यमुनानगर: असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक विजयदशमी धूमधाम के साथ मनाया (Dussehra celebration in Yamunanagar) जाता है. हरियाणा के यमुनानगर में भी दशहरे को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. सतातन धर्म सभा मॉडल टाउन की तरफ से हर साल की तरह इस साल भी रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले तैयार करवाए जा रहे हैं. पिछले 1 महीने से कारीगर पुतले तैयार करने में लगे हुए हैं जिनका कल दहन किया जाएगा.
देशभर में जहां विजयदशमी के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाएगा तो वहीं यमुनानगर में भी पुतले तैयार किए जा (preparation of Dussehra in Yamunanagar) रहे हैं. पिछले 70 सालों से यमुनानगर के मॉडल टाउन की सतानत धर्म सभा की ओर से दशहरा उत्सव मनाया जाता रहा है. शुरुआत में करीब 500 रुपए में पुतले तैयार हो जाते थे, लेकिन समय बीतने और मंहगाई बढ़ने के साथ खर्चा लाखों में बढ़ गया और इस बार पुतले बनाने पर करीब 4 लाख रुपए खर्च किए गए हैं.
35 साल से बना रहे पुतला: वहीं काम कर रहे एक कारीगर महेंद्र मनचंदा ने बताया कि उसके बुजुर्ग पाकिस्तान से आए थे और शुरुआत से उन्हीं का परिवार यमुनानगर में रावण का पुतला बनाता आ रहा है. इसमें उन्हे करीब 1 महीने का समय लगता है. कारीगर महेंद्र मनचंदा ने बताया कि वो पिछले 35 साल से यहां पुतला बनाते आ रहे हैं. इसमें करीब 3 सहयोगी उनके साथ काम करते हैं. उनका कहना था कि वे पुतला बनाने में पूरी जी-जान लगाते हैं और शिद्दत के साथ पुतले तैयार करते हैं. लेकिन जब कुछ ही मिनटों में उनकी मेहनत स्वाहा हो जाती है तो दुख भी बहुत होता है लेकिन त्योहार की खुशी भी बहुत होती है.
प्रशासन की तरफ से भी मिलता है सहयोग: वहीं सतानत धर्म मंदिर के प्रधान के मुताबिक उनकी सभा की तरफ से शहर के दशहरा ग्राउंड में दशहरे का कार्यक्रम मनाया जाता है. जिसमें प्रशासन की तरफ से भी उन्हें सहयोग मिलता है. उन्होंने बताया कि पुतला बनाने का 90 फीसदी सामान सहारनपुर से आता है और पुतले पर लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं. लेकिन शहरवासियों के लिए सतानत धर्म सभा किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.
बुराई पर अच्छाई का प्रतीक दशहरे का पर्व: मंदिर की तरफ से प्रशासन की मदद भी ली जाती है. क्योंकि हर साल यहां मेले में लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. कोरोना के चलते जहां दो साल तक कार्यक्रम नहीं हो पाए थे तो इस बार यहां ज्यादा भीड़ लगने का अनुमान लगाया जा रहा है, जिसके लिए मंदिर प्रशासन पूरी तैयारियों में जुटा हुआ है.
रावण दहन के शुभ समय: रावण दहन के शुभ समयकी बात करें तो रावण के पुतले का दहन (burning of effigy of ravana) करने का शुभ समय सूर्यास्त के बाद से रात 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र में ही किया जाता है. रावण दहन के बाद उसकी राख को घर ले जाना अति शुभ माना गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है.
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