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हरियाणा की मेटल सिटी यमुनानगर-जगाधरी, 1000 से ज्यादा फैक्ट्रियों में बनते हैं बर्तन

यमुनानगर के व्यापारियों का कहना है कि स्टील के बर्तन तो देश के और भी हिस्सों में बनते हैं, लेकिन पीतल और एल्यूमिनियम के बर्तनों की जो क्वालिटी जगाधरी में बने बर्तनों की होती है. वैसी दुनिया के किसी और कोने में नहीं बतनी है.

Yamunanagar-Jagadhri
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Published : Jan 5, 2020, 8:09 PM IST

यमुनानगरः हरियाणा के पूर्वी छोर पर स्थित यमुनानगर जिला बर्तनों के लिए मशहूर है. जिन बर्तनों में हम खाना बनाते हैं, खाना रखते हैं या खाना खाते हैं या जिन्हें हम रोजमर्रा के दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं. सभी तरह के बर्तन यहां की फैक्ट्रियों में बनाए जाते हैं. यहां बने बर्तन देश के कोने-कोने और विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं.

बर्तन बनाने की 1000 से ज्यादा फैक्ट्रियां शहर में
यमुनानगर का पुराना नाम अब्दुल्लापुर था और बाद में यह यमुनानगर जगाधरी के नाम से जाना गया. पुराने शहर को जगाधरी कहा जाता है, यह एक औद्योगिक शहर है. यहां करीब 1000 से ज्यादा बर्तन बनाने की फैक्ट्रियां हैं और इसे मेटल टाउन के नाम से भी जाना जाता है.

हरियाणा की मेटल सिटी यमुनानगर-जगाधरी, 1000 से ज्यादा फैक्ट्रियों में बनते हैं बर्तन.

बुढ़ियां के राजा ने बसाया था जगाधरी इंडस्ट्रियल एरिया
जगाधरी के बर्तन उद्योग के महासचिव सुंदर लाल बत्रा ने बताया कि 100 साल पहले यमुनानगर में स्थित बुढ़िया के राजा ने इस बर्तन उद्योग को बसाया था. जो आज तक चलता रहा है, उन्होंने बताया की भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद यहां पंजाब और अन्य जगहों से लोग आकर बसे और उन्होंने नए सिरे से इस उद्योग में अपना योगदान दिया. पहले यहां पर बर्तन हाथ से बनाए जाते थे उसके बाद मशीनी युग में अब मशीनों से बर्तन बनने लगे है और आज आलम यह है के जगाधरी का बना बर्तन देश-विदेश में नाम कमा चुका है. जगाधरी को दुनिया में मेटल सिटी के नाम से जाना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य यह है के हरियाणा सरकार ने इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया हैं.

ये भी पढ़ेंः- CAA पर लोगों को जागरुक कर रही बीजेपी, CM खट्टर ने की जनसंपर्क अभियान की शुरूआत

पीतल और एल्यूमिनियम के बर्तनों का कोई तोड़ नहीं
व्यापारियों का कहना है कि स्टील के बर्तन तो देश के और भी हिस्सों में बनते हैं, लेकिन पीतल और एल्यूमिनियम के बर्तनों की जो क्वालिटी जगाधरी में बने बर्तनों की होती है. वैसी दुनिया के किसी और कोने में नहीं बतनी है.

व्यापारियों ने बताई शहर की समस्याएं
व्यापारियों का कहना है कि शहर में ट्रैफिक और अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है, इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है. कई सेक्टरों में बिजली की भी स्थिति सही नहीं है. जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है. व्यापारियों का कहना है कि सरकार यदि जगाधरी के मेटल इंडस्ट्री को कुछ सहुलियतें दे दें तो जगाधरी हरियाणा का सबसे ज्यादा रेवेन्यू जेनरेट करने वाला शहर बन सकता है.

बर्तनों पर लगने वाले जीएसटी को कम करने की मांग
बर्तन व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद से पहले की टैक्सों की तुलना में उन्हें काफी सहुलियत मिली है. लेकिन सरकार यदि थोड़ा और ध्यान दे तो यहां बर्तन उद्योग को पंख लग सकते हैं. व्यापारियों का कहना है कि जो बर्तन जगाधरी में बनते है, उन्हें ज्यादातर गरीब लोग ही खरीदते हैं. ऐसे में वो चाहते हैं कि सरकार बर्तनों पर लगने वाले जीएसटी की दरों को कम करें, पहले बर्तनों पर जीएसटी 18% लगता था, लेकिन बाद में उसे 12% किया गया है, लेकिन उनकी मांग है कि बर्तन उद्योग पर जीएसटी 5% होना चाहिए. जिससे यह आसानी से लोगों की पहुंच में हो सके और उद्योग को भी विस्तार मिल सके.

ये भी पढ़ेंः- किसानों को नहीं मिल पा रहा भावांतर भरपाई योजना का लाभ, अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

यमुनानगरः हरियाणा के पूर्वी छोर पर स्थित यमुनानगर जिला बर्तनों के लिए मशहूर है. जिन बर्तनों में हम खाना बनाते हैं, खाना रखते हैं या खाना खाते हैं या जिन्हें हम रोजमर्रा के दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं. सभी तरह के बर्तन यहां की फैक्ट्रियों में बनाए जाते हैं. यहां बने बर्तन देश के कोने-कोने और विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं.

बर्तन बनाने की 1000 से ज्यादा फैक्ट्रियां शहर में
यमुनानगर का पुराना नाम अब्दुल्लापुर था और बाद में यह यमुनानगर जगाधरी के नाम से जाना गया. पुराने शहर को जगाधरी कहा जाता है, यह एक औद्योगिक शहर है. यहां करीब 1000 से ज्यादा बर्तन बनाने की फैक्ट्रियां हैं और इसे मेटल टाउन के नाम से भी जाना जाता है.

हरियाणा की मेटल सिटी यमुनानगर-जगाधरी, 1000 से ज्यादा फैक्ट्रियों में बनते हैं बर्तन.

बुढ़ियां के राजा ने बसाया था जगाधरी इंडस्ट्रियल एरिया
जगाधरी के बर्तन उद्योग के महासचिव सुंदर लाल बत्रा ने बताया कि 100 साल पहले यमुनानगर में स्थित बुढ़िया के राजा ने इस बर्तन उद्योग को बसाया था. जो आज तक चलता रहा है, उन्होंने बताया की भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद यहां पंजाब और अन्य जगहों से लोग आकर बसे और उन्होंने नए सिरे से इस उद्योग में अपना योगदान दिया. पहले यहां पर बर्तन हाथ से बनाए जाते थे उसके बाद मशीनी युग में अब मशीनों से बर्तन बनने लगे है और आज आलम यह है के जगाधरी का बना बर्तन देश-विदेश में नाम कमा चुका है. जगाधरी को दुनिया में मेटल सिटी के नाम से जाना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य यह है के हरियाणा सरकार ने इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया हैं.

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पीतल और एल्यूमिनियम के बर्तनों का कोई तोड़ नहीं
व्यापारियों का कहना है कि स्टील के बर्तन तो देश के और भी हिस्सों में बनते हैं, लेकिन पीतल और एल्यूमिनियम के बर्तनों की जो क्वालिटी जगाधरी में बने बर्तनों की होती है. वैसी दुनिया के किसी और कोने में नहीं बतनी है.

व्यापारियों ने बताई शहर की समस्याएं
व्यापारियों का कहना है कि शहर में ट्रैफिक और अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है, इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है. कई सेक्टरों में बिजली की भी स्थिति सही नहीं है. जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है. व्यापारियों का कहना है कि सरकार यदि जगाधरी के मेटल इंडस्ट्री को कुछ सहुलियतें दे दें तो जगाधरी हरियाणा का सबसे ज्यादा रेवेन्यू जेनरेट करने वाला शहर बन सकता है.

बर्तनों पर लगने वाले जीएसटी को कम करने की मांग
बर्तन व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद से पहले की टैक्सों की तुलना में उन्हें काफी सहुलियत मिली है. लेकिन सरकार यदि थोड़ा और ध्यान दे तो यहां बर्तन उद्योग को पंख लग सकते हैं. व्यापारियों का कहना है कि जो बर्तन जगाधरी में बनते है, उन्हें ज्यादातर गरीब लोग ही खरीदते हैं. ऐसे में वो चाहते हैं कि सरकार बर्तनों पर लगने वाले जीएसटी की दरों को कम करें, पहले बर्तनों पर जीएसटी 18% लगता था, लेकिन बाद में उसे 12% किया गया है, लेकिन उनकी मांग है कि बर्तन उद्योग पर जीएसटी 5% होना चाहिए. जिससे यह आसानी से लोगों की पहुंच में हो सके और उद्योग को भी विस्तार मिल सके.

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Intro:एंकर यूनो नगर हरियाणा राज्य का प्रसिद्ध जिला है जो हरियाणा के पूर्व की ओर स्थित है। यमुनानगर का पुराना नाम अब्दुल्लापुर था था बाद में यह जगाधरी यमुनानगर के नाम से जाना गया पुराने शहर को जगाधरी कहा जाता है यह एक औद्योगिक शहर है।
जगाधरी में ही एशिया का बहुत बड़ा बर्तन उद्योग स्थित है। जिन स्टील के बर्तनों में हम खाना रखते हैं , खाना खाते हैं वह सब जगाधरी में ही बनता है। दुनिया में सबसे अच्छी क्वालिटी का बर्तन जगाधरी का मशहूर है। जगाधरी की यह मेटल इंडस्ट्री पिछले 100 सालों से चलती आ रही है। जगाधरी में लगभग 1000 से ज्यादा बर्तन बनाने की फैक्ट्रियां हैं और आज इसे मेटल टाउन के नाम से भी जाना जाता है।



Body:वीओ जगाधरी के मेटल इंडस्ट्री के जर्नल फैक्ट्री सुंदर लाल बत्रा ने बताया कि 100 साल पहले यमुनानगर में स्थित बुढ़िया के राजा ने इस बर्तन उद्योग को बसाया था। जो कि आज तक चलता रहा है उन्होंने बताया के भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पंजाब और अन्य जगहों से लोग आकर यहां बल से और उन्होंने आकर दोबारा नए सिरे से इस उद्योग में अपना योगदान दिया। पहले यहां पर बर्तन हाथ से बनाए जाते थे उसके बाद मशीनी युग में यह बर्तन मशीनों से बनने लगे और आज आलम यह है के जगाधरी का बना बरतन देश-विदेश में नाम कमा चुका है। उनका कहना है कि आज जगाधरी को दुनिया में मेटल सिटी के नाम से जाना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य यह है के हरियाणा सरकार ने इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

बाइट सुंदर लाल बत्रा( जर्नल फैक्ट्री बर्तन उद्योग एसोसिएशन

वीओ बर्तन व्यापारी गौरव ने बताया के वह लगभग पिछले 100 सालों से बर्तन का ही काम करते आ रहे हैं। पहले उनके पूर्वज ने यह काम शुरू किया था और अब वह इसे आगे बढ़ाते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्टील के बर्तन तो देश में और भी हिस्सों में बनते हैं , लेकिन पीतल और अल्मुनियम के बर्तनों की जो क्वालिटी जगाधरी के अंदर बनाई जाती है वह दुनिया के किसी और कोने में नहीं बनती है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी इंडस्ट्री होने के बावजूद भी सरकार की तरफ से उनको वह सफलता नहीं मिल पा रही हैं जिनके वह हकदार हैं।

बाइट गौरव ( व्यापारी मेटल इंडस्ट्री

वीओ जगाधरी के ही बर्तन व्यापारी का रवि अरोड़ कहना है कि हालांकि सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है जीएसटी से उनको काफी सहूलियत मिली है, लेकिन फिर भी इस इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए कुछ और जरूरी सहूलियत की और सरकार को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि जगाधरी कब बना बर्तन दुनिया के हर कोने में एक्सपोर्ट होता है।

बाइट रवि अरोड़ा ( उद्योगपति

वीओ बर्तन उद्योग व्यापारी राकेश अरोड़ा का कहना है के यह गरीबों की आइटम है और इसके लिए वह चाहते हैं कि सरकार उस पर टैक्स की दरों को कम करें पहले जीएसटी 18% लगता था , लेकिन बाद में उसे 12 प्रतिशत किया गया है, लेकिन उनकी मांग है कि यह जीएसटी बर्तन उद्योग पर 5% होना चाहिए, गरीब वर्ग के लोग इसे आसानी से खरीद सके।

बाइट राकेश अरोड़ा (बर्तन व्यापारी


Conclusion:
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