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यमुनानगर में चपरासी संभाल रहे पटवारी का पदभार, RTI से हुआ बड़ा खुलासा

यमुनानगर में RTI रिपोर्ट ने नगर निगम की पोल खोलकर रख दी है. आरटीआई में खुलासा हुआ है कि (peons handled patwari work in Yamunanagar) चपरासी और अतिक्रमण का काम हटाने वाले फॉर्थ क्लास कर्मचारी पटवारी का पदभार संभाल रहे हैं. खबर में जानिए हैरान कर देने वाला ये पूरा मामला...

peons handled patwari work in Yamunanagar
यमुनानगर में चपरासी संभाल रहे पटवारी का पदभार
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Published : Feb 20, 2023, 7:34 PM IST

RTI एक्टिविस्ट श्याम सिंह जानकारी देते हुए.

यमुनानगर: हरियाणा में यमुनानगर नगर निगम में RTI के जरिए बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल, फॉर्थ क्लास कर्मचारियों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. ये काम वो महीना या साल से नहीं, बल्कि लंबे वक्त से कर रहे हैं. ऐसे में जवाबदेही अधिकारियों की बनती है. यमुनानगर नगर निगम से ऐसी खबर सामने आई है. जो हर किसी को हिलाकर रख देगी.

जी हां यमुनानगर को संवारने का जिन्हें जिम्मा दिया गया है. वो किस कदर काम कर रहे हैं, या फिर करा रहे हैं. इसकी एक बानगी हम आपको बताते हैं. दरअसल यमुनानगर नगर निगम में तीन कर्मचारियों को पटवारी का अस्थाई पद दिया गया है. इसका खुलासा RTI के तहत हुआ है. पिछले करीब 8 साल से कुलदीप, सुरेश और संजीव नाम के तीन कर्मचारी जो पटवारी का काम कर रहे हैं. जब उन्हें नगर निगम में रखा गया था तो इनमें से 2 चपरासी और अतिक्रमण हटाने का काम दिया गया था. RTI एक्टिविस्ट श्याम सिंह ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.

एक अलग दफ्तर और अच्छी खासी कुर्सियों पर बैठकर ये जनाब फाइलों पर धड़ाधड़ हस्ताक्षर कर रहे हैं और इनकी हस्ताक्षर की अहमयित इतनी है, कि अधिकारी भी इसे पास करने से पहले शायद नहीं हिचकिचाएगा. जब उनसे इनके काम और इस अहम जिम्मेदारी को लेकर सवाल किया गया तो ये दाएं-बाएं झांकने लगे. RTI एक्टिवस्ट को अभी तक उनके सवालों का जवाब नहीं मिला है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इतने बड़े और अहम पदों पर अधिकारी कैसे चपरासी या अतिक्रमण हटाने वाले कर्मचारियों को बैठा सकता है. अगर कुछ गलत हुआ तो इसकी जवाबदेही अधिकारियों की बनेगी या फिर इन अस्थाई पटवारियों की.

क्या बोले RTI एक्टिविस्ट: उन्होंने कहा कि नगर निगम प्रशासन सबकी आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे अधिकारी किसी भी सरकारी संपत्ति को किसी के भी नाम कर सकते हैं. कई बार इस बारे में विभाग को चेताया भी गया है.लिखित में भी अवगत करवाया है. उन्होंने कहा कि अब इस मामले में सीएम विंडो भी दी गई है.

प्रशासन के कई उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है. सारी रिपोर्ट का काम यही चपरासी करता है. कोई भी कार्रवाई की रिपोर्ट यही चपरासी पटवारी बनकर देता है. उन्होंने कहा कि आज तक इस विषय में कभी किसी से कोई जवाब नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि सारी मिलीभगत से सारा काम हो रहा है. उन्होंने मांग की है कि, जो भी इस मामले में उच्च अधिकारी शामिल है उन पर भी कार्रवाई की जाए.

ये भी पढ़ें: विधानसभा में उठा महिला कोच से छेड़छाड़ मामला, किरण चौधरी बोलीं- संदीप सिंह को मंत्री पद से हटाकर करनी चाहिए जांच

सुरेश पटवारी ने कहा: उन्होंने बताया कि साल 2013 में बतौर पटवारी नियुक्त हुआ था. उसके बाद 2016 तक यहीं पर इसी पोस्ट पर रहा. साल 2018 में दोबारा नियुक्ति हुई. फिर मुझे चपरासी के पद पर रखा गया था. उसके बाद मुझे पटवारी का पदभार दे दिया गया. साथ ही उन्होंने दावा किया है कि पटवारी के लिये मेरी क्वालिफिकेशन पूरी है.

ये भी पढ़ें: दहेज प्रताड़ना से तंग आकर विवाहिता ने की आत्महत्या, ससुराल पक्ष के 4 लोगों के खिलाफ केस दर्ज

RTI एक्टिविस्ट श्याम सिंह जानकारी देते हुए.

यमुनानगर: हरियाणा में यमुनानगर नगर निगम में RTI के जरिए बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल, फॉर्थ क्लास कर्मचारियों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. ये काम वो महीना या साल से नहीं, बल्कि लंबे वक्त से कर रहे हैं. ऐसे में जवाबदेही अधिकारियों की बनती है. यमुनानगर नगर निगम से ऐसी खबर सामने आई है. जो हर किसी को हिलाकर रख देगी.

जी हां यमुनानगर को संवारने का जिन्हें जिम्मा दिया गया है. वो किस कदर काम कर रहे हैं, या फिर करा रहे हैं. इसकी एक बानगी हम आपको बताते हैं. दरअसल यमुनानगर नगर निगम में तीन कर्मचारियों को पटवारी का अस्थाई पद दिया गया है. इसका खुलासा RTI के तहत हुआ है. पिछले करीब 8 साल से कुलदीप, सुरेश और संजीव नाम के तीन कर्मचारी जो पटवारी का काम कर रहे हैं. जब उन्हें नगर निगम में रखा गया था तो इनमें से 2 चपरासी और अतिक्रमण हटाने का काम दिया गया था. RTI एक्टिविस्ट श्याम सिंह ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.

एक अलग दफ्तर और अच्छी खासी कुर्सियों पर बैठकर ये जनाब फाइलों पर धड़ाधड़ हस्ताक्षर कर रहे हैं और इनकी हस्ताक्षर की अहमयित इतनी है, कि अधिकारी भी इसे पास करने से पहले शायद नहीं हिचकिचाएगा. जब उनसे इनके काम और इस अहम जिम्मेदारी को लेकर सवाल किया गया तो ये दाएं-बाएं झांकने लगे. RTI एक्टिवस्ट को अभी तक उनके सवालों का जवाब नहीं मिला है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इतने बड़े और अहम पदों पर अधिकारी कैसे चपरासी या अतिक्रमण हटाने वाले कर्मचारियों को बैठा सकता है. अगर कुछ गलत हुआ तो इसकी जवाबदेही अधिकारियों की बनेगी या फिर इन अस्थाई पटवारियों की.

क्या बोले RTI एक्टिविस्ट: उन्होंने कहा कि नगर निगम प्रशासन सबकी आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे अधिकारी किसी भी सरकारी संपत्ति को किसी के भी नाम कर सकते हैं. कई बार इस बारे में विभाग को चेताया भी गया है.लिखित में भी अवगत करवाया है. उन्होंने कहा कि अब इस मामले में सीएम विंडो भी दी गई है.

प्रशासन के कई उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है. सारी रिपोर्ट का काम यही चपरासी करता है. कोई भी कार्रवाई की रिपोर्ट यही चपरासी पटवारी बनकर देता है. उन्होंने कहा कि आज तक इस विषय में कभी किसी से कोई जवाब नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि सारी मिलीभगत से सारा काम हो रहा है. उन्होंने मांग की है कि, जो भी इस मामले में उच्च अधिकारी शामिल है उन पर भी कार्रवाई की जाए.

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सुरेश पटवारी ने कहा: उन्होंने बताया कि साल 2013 में बतौर पटवारी नियुक्त हुआ था. उसके बाद 2016 तक यहीं पर इसी पोस्ट पर रहा. साल 2018 में दोबारा नियुक्ति हुई. फिर मुझे चपरासी के पद पर रखा गया था. उसके बाद मुझे पटवारी का पदभार दे दिया गया. साथ ही उन्होंने दावा किया है कि पटवारी के लिये मेरी क्वालिफिकेशन पूरी है.

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