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चालकों को सरप्लस करने के विरोध में रोडवेज कर्मचारियों ने मुख्य सचिव के नाम सौंपा ज्ञापन - रोडवेज कर्मचारी प्रदर्शन

हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने मांग की है कि चालकों को सरप्लस करने के आदेश तुरंत वापस लिए जाएं और किलोमीटर स्कीम रद्द करके विभाग में 14 हजार सरकारी बसें शामिल की जाए.

Roadways Workers
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Published : Mar 17, 2021, 12:41 PM IST

यमुनानगर : हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने एक हजार चालकों को सरप्लस करने के विरोध प्रदर्शन किया गया और महाप्रबंधक के माध्यम से परिवहन अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजा.

कर्मचारियों ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक हजार चालकों को सरप्लस घोषित करके अन्य विभागों में भेजने और बर्खास्तगी की धमकी दी. सरकार और विभाग के उच्चाधिकारियों ने विभाग को बर्बाद करने की शुरुआत की है. इससे कर्मचारियों में भारी रोष है.

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कर्मचारियों को सरप्लस घोषित कर विभाग का निजीकरण करके पूंजीपतियों के हवाले करने की मंशा स्पष्ट कर दी है. छह साल पहले विभाग में 4500 सरकारी बसें थी, निजीकरण की नीतियों के कारण घट कर केवल 3060 बसें ही रह गई हैं.

यूनियन की मांग है कि चालकों को सरप्लस करने के आदेश तुरंत वापस ले. किलोमीटर स्कीम रद्द करके विभाग में 14 हजार सरकारी बसें शामिल की जाए. इससे नौकरी सुरक्षित रहने के साथ 84 हजार बेरोजगारों को स्थाई रोजगार मिलेगा.

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इसके अलावा बेहतर और सुरक्षित परिवहन सेवा मिल सकें. सरकार की हठधर्मिता और निजीकरण नीतियों के खिलाफ विभाग के सभी संगठन मिलकर निर्णायक संघर्ष करें. लंबित मांगों को लागू करें, 17 हजार कर्मचारियों और अधिकारियों का चार वर्ष के बकाया बोनस का भुगतान एक माह के वेतन के समान तुरंत किया जाए.

यमुनानगर : हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने एक हजार चालकों को सरप्लस करने के विरोध प्रदर्शन किया गया और महाप्रबंधक के माध्यम से परिवहन अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजा.

कर्मचारियों ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक हजार चालकों को सरप्लस घोषित करके अन्य विभागों में भेजने और बर्खास्तगी की धमकी दी. सरकार और विभाग के उच्चाधिकारियों ने विभाग को बर्बाद करने की शुरुआत की है. इससे कर्मचारियों में भारी रोष है.

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कर्मचारियों को सरप्लस घोषित कर विभाग का निजीकरण करके पूंजीपतियों के हवाले करने की मंशा स्पष्ट कर दी है. छह साल पहले विभाग में 4500 सरकारी बसें थी, निजीकरण की नीतियों के कारण घट कर केवल 3060 बसें ही रह गई हैं.

यूनियन की मांग है कि चालकों को सरप्लस करने के आदेश तुरंत वापस ले. किलोमीटर स्कीम रद्द करके विभाग में 14 हजार सरकारी बसें शामिल की जाए. इससे नौकरी सुरक्षित रहने के साथ 84 हजार बेरोजगारों को स्थाई रोजगार मिलेगा.

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इसके अलावा बेहतर और सुरक्षित परिवहन सेवा मिल सकें. सरकार की हठधर्मिता और निजीकरण नीतियों के खिलाफ विभाग के सभी संगठन मिलकर निर्णायक संघर्ष करें. लंबित मांगों को लागू करें, 17 हजार कर्मचारियों और अधिकारियों का चार वर्ष के बकाया बोनस का भुगतान एक माह के वेतन के समान तुरंत किया जाए.

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