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हिमाचल में स्क्रब टायफस से मरीज की मौत, अब तक 56 पॉजिटिव मामले - कैसे फैलता है स्क्रब टायफस

हिमाचल में स्क्रब टायफस से मौत का मामला सामने आया (man dies of scrub typhus in himachal) है. सोलन के एक मरीज की आईजीएमसी में इलाज के दौरान मौत हुई है. हिमाचल में स्क्रब टायफस के मामले हर साल सामने (Scrub Typhus in Himachal) आते हैं.

हिमाचल में स्क्रब टायफस से मरीज की मौत
हिमाचल में स्क्रब टायफस से मरीज की मौत
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Published : Sep 8, 2022, 3:36 PM IST

शिमला : हिमाचल में स्क्रब टायफस से एक मरीज की मौत हो (man dies of scrub typhus in himachal) गई है. मरीज सोलन का रहने वाला था और आईजीएमसी के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती था. इस साल हिमाचल में स्क्रब टायफस से मौत का ये पहला मामला है. गौरतलब है कि हर साल हिमाचल में स्क्रब टायफस (Scrub Typhus in Himachal) के कई मामले सामने आते हैं.

56 पॉजिटिव मामले- इस साल अब तक स्क्रब टायफस के 600 संदिग्धों का टेस्ट हुआ जिसमें से 56 मामले पॉजिटिव (Scrub Typhus Cases in Himachal) मिले हैं. लेकिन अब हिमाचल में एक बार फिर स्क्रब टायफस जानलेवा हो गया है. सोलन के रहने वाले सुभाष को तीन दिन पहले आईजीएमसी में भर्ती कराया गया था. स्क्रब टायफस की पुष्टि होने के बाद मरीज को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था, जहां बुधवार को 55 साल के मरीज की मौत हो गई. हिमाचल में स्क्रब टायफस से इस साल मौत का ये पहला मामला सामने आया है आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने मौत की पुष्टि की है.

कैसे फैलता है स्क्रब टायफस- ये बीमारी ज्यादातर बरसात के मौसम में फैलती है. स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है. जो खेतों, झाडियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है, जिससे मरीज को तेज बुखार आता है.

स्क्रब टायफस के लक्षण- स्क्रब टायफस के लक्षण किसी आम बुखार की तरह ही (Scrub Typhus symptoms) होते हैं इसलिये एक्सपर्ट की सलाह है कि बरसात के सीजन में अगर कहीं खेत, घास या झाड़ियों के संपर्क में आए हों तो इसकी जानकारी भी डॉक्टर को दें. ताकि स्क्रब टायफस को ध्यान में रखते हुए इलाज (Signs and Symptoms of Scrub Typhus) मिले.

  • तेज बुखार
  • सिरदर्द
  • सर्दी लगना
  • शरीर में दर्द, ऐंठन, जकड़न
  • शरीर में दाने या चकत्ते होना

डॉक्टर्स की सलाह- इस बीमारी से बचने के लिए डॉक्टर बरसात के इन दिनों में झाडियों या घास में ना जाने की सलाह देते हैं. खेत और बाग बगीचों में इन दिनों घास काटने वाले किसान-बागवानों को सावधानी बरतनी चाहिए. क्योंकि सबसे ज्यादा मरीज किसान, बागवान या ऐसे लोग होते हैं जो इस सीजन में घास या झाड़ियों के आस-पास काम करते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक स्क्रब टायफस को बिल्कुल भी हल्के में ना लें क्योंकि ये जानलेवा साबित हो सकता है. डॉक्टर्स के मुताबिक कई बार मामूली बुखार या वायरल समझने से कुछ दिनों के बाद मरीज की हालत ज्यादा खराब हो जाती है. और ऐसे ही मामलों में मरीज की मौत होती है.

ये सावधानियां बरतें- इन दिनों स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी जाती है. डॉक्टर्स ने लोगों को निर्देश दिए हैं कि अगर घास काटने के लिए जंगल या खेत बगीचों में जाने वाले लोगों में स्क्रब टायफस के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. डॉक्टर को घास या झाड़ियों के संपर्क में आने वाली बात भी बताएं ताकि डॉक्टर स्क्रब टायफस को ध्यान में रखते हुए इलाज करे. इसके अलावा घर और आस पास सफाई रखें, जरूरत पड़े तो कीटनाशक का छिड़काव करें.

स्क्रब टायफस के कम हो रहे टेस्ट- कोरोना महामारी के चलते दो साल से स्क्रब टायफस के टेस्ट कम हो रहे हैं. इसका कारण ये है कि जिस लैब में कोरोना के टेस्ट होते हैं, उसी लैब में स्क्रब टायफस के टेस्ट होते हैं. कोरोना के कारण स्क्रब टायफस की सैंपलिंग कम हुई है. स्क्रब टायफस के लक्षण होने पर डॉक्टर हमेशा टेस्ट की सलाह देते हैं, इसलिये एक्सपर्ट की सलाह है कि खासकर बरसात के सीजन को देखते हुए स्क्रब टायफस की सैंलपिंग बढ़ानी चाहिए.

शिमला : हिमाचल में स्क्रब टायफस से एक मरीज की मौत हो (man dies of scrub typhus in himachal) गई है. मरीज सोलन का रहने वाला था और आईजीएमसी के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती था. इस साल हिमाचल में स्क्रब टायफस से मौत का ये पहला मामला है. गौरतलब है कि हर साल हिमाचल में स्क्रब टायफस (Scrub Typhus in Himachal) के कई मामले सामने आते हैं.

56 पॉजिटिव मामले- इस साल अब तक स्क्रब टायफस के 600 संदिग्धों का टेस्ट हुआ जिसमें से 56 मामले पॉजिटिव (Scrub Typhus Cases in Himachal) मिले हैं. लेकिन अब हिमाचल में एक बार फिर स्क्रब टायफस जानलेवा हो गया है. सोलन के रहने वाले सुभाष को तीन दिन पहले आईजीएमसी में भर्ती कराया गया था. स्क्रब टायफस की पुष्टि होने के बाद मरीज को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था, जहां बुधवार को 55 साल के मरीज की मौत हो गई. हिमाचल में स्क्रब टायफस से इस साल मौत का ये पहला मामला सामने आया है आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने मौत की पुष्टि की है.

कैसे फैलता है स्क्रब टायफस- ये बीमारी ज्यादातर बरसात के मौसम में फैलती है. स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है. जो खेतों, झाडियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है, जिससे मरीज को तेज बुखार आता है.

स्क्रब टायफस के लक्षण- स्क्रब टायफस के लक्षण किसी आम बुखार की तरह ही (Scrub Typhus symptoms) होते हैं इसलिये एक्सपर्ट की सलाह है कि बरसात के सीजन में अगर कहीं खेत, घास या झाड़ियों के संपर्क में आए हों तो इसकी जानकारी भी डॉक्टर को दें. ताकि स्क्रब टायफस को ध्यान में रखते हुए इलाज (Signs and Symptoms of Scrub Typhus) मिले.

  • तेज बुखार
  • सिरदर्द
  • सर्दी लगना
  • शरीर में दर्द, ऐंठन, जकड़न
  • शरीर में दाने या चकत्ते होना

डॉक्टर्स की सलाह- इस बीमारी से बचने के लिए डॉक्टर बरसात के इन दिनों में झाडियों या घास में ना जाने की सलाह देते हैं. खेत और बाग बगीचों में इन दिनों घास काटने वाले किसान-बागवानों को सावधानी बरतनी चाहिए. क्योंकि सबसे ज्यादा मरीज किसान, बागवान या ऐसे लोग होते हैं जो इस सीजन में घास या झाड़ियों के आस-पास काम करते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक स्क्रब टायफस को बिल्कुल भी हल्के में ना लें क्योंकि ये जानलेवा साबित हो सकता है. डॉक्टर्स के मुताबिक कई बार मामूली बुखार या वायरल समझने से कुछ दिनों के बाद मरीज की हालत ज्यादा खराब हो जाती है. और ऐसे ही मामलों में मरीज की मौत होती है.

ये सावधानियां बरतें- इन दिनों स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी जाती है. डॉक्टर्स ने लोगों को निर्देश दिए हैं कि अगर घास काटने के लिए जंगल या खेत बगीचों में जाने वाले लोगों में स्क्रब टायफस के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. डॉक्टर को घास या झाड़ियों के संपर्क में आने वाली बात भी बताएं ताकि डॉक्टर स्क्रब टायफस को ध्यान में रखते हुए इलाज करे. इसके अलावा घर और आस पास सफाई रखें, जरूरत पड़े तो कीटनाशक का छिड़काव करें.

स्क्रब टायफस के कम हो रहे टेस्ट- कोरोना महामारी के चलते दो साल से स्क्रब टायफस के टेस्ट कम हो रहे हैं. इसका कारण ये है कि जिस लैब में कोरोना के टेस्ट होते हैं, उसी लैब में स्क्रब टायफस के टेस्ट होते हैं. कोरोना के कारण स्क्रब टायफस की सैंपलिंग कम हुई है. स्क्रब टायफस के लक्षण होने पर डॉक्टर हमेशा टेस्ट की सलाह देते हैं, इसलिये एक्सपर्ट की सलाह है कि खासकर बरसात के सीजन को देखते हुए स्क्रब टायफस की सैंलपिंग बढ़ानी चाहिए.

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