्टी ने विराम लगा दिया और अब यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि योगी के कंधे पर ही चुनाव का सारा दारोमदार है. इसके बाद अप्रैल में पंचायत चुनाव आया और उस समय कोरोना की दूसरी लहर चल रही थी. जिसमें बीजेपी को हार मिली. कोरोना काल में यूपी से कोई अच्छी तस्वीर सामने नहीं आई.
ऐसे में अरविंद शर्मा लखनऊ आए और यह बयान दिया कि केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा कि अगले चुनाव में कौन चेहरा होगा?इन सब बातों से जनता के बीच एक संशय की स्थिति पनपी. जिसे अब दूर करने की कोशिशें जारी हैं. प्रधानमंत्री ने फोटो के माध्यम से यही संशय दूर किया.
राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट का कहना है कि मई के अंतिम सप्ताह से ही भारतीय जनता पार्टी डैमेज कंट्रोल करने का काम कर रही है. अमित शाह ने यूपी दौरा तो यह साफ कह दिया कि योगी ही अगले चुनाव में बीजेपी का चेहरा होंगे. उससे पहले पिछले साल जुलाई में केशव मौर्या ने यह बयान दिया था कि अगला नेतृत्व केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा. हालांकि बाद में वे बयान से पलट गए.
अब केंद्रीय नेतृत्व कोशिश करेगा कि वह चुनाव प्रचार के दौरान भी यह संदेश दे कि योगी ही प्रदेश बीजेपी का चेहरा हैं. पार्टी सत्ता में आती है तो 5 साल योगी के ही होंगे. प्रधानमंत्री का यह फोटो कहीं ना कहीं सोशल इंजीनियरिंग को भी साधता हुआ नजर आया क्योंकि चर्चा रही कि ब्राह्मण समाज भाजपा से नाराज है. यह भी चर्चा रही कि भाजपा, दलित और पिछड़ों के वोट से 2017 में जीतकर सत्ता में पहुंची. हालांकि अब पार्टी सबको साधने की राह पर आगे बढ़ रही है.
हालांकि सोशल इंजीनियरिंग से अलग हटकर देखा जाए तो चुनाव वोटों के ध्रुवीकरण पर ही लड़ा जाएगा. तब यह सोशल इंजीनियरिंग काम नहीं आएगी. मुद्दे चाहे जो हों लेकिन 2017 में भी विधानसभा चुनाव शमशान बनाम कब्रिस्तान के नाम पर लड़ा गया.
इस बार भी इसे तालिबान व बोको हरम का नाम देने की कोशिश की जा रही है. कहा जा सकता है कि अफवाहों और अटकलों के बीच जब वोटों का ध्रुवीकरण होगा तो यूपी चुनाव की अलग ही तस्वीर उभरकर आएगी. तब चुनाव प्रचार में अगड़ी-पिछड़ी, दलित-सवर्ण सहित महंगाई और विकास का मुद्दा पीछे छूट सकता है.