ETV Bharat / sukhibhava

Air pollution : बाहरी वायु प्रदूषण से हर साल इतने भारतीयों की होती है मौत

Outdoor air pollution : एक अध्ययन के अनुसार बाहरी वायु प्रदूषण भारत में प्रति वर्ष 21 लाख से ज्यादा लोगों की जान लेता है. दक्षिण और पूर्वी एशिया में सबसे अधिक मौतों के साथ चीन सबसे आगे हैै. Air pollution . Outdoor air pollution

Millions of Indians die every year due to Outdoor air pollution
वायु प्रदूषण
author img

By IANS

Published : Nov 30, 2023, 2:40 PM IST

Updated : Dec 1, 2023, 6:00 AM IST

नई दिल्ली : एक नए मॉडलिंग अध्ययन के अनुसार, सभी स्रोतों से होने वाला बाहरी वायु प्रदूषण भारत में प्रति वर्ष 2.18 मिलियन ( 2180000 ) लोगों की जान ले लेता है. इससे जीवाश्म ईंधन के स्थान पर स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से अपनाने से संभावित रूप से बचा जा सकता है. बीएमजे द्वारा प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि परिवेशी वायु प्रदूषण के सभी स्रोतों के कारण होने वाली मौतों की संख्या - बीमारी और मृत्यु के लिए प्रमुख पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिम कारक - दक्षिण और पूर्वी एशिया में सबसे अधिक और प्रति वर्ष 2.44 मिलियन मौतों के साथ चीन सबसे आगे हैै.

अमेरिका, जर्मनी, स्पेन की एक अंतरराष्ट्रीय टीम के नेतृत्व में किए गए शोध में पाया गया कि उद्योग, बिजली उत्पादन और परिवहन में जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में प्रति वर्ष 5.1 मिलियन (61 प्रतिशत) अतिरिक्त मौतें होती हैं. दुनिया भर में लगभग 8.3 मिलियन मौतें परिवेशी वायु में सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) और ओजोन (ओ3) के कारण हुईं, जो वायु प्रदूषण से होने वाली अधिकतम 82 प्रतिशत मौतों के बराबर है, जिन्हें सभी मानवजनित उत्सर्जन को नियंत्रित करके रोका जा सकता है.

अधिकांश (52 प्रतिशत) मौतें इस्केमिक हृदय रोग (30 प्रतिशत), स्ट्रोक (16 प्रतिशत), क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव फेफड़े की बीमारी (16 प्रतिशत) और मधुमेह (6 प्रतिशत) जैसी सामान्य स्थितियों से संबंधित हैं. लगभग 20 प्रतिशत अपरिभाषित हैं, लेकिन आंशिक रूप से उच्च रक्तचाप और अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों से जुड़े होने की संभावना है. शोधकर्ताओं ने कहा कि जीवाश्म ईंधन से संबंधित मौतों के ये नए अनुमान पहले बताए गए अधिकांश मूल्यों से बड़े हैं, जो बताते हैं कि जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से जिम्मेदार मृत्यु दर पर पहले की तुलना में अधिक प्रभाव पड़ सकता है.

चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से मौतों में कमी आएगी
अध्ययन में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2019 अध्ययन, नासा उपग्रह-आधारित सूक्ष्म कण पदार्थ और जनसंख्या डेटा, और 2019 के लिए वायुमंडलीय रसायन विज्ञान, एयरोसोल और सापेक्ष जोखिम मॉडलिंग के डेटा का उपयोग किया गया. परिणामों से पता चला कि जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से दक्षिण, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया में होने वाली मौतों में सबसे बड़ी पूर्ण कमी आएगी, जो कि सालाना लगभग 3.85 मिलियन है, जो पर्यावरण के सभी मानवजनित स्रोतों से संभावित रूप से इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से रोकी जा सकने वाली मौतों के 80-85 प्रतिशत के बराबर है.

उच्च आय वाले देशों में जो बड़े पैमाने पर जीवाश्म ऊर्जा पर निर्भर हैं, जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से सालाना लगभग 460,000 मौतों को संभावित रूप से रोका जा सकता है, जो परिवेशी वायु प्रदूषण के सभी मानवजनित स्रोतों से होने वाली संभावित रोकी जा सकने वाली मौतों का लगभग 90 प्रतिशत है. शोधकर्ताओं ने कहा, पेरिस जलवायु समझौते के 2050 तक जलवायु तटस्थता के लक्ष्य के अनुरूप, "जीवाश्म ईंधन के स्थान पर स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से जबरदस्त सार्वजनिक स्वास्थ्य और जलवायु सह-लाभ होंगे." उन्होंने कहा, संयुक्त अरब अमीरात में आगामी सीओपी 28 जलवायु परिवर्तन वार्ता "जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की दिशा में पर्याप्त प्रगति करने का अवसर प्रदान करती है. उन्होंने कहास्वास्थ्य लाभ एजेंडे में शीर्ष पर होना चाहिए."

ये भी पढ़ें-

यहां लोग पेड़ों से लिपटकर होते हैं तनाव मुक्त, ये है देश का पहला प्राकृतिक हीलिंग सेंटर

विशेषज्ञों से जानिए स्वस्थ जीवनशैली का सबसे अच्छा नुस्खा

नई दिल्ली : एक नए मॉडलिंग अध्ययन के अनुसार, सभी स्रोतों से होने वाला बाहरी वायु प्रदूषण भारत में प्रति वर्ष 2.18 मिलियन ( 2180000 ) लोगों की जान ले लेता है. इससे जीवाश्म ईंधन के स्थान पर स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से अपनाने से संभावित रूप से बचा जा सकता है. बीएमजे द्वारा प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि परिवेशी वायु प्रदूषण के सभी स्रोतों के कारण होने वाली मौतों की संख्या - बीमारी और मृत्यु के लिए प्रमुख पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिम कारक - दक्षिण और पूर्वी एशिया में सबसे अधिक और प्रति वर्ष 2.44 मिलियन मौतों के साथ चीन सबसे आगे हैै.

अमेरिका, जर्मनी, स्पेन की एक अंतरराष्ट्रीय टीम के नेतृत्व में किए गए शोध में पाया गया कि उद्योग, बिजली उत्पादन और परिवहन में जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में प्रति वर्ष 5.1 मिलियन (61 प्रतिशत) अतिरिक्त मौतें होती हैं. दुनिया भर में लगभग 8.3 मिलियन मौतें परिवेशी वायु में सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) और ओजोन (ओ3) के कारण हुईं, जो वायु प्रदूषण से होने वाली अधिकतम 82 प्रतिशत मौतों के बराबर है, जिन्हें सभी मानवजनित उत्सर्जन को नियंत्रित करके रोका जा सकता है.

अधिकांश (52 प्रतिशत) मौतें इस्केमिक हृदय रोग (30 प्रतिशत), स्ट्रोक (16 प्रतिशत), क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव फेफड़े की बीमारी (16 प्रतिशत) और मधुमेह (6 प्रतिशत) जैसी सामान्य स्थितियों से संबंधित हैं. लगभग 20 प्रतिशत अपरिभाषित हैं, लेकिन आंशिक रूप से उच्च रक्तचाप और अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों से जुड़े होने की संभावना है. शोधकर्ताओं ने कहा कि जीवाश्म ईंधन से संबंधित मौतों के ये नए अनुमान पहले बताए गए अधिकांश मूल्यों से बड़े हैं, जो बताते हैं कि जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से जिम्मेदार मृत्यु दर पर पहले की तुलना में अधिक प्रभाव पड़ सकता है.

चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से मौतों में कमी आएगी
अध्ययन में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2019 अध्ययन, नासा उपग्रह-आधारित सूक्ष्म कण पदार्थ और जनसंख्या डेटा, और 2019 के लिए वायुमंडलीय रसायन विज्ञान, एयरोसोल और सापेक्ष जोखिम मॉडलिंग के डेटा का उपयोग किया गया. परिणामों से पता चला कि जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से दक्षिण, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया में होने वाली मौतों में सबसे बड़ी पूर्ण कमी आएगी, जो कि सालाना लगभग 3.85 मिलियन है, जो पर्यावरण के सभी मानवजनित स्रोतों से संभावित रूप से इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से रोकी जा सकने वाली मौतों के 80-85 प्रतिशत के बराबर है.

उच्च आय वाले देशों में जो बड़े पैमाने पर जीवाश्म ऊर्जा पर निर्भर हैं, जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से सालाना लगभग 460,000 मौतों को संभावित रूप से रोका जा सकता है, जो परिवेशी वायु प्रदूषण के सभी मानवजनित स्रोतों से होने वाली संभावित रोकी जा सकने वाली मौतों का लगभग 90 प्रतिशत है. शोधकर्ताओं ने कहा, पेरिस जलवायु समझौते के 2050 तक जलवायु तटस्थता के लक्ष्य के अनुरूप, "जीवाश्म ईंधन के स्थान पर स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से जबरदस्त सार्वजनिक स्वास्थ्य और जलवायु सह-लाभ होंगे." उन्होंने कहा, संयुक्त अरब अमीरात में आगामी सीओपी 28 जलवायु परिवर्तन वार्ता "जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की दिशा में पर्याप्त प्रगति करने का अवसर प्रदान करती है. उन्होंने कहास्वास्थ्य लाभ एजेंडे में शीर्ष पर होना चाहिए."

ये भी पढ़ें-

यहां लोग पेड़ों से लिपटकर होते हैं तनाव मुक्त, ये है देश का पहला प्राकृतिक हीलिंग सेंटर

विशेषज्ञों से जानिए स्वस्थ जीवनशैली का सबसे अच्छा नुस्खा

Last Updated : Dec 1, 2023, 6:00 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.