यमुनानगर: लॉकडाउन के नियमों में राहत मिलने के बाद प्रशासन की ओर से यमुना नदी के खनन घाटों पर दो खनन एजेंसियों को खनन करने की अनुमति मिली है. लेकिन गुमथला गांव के लोगों का आरोप है कि अनुमति मिलने के बाद न केवल खनन एजेंसियां खनन व सिंचाई विभाग के नियम तोड़ रही हैं. वहीं लॉकडाउन के नियमों का भी जमकर उल्लघंन हो रहा है.
उन्होंने कहा कि खनन सामग्री में लगे ट्रकों पर खाद्य समाग्री ले जाने के पास लगे हैं, लेकिन उन ट्रकों में रेत की सप्लाई की जा रही है. वहीं खनन एजेंसियों ने कार्य शुरू करते हुए यमुना नदी की धारा को भी बांध बनाकर बदलना शुरू कर दिया.
अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका लगाने वाले गांव गुमथला के एडवोकेट वरयाम सिंह ने आरोप लगाया कि खनन जोन में गतिविधि बढ़ने के बाद यहां से अन्य राज्यों के वाहन भी आने शुरू हो गए हैं. लेकिन न तो उन वाहनों की कहीं कोई एंट्री प्रशासन की ओर से की जा रही है और न ही कोरोना से बचाव के नियमों पर ध्यान दिया जा रहा है. केवल मात्र खानापूर्ति करते हुए ही खनन का कार्य किया जा रहा है. ऐसे में अब दूसरे राज्यों से वाहन शुरू हो जाने के बाद क्षेत्र के लोगों में भी भय का माहौल है.
जब इस पूरे मामले बारे जिला उपायुक्त मुकुल कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आपके माध्यम से मामला मेरे संज्ञान में आया है, इसलिए इस बारे जिला पुलिस अधीक्षक को जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई के लिए कहा जाएगा.
ग्रामीणों को भय है कि कहीं कोई वाहन चालक अपने साथ कोरोना के संक्रमण ले आया तो क्षेत्र के लिए भी गंभीर समस्या पैदा हो सकती है. इसलिए वाहन चालकों की उचित जांच होनी चाहिए और बाहरी राज्यों और कोरोना संक्रमित जिलों के वाहनों पर अकुंश लगाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से किसानों के लिए तो सख्त नियम बनाए गए हैं और बिना परमिशन वो अपनी फसल को अनाज मंडी तक नहीं ले जा सकते. लेकिन दूसरे राज्यों के वाहन चालक बिना किसी रोकटोक के रेत लाने ले जाने के लिए उनके क्षेत्र में आ रहे हैं. जिस पर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए.
ये भी पढ़ें- हरियाणा की फुटवियर इंडस्ट्री पर लॉकडाउन की मार, 5000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान