यमुनानगर: उत्तर भारत के सबसे ऐतिहासिक कपाल मोचन मेले (Kapal Mochan Mela Yamunanagar) का जल्द आगाज होने वाला है. बुधवार को बिलासपुर के कपालमोचन में यमुनानगर के डीसी राहुल हुड्डा पहुंचे और पूरे विधि विधान के साथ कपालमोचन के तीनों सरोवरों में जलभराव की शुरुआत की. डीसी के साथ बिलासपुर के एसडीएम जसपाल गिल भी मौजूद रहे. करीब 15 मिनट की पूजा अर्चना के बाद सरोवरों में पानी छोड़ा गया.
डीसी राहुल हुड्डा ने कहा कि इस बार मेले में किसी तरह की परेशानी श्रद्धालुओं को नहीं आएगी. मेले में वो सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी जिसकी श्रद्धालुओं को जरुरत है. कपालमोचन मेले का अपना एक इतिहास है. बताया जाता है कि गुरु गोबिंद पौंटा साहिब के भगानी से युद्ध जीतकर यहां ठहरे थे और अपने शस्त्र धोये थे. इसके अलावा यहां कौरवों और पांडवों का भी इतिहास जुड़ा है.
सूरजकुंड मेले के पंडित अरविंद चौबे ने कपालमोचन मेले के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया. कपालमोचन का मेला करीब 126 एकड़ में लगेगा और इसे 4 सेक्टर में बांटा गया है. प्रशासन की तरफ से दावा किया जा रहा है कि मेले को आधुनिक रूप दिया जाएगा. मेले में पार्किंग बेहतर की जाएगी और सीसीटीवी की नजर में हर श्रद्दालु रहेगा. हांलाकि मेला तो 4 नवंबर से शुरू होगा लेकिन मेले की तैयारियां अब खत्म होने को हैं.