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यमुनानगर के अंकुर ने किसान आंदोलन के समर्थन में बहादुरी अवार्ड लौटाया - बहादुरी अवार्ड लौटाया यमुनानगर

यमुनानगर के रहने वाले युवक अंकुर ने किसान आंदोलन के समर्थन में अपना बहादुरी अवार्ड लौटा दिया है. साल 2014 में स्वतंत्रता दिवस पर अंकुर को बहादुरी अवार्ड से सम्मानित किया था.

Bravery Award  returned
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Published : Jan 19, 2021, 5:18 PM IST

यमुनानगर: बुड़िया गांव के रहने वाले अंकुर कुमार ने मंगलवार को कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपना बहादुरी अवार्ड जिला उपायुक्त को वापस सौंप दिया. साल 2014 में स्वतंत्रता दिवस पर जिला उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ (उस समय के जिला उपायुक्त) ने उन्हें बहादुरी अवार्ड से सम्मानित किया था.

यमुनानगर में जहां जिला परिषद के आठ सदस्य और एक गांव के सरपंच ने नए कृषि कानूनों के विरोध में अपना इस्तीफा जिला उपायुक्त को सौंपा था तो वहीं मंगलवार को बुड़िया गांव के रहने वाले अंकुर कुमार ने अपना बहादुरी अवार्ड जिला उपायुक्त को वापस कर दिया.

यमुनानगर के अंकुर ने किसान आंदोलन के समर्थन में बहादुरी अवार्ड लौटाया

दरअसल, 14 फरवरी 2014 को बुड़िया गांव के पास पश्चिमी यमुना नहर में डूब रही एक लड़की को बचाने के लिए अंकुर ने पश्चिम यमुना नहर में छलांग लगा दी थी और उसे सुरक्षित बाहर ले आया था. जिसके चलते अंकुर को 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान बहादुरी अवार्ड से सम्मानित किया गया था.

ये भी पढ़ें- देर आए दुरुस्त आए: आदेशों के 40 दिन बाद हांसी के बाजारों में रात के समय सफाई शुरू

अब अंकुर का कहना है कि जिस तरह बीजेपी सरकार में हर वर्ग दुखी हो गया है और इस ठंड के मौसम में किसान अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं उसके बावजूद सरकार की कान पर जूं तक नहीं रेंग रही. इसी के चलते किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपना अवार्ड जिला उपायुक्त को वापस कर दिया है. उन्होंने कहा कि वे अब आंदोलन में उतरेंगे और जब तक नए कृषि कानून वापस नहीं होते वे आंदोलनरत रहेंगे.

वहीं अंकुर का कहना है कि केंद्र और हरियाणा सरकार किसानों की मांगें ना मानने की बजाय आंदोलन को खत्म करवाने के हथकंडे रच रही है जबकि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है, जिसमें लोगों की आवाज को सुना जाना चाहिए, लेकिन सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिशें कर रही है जिसके चलते ही आहत होकर उन्होंने अपना अवार्ड वापस किया है.

ये भी पढ़ें- पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50% आरक्षण के फॉर्मूले पर HC में याचिका दायर, सरकार को नोटिस जारी

यमुनानगर: बुड़िया गांव के रहने वाले अंकुर कुमार ने मंगलवार को कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपना बहादुरी अवार्ड जिला उपायुक्त को वापस सौंप दिया. साल 2014 में स्वतंत्रता दिवस पर जिला उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ (उस समय के जिला उपायुक्त) ने उन्हें बहादुरी अवार्ड से सम्मानित किया था.

यमुनानगर में जहां जिला परिषद के आठ सदस्य और एक गांव के सरपंच ने नए कृषि कानूनों के विरोध में अपना इस्तीफा जिला उपायुक्त को सौंपा था तो वहीं मंगलवार को बुड़िया गांव के रहने वाले अंकुर कुमार ने अपना बहादुरी अवार्ड जिला उपायुक्त को वापस कर दिया.

यमुनानगर के अंकुर ने किसान आंदोलन के समर्थन में बहादुरी अवार्ड लौटाया

दरअसल, 14 फरवरी 2014 को बुड़िया गांव के पास पश्चिमी यमुना नहर में डूब रही एक लड़की को बचाने के लिए अंकुर ने पश्चिम यमुना नहर में छलांग लगा दी थी और उसे सुरक्षित बाहर ले आया था. जिसके चलते अंकुर को 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान बहादुरी अवार्ड से सम्मानित किया गया था.

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अब अंकुर का कहना है कि जिस तरह बीजेपी सरकार में हर वर्ग दुखी हो गया है और इस ठंड के मौसम में किसान अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं उसके बावजूद सरकार की कान पर जूं तक नहीं रेंग रही. इसी के चलते किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपना अवार्ड जिला उपायुक्त को वापस कर दिया है. उन्होंने कहा कि वे अब आंदोलन में उतरेंगे और जब तक नए कृषि कानून वापस नहीं होते वे आंदोलनरत रहेंगे.

वहीं अंकुर का कहना है कि केंद्र और हरियाणा सरकार किसानों की मांगें ना मानने की बजाय आंदोलन को खत्म करवाने के हथकंडे रच रही है जबकि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है, जिसमें लोगों की आवाज को सुना जाना चाहिए, लेकिन सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिशें कर रही है जिसके चलते ही आहत होकर उन्होंने अपना अवार्ड वापस किया है.

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