यमुनानगरः हरियाणा के पूर्वी छोर पर स्थित यमुनानगर जिला बर्तनों के लिए मशहूर है. जिन बर्तनों में हम खाना बनाते हैं, खाना रखते हैं या खाना खाते हैं या जिन्हें हम रोजमर्रा के दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं. सभी तरह के बर्तन यहां की फैक्ट्रियों में बनाए जाते हैं. यहां बने बर्तन देश के कोने-कोने और विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं.
बर्तन बनाने की 1000 से ज्यादा फैक्ट्रियां शहर में
यमुनानगर का पुराना नाम अब्दुल्लापुर था और बाद में यह यमुनानगर जगाधरी के नाम से जाना गया. पुराने शहर को जगाधरी कहा जाता है, यह एक औद्योगिक शहर है. यहां करीब 1000 से ज्यादा बर्तन बनाने की फैक्ट्रियां हैं और इसे मेटल टाउन के नाम से भी जाना जाता है.
बुढ़ियां के राजा ने बसाया था जगाधरी इंडस्ट्रियल एरिया
जगाधरी के बर्तन उद्योग के महासचिव सुंदर लाल बत्रा ने बताया कि 100 साल पहले यमुनानगर में स्थित बुढ़िया के राजा ने इस बर्तन उद्योग को बसाया था. जो आज तक चलता रहा है, उन्होंने बताया की भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद यहां पंजाब और अन्य जगहों से लोग आकर बसे और उन्होंने नए सिरे से इस उद्योग में अपना योगदान दिया. पहले यहां पर बर्तन हाथ से बनाए जाते थे उसके बाद मशीनी युग में अब मशीनों से बर्तन बनने लगे है और आज आलम यह है के जगाधरी का बना बर्तन देश-विदेश में नाम कमा चुका है. जगाधरी को दुनिया में मेटल सिटी के नाम से जाना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य यह है के हरियाणा सरकार ने इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया हैं.
ये भी पढ़ेंः- CAA पर लोगों को जागरुक कर रही बीजेपी, CM खट्टर ने की जनसंपर्क अभियान की शुरूआत
पीतल और एल्यूमिनियम के बर्तनों का कोई तोड़ नहीं
व्यापारियों का कहना है कि स्टील के बर्तन तो देश के और भी हिस्सों में बनते हैं, लेकिन पीतल और एल्यूमिनियम के बर्तनों की जो क्वालिटी जगाधरी में बने बर्तनों की होती है. वैसी दुनिया के किसी और कोने में नहीं बतनी है.
व्यापारियों ने बताई शहर की समस्याएं
व्यापारियों का कहना है कि शहर में ट्रैफिक और अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है, इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है. कई सेक्टरों में बिजली की भी स्थिति सही नहीं है. जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है. व्यापारियों का कहना है कि सरकार यदि जगाधरी के मेटल इंडस्ट्री को कुछ सहुलियतें दे दें तो जगाधरी हरियाणा का सबसे ज्यादा रेवेन्यू जेनरेट करने वाला शहर बन सकता है.
बर्तनों पर लगने वाले जीएसटी को कम करने की मांग
बर्तन व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद से पहले की टैक्सों की तुलना में उन्हें काफी सहुलियत मिली है. लेकिन सरकार यदि थोड़ा और ध्यान दे तो यहां बर्तन उद्योग को पंख लग सकते हैं. व्यापारियों का कहना है कि जो बर्तन जगाधरी में बनते है, उन्हें ज्यादातर गरीब लोग ही खरीदते हैं. ऐसे में वो चाहते हैं कि सरकार बर्तनों पर लगने वाले जीएसटी की दरों को कम करें, पहले बर्तनों पर जीएसटी 18% लगता था, लेकिन बाद में उसे 12% किया गया है, लेकिन उनकी मांग है कि बर्तन उद्योग पर जीएसटी 5% होना चाहिए. जिससे यह आसानी से लोगों की पहुंच में हो सके और उद्योग को भी विस्तार मिल सके.
ये भी पढ़ेंः- किसानों को नहीं मिल पा रहा भावांतर भरपाई योजना का लाभ, अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप