यमुनानगर: भारत कृषि प्रधान देश है, यहां खेती प्रमुख व्यवसाय है, कुछ दशक पहले भारत में हरित क्रांति आई और यही वजह है कि खाद्दान के मामले में हमारा देश खुशहाल है, लेकिन अब वक्त है 'मीठी क्रांति' की यानी शहद उत्पादन में दुनिया में देश का डंका बजाने की. क्योंकि शहद उत्पादन से किसानों की आय दो गुना-चार गुना बढ़ सकती है. इस बात को हरियाणा के यमुनानगर जिले के किसान सुभाष कंबोज ने वक्त रहते समझ लिया है, और आज प्रगतिशीत किसान सुभाष कंबोज पूरे देश के किसानों के लिए उदाहरण बन चुके हैं.
पीएम मोदी ने की सुभाष कंबोज की तारीफ
सुभाष कंबोज की सफलता इन ऊंचाइयों पर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में सुभाष कांबोज की सराहना की. उन्होंने दूसरे किसानों को भी सुभाष कंबोज से प्रेरणा लेकर मधुमक्खी पालन जैसे क्षेत्रों में हाथ आजमाने के लिए प्रेरित किया.
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ऐसे शुरू हुई सफलता की कहानी!
सुभाष चंद्र बताते हैं कि वह 10 एकड़ में खेती करते हैं. 1996 में खादी ग्राम उद्योग से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मधुमक्खी पालन के 6 बॉक्स से उन्होंने काम शुरू किया था. 2006 से लेकर अब तक उनके पास लगभग 2 हजार मधुमक्खी के बॉक्स हैं. यह सभी बॉक्स भी 6 बक्सों से ही विकसित किए हैं. ये व्यवसाय इतना बढ़ा है कि सुभाष कंबोज का 35 से 40 लाख रुपए का टर्नओवर है.
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पूरे देश में बेचते हैं शहद उत्पाद
सुभाष करीब 25 किस्म का शहद तैयार करते हैं. इसके अलावा मोम, कोम्ब हनी, बी प्रोपोलिश, बी पोलन, वीवनम और रॉयल जेली भी तैयार करते हैं. आज उनके प्रोडक्ट तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कलकत्ता में भी बिक रहा है. उनके इस काम के लिए राज्य सरकार सम्मानित कर चुकी है.
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आज वैज्ञानिक दृष्टि से खेती को देखने की है दरकार
वाकई आज खेती को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है. क्योंकि तकनीक का इस्तेमाल कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं. वहीं कृषि क्षेत्र में रोजगार के भी नए अवसर पैदा कर देश के विकास में योगदान दे सकते हैं. ऐसे में जब शहद की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है तो यमुनानगर जिले के किसान सुभाष कंबोज जैसे लोग देश के अन्य किसानों के लिए सफलता का मार्गदर्शक साबित हो सकते है.