सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय (यूएनएसडब्ल्यू) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में उच्च रक्तचाप को कम करने में आईआरटी प्रशिक्षणों की भूमिका का पता लगाने के लिए पूर्व में किए गए अध्ययनों के एक नए विश्लेषण का नेतृत्व किया। जिसके नतीजों में सामने आया की आईआरटी सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप को कम कर सकता है। हालांकि वर्तमान में, उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए कई अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों द्वारा आईआरटी की सिफारिश नहीं की जाती है।
हाइपरटेंशन रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुए इस मेटा-विश्लेषण में अध्ययन के वरिष्ठ लेखक, मान्यता प्राप्त व्यायाम शरीर विज्ञानी और स्वास्थ्य विज्ञान के स्कूल, यूएनएसडब्ल्यू में चिकित्सा और स्वास्थ्य संकाय में व्याख्यात डॉ. मैथ्यू जोन्स बताते हैं, "आईआरटी रक्तचाप को कम करने का एक समय-कुशल साधन है। वह बताते हैं की शोध में की गई समीक्षा में पाया गया की इस प्रकार के व्यायाम के बेहतर प्रभाव पाने के लिए व्यक्ति को प्रति सप्ताह 2 से 3 दिन केवल 12 मिनट प्रतिदिन, व्यायाम की आवश्यकता होती है।"
क्या है आइसोमेट्रिक प्रतिरोध प्रशिक्षण
आइसोमेट्रिक प्रतिरोध प्रशिक्षण, बल आधारित प्रशिक्षण है जिसमें मांसपेशियां शक्ति का उत्पादन करती हैं जैसे स्क्वाट या पुश अप आदि। यह पारंपरिक व्यायामों से अलग होता है। गौरतलब है की वर्तमान में, उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए कई अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों द्वारा आईआरटी की सिफारिश नहीं की जाती है। जिसका कारण इसकी सुरक्षा को लेकर चिंतायें हैं, क्योंकि आईआरटी की स्थिर प्रकृति व्यायाम के दौरान रक्तचाप को स्पष्ट रूप से बढ़ाती है, खासकर जब बड़े मांसपेशी समूहों का उपयोग करके या उच्च तीव्रता पर पारंपरिक शक्ति प्रशिक्षण जैसे भारोत्तोलन या एरोबिक व्यायाम किये जाते हैं।
डॉ. जोन्स बताते हैं की “यह उन लोगों के लिए आदर्श होता है जिन्हें चलने, साइकिल चलाने या शक्ति प्रशिक्षण जैसे अधिक ‘पारंपरिक’ वर्कआउट करने में कठिनाई हो सकती है। अध्धयन में शोधकर्ताओं ने आश्चर्य जाताया कि शोध के दौरान विषय रहे वृद्ध वयस्कों में इन व्यायामों के पार्श्वप्रभावों के जोखिम में कोई वृद्धि नहीं हुई थी। लेकिन साथ ही वह यह जानकारी भी देते हैं की अभी भी स्पष्ट नहीं है कि आईआरटी के विभिन्न प्रकार और खुराक परिणामों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं और क्या ये सुरक्षित भी होंगे।
वैश्विक मृत्यु दर के लिए प्रमुख जोखिम कारक
गौरतलब है की उच्च रक्तचाप दुनिया भर में 1.13 बिलियन लोगों को प्रभावित करता है। आंकड़ों की माने तो वर्ष 2019 में 10.8 मिलियन लोगों की मृत्यु इस समस्या के कारण हुई थी। विश्व स्तर पर, यह मृत्यु दर के प्रमुख जोखिम भरे कारकों में से एक है। सिर्फ आस्ट्रेलियाई आबादी की बात करें तो 18 वर्ष से अधिक आयु की एक तिहाई से अधिक आबादी उच्च रक्तचाप से पीड़ित है, लेकिन इस बात से पीड़ितों मे से लगभग 50 प्रतिशत लोगो अनजान हैं। इस वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती के प्रभाव को देखते हुए, शोध में उच्च रक्तचाप की घटनाओं और गंभीरता को कम करने के लिए रणनीतियां बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा या स्ट्रोक (हृदय रोग) के लिए उच्च जोखिम की श्रेणी में आता है| इसलिए रक्तचाप पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है। 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को कम से कम हर दो साल में रक्तचाप की जांच कराने की सलाह दी जाती है।
मौजूदा शोध का विश्लेषण
डॉ. जोन्स बताते हैं की शोध में हमने यह पाया कि 24 घंटे की अवधि में आईआरटी ने रक्तचाप के उन मापों में भी सुधार किया, जिनमें से किसी की भी पहले समीक्षा नहीं की गई थी। नियमित नैदानिक अभ्यास के हिस्से के रूप में लिए गए मापों को देखते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि नियंत्रणों की तुलना में आईआरटी समूह के बीच एसबीपी औसतन 6.97 मिमी एचजी कम हो गया। डीबीपी में भी औसतन 3.86 मिमी एचजी की कमी आई।
इन मापों में केंद्रीय रक्तचाप (हृदय की सबसे बड़ी धमनी में दबाव – महाधमनी और हृदय रोग का एक महत्वपूर्ण भविष्यवक्ता) और कुछ हद तक, आउट पेशेंट रक्तचाप (औसत रक्त) भी शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने विश्लेषण में 24 यादृच्छिक नियंत्रण परीक्षणों को शामिल किया, जिसमें 56 वर्ष की औसत आयु वाले 1,143 प्रतिभागी शामिल थे। कुल समूह में से 56% महिलाएं थीं। अध्ययन में भाग लेने वाले लोगों में ऐसे लोग शामिल हैं जिनका उच्च सामान्य रक्तचाप, 130-139 मिलीमीटर (मिमी एचजी) का सिस्टोलिक रक्तचाप (एसबीपी) था। इनमें ग्रेड 1 उच्च रक्तचाप: 140-159 मिमी एचजी का एक एसबीपी तथा ग्रेड 2 उच्च रक्तचाप: 160 मिमी एचजी से अधिक का एसपीबी या 100 मिमी एचजी से अधिक का डायस्टोलिक रक्तचाप था। शोधकर्ताओं ने केवल आईआरटी परीक्षणों को शामिल किया जो कम से कम 3 सप्ताह तक चले थे।
डॉ. जोन्स बताते हैं की “रक्तचाप पर आईआरटी के प्रभाव का बेहतर आंकलन करने के लिए बड़े, उच्च गुणवत्ता वाले यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षणों की स्पष्ट आवश्यकता है,”। उन्होंने स्वीकार किया की वैज्ञानिक साहित्य समीक्षा में शामिल अध्ययनों के संबंध में अनुसंधान की सीमायें ‘उच्च गुणवत्ता’ वाली नहीं थी। जिसका एक मतलब यह नीकाला जा सकता है की शोध दल अपने परिणामों के बारे में पूरी तरह सुनिश्चित नहीं हो सका।