यमुनानगर: कांजनू गांव में विरोध के बाद सरावां गांव में बन रहे बूचड़खाने (Slaughter house in yamunanagar) का भी गांव वालों ने विरोध किया. मंगलवार को इस मामले को लेकर लोगों ने करीब 2 घंटे तक जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. हालांकि इससे एक दिन पहले यानि सोमवार तक विरोध कर रहे लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि सायरा फूड्स नाम की कंपनी के पास गांव में प्रोजेक्ट लगाने के लिए एनओसी है या नहीं. इस बात की जानकारी उन्हें ईटीवी की खबर से पता चली. वही ईटीवी द्वारा खबर को प्रमुखता से दिखाए जाने को लेकर लोगों ने ईटीवी का धन्यवाद किया.
दरअसल मामला सामने आते ही ईटीवी ने इस मामले के तह तक जाने की कोशिश की. इसके लिए हमारी टीम यमुनानगर प्रदूषण विभाग पहुंची. यहां जब अधिकारियों से इस मामले को लेकर बात की गई प्रदूषण विभाग में तैनात एसडीओ ने बताया कि सायरा फूड्स कंपनी ने कांजनू गांव में फैक्ट्री लगाने के लिए एनओसी ली थी लेकिन विरोध के बाद उन्होंने सरेंडर कर दी. जहां तक बात सरावा गांव की है तो कंपनी मालिक ने अब तक इस गांव के लिए एनओसी ना तो अप्लाई की है और ना ही उन्हें दी गई है.
ईटीवी ने जैसे ही इस खबर को प्रमुखता से दिखाया वैसे ही शाम को किसानों ने रणनीति बनाई. इसके बाद मंगलवार को लोगों ने सचिवालय के सामने करीब 2 घंटे तक रोड जाम कर जोरदार प्रदर्शन किया. इसके बाद गांव के लोगों ने जिला प्रशासन को बूचड़खाना के विरोध में अपना ज्ञापन सौंपा. किसानों ने बताया कि उपायुक्त ने उन्हें आश्वासन दिया है कि जिले में कहीं भी बूचड़खाना नहीं लगने दिया जाएगा.
बता दें कि किसानों ने 11 बजे से प्रदर्शन शुरू कर दिया था लेकिन सचिवालय में जिला उपायुक्त ना होने के कारण करीब 2 घंटे तक वे जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते रहे. इस दौरान एसडीएम सुशील कुमार भी उनका ज्ञापन लेने पहुंचे लेकिन उन्होंने मना कर दिया कि वे केवल जिला उपायुक्त को ही अपना ज्ञापन देंगे. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि पूरे जिले में कहीं भी बूचड़खाना लगाने की कोशिश की गई तो वे इसे जरा भी बर्दाश्त नहीं करेंगे और कितना ही बड़ा आंदोलन करना पड़े वे पीछे नहीं हटेंगे.
पूरा मामला क्या है- कुछ महीने पहले रादौर थाना क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले कांजनू गांव में सायरा फूड्स नामक कंपनी फैक्ट्री लगाने जा रही थी. ग्रामीणों के विरोध के बाद वहां काम रुक गया. कंपनी मालिक ने उस जग की NOC (no objection certificate) भी प्रदूषण विभाग को सरेंडर कर दिया था. इसके बाद मामला कुछ महीनों तक शांत रहा लेकिन फिर कंपनी मालिक ने साढौरा के सरावां गांव में जमीन खरीदी और वहां काम शुरू कर दिया. इसके बारे में जब गांव के लोगों को पता चला तो उन्होंने विरोध शुरू कर दिया. गांव वालों ने बताया कि जहां ये बूचड़खाना लगने जा रहा है उसके पास आबादी क्षेत्र है. बूचड़खाना लगने से क्षेत्र में भयंकर बीमारियां और बदबू फैलने का खतरा है.
ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी मालिक ने गांव के कुछ लोगों को बहला-फुसलाकर चाऊमीन और बर्गर का काम करने की बात कह कर दस्तखत करवा लिए और काम शुरू करवा दिया. लेकिन जब ग्रामीणों को पता चला कि यहां बूचड़खाना लगने जा रहा है तो उन्होंने मौके पर पहुंच कर विरोध जताया. जिसके बाद साढ़ौरा पुलिस थाने में फैसला हुआ कि ना तो ग्रामीण विरोध जताएंगे और ना ही फैक्ट्री मालिक वहां किसी तरह का निर्माण करेगा. ग्रामीणों का कहना है कि थाने में फैसला होने के बाद रात को ही फैक्ट्री मालिक ने फिर से काम शुरू कर दिया. जिसके बाद उन्होंने खुद मौके पर आकर इसका विरोध किया और काम रुकवाया. गांव वालों का कहना है कि वो किसी भी सूरत में यहां पर बूचड़खाना नहीं लगने देंगे.
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