किस्सा हरियाणे का: 650 साल से राजा तुगलक और गुजरी के मोहब्बत को बयां कर रहा है ये किला
🎬 Watch Now: Feature Video
हिसार: प्यार...वो रिश्ता जो कभी खत्म नहीं होता, अमर हो जाता है. इस दुनिया ने भी प्यार को सबसे अव्वल दर्जा दिया है और उसकी निशानी को दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज मानी है. 'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में हम आपको एक ऐसी ही जगह ले चलते हैं. जो करीब साढे छह सौ साल बाद भी एक अमर प्यार की कहानी को बयां करता है. ये कहानी है किसी जमाने में दिल्ली के सबसे मजबूत शासक रहे फिरोज शाह तुगलक की. हम आपको लिए चलते हैं 'हिसार-ए-फिरोजा' की तरफ आज इस शहर को हिसार के नाम से जाना जाता है. वो साल था 135 जब फिरोजशाह तुगलक बंगाल विजय के बाद अपने राज्य क्षेत्र का मुआयना कर रहा था. उसी वक्त उसकी नजर इस क्षेत्र पर पड़ी. उस वक्त यहां हिसार ना होकर छोटी-छोटी बस्तियां हुआ करती थी. हिसार एक मरुस्थल हुआ करता था. कहा जाता है कि फिरोजशाह एक बार यहां हिरणों का शिकार कर रहा था. तो गुर्जर काबिले की एक लड़की गुजरी ने अनजाने में उन्हें चोटिल कर दिया जब फिरोज शाह ने उसे देखा तो उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा. फिरोजशाह तुगलक ने गुजरी को दिल्ली ले जाने की बात कही इस पर गुजरी ने शर्त रखी कि वह फिरोजशाह से विवाह कर लेगी, लेकिन अपने क्षेत्र को छोड़कर नहीं जाएगी. कहा जाता है कि इसीलिए फिरोजशाह तुगलक ने उसके लिए यहां एक महल बनाया और इस महल को गुजरी महल का नाम दिया गया. हालांकि इतिहास में ऐसे कोई साक्ष्य नहीं है. वर्तमान में हिसार के चार मुख्य रास्तों के चौक को दिल्ली गेट, मोरी गेट, तलाकी गेट और नागोरी गेट के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि जो गेट दिल्ली की तरफ था उसे दिल्ली गेट, राजस्थान के नागौर की तरफ वाले गेट को नागोरी गेट कहा जाता था.