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हरियाणा में कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हो रहा कपाल मोचन मेला, भारी तादाद में पहुंचने लगे श्रद्धालु

हरियाणा में लगने वाले कपाल मोचन मेले (Kapal Mochan Mela Yamunanagar) के लिए लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं. यह मेला गुरुवार 18 नवंबर से लेकर 19 नवंबर तक चलेगा.

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कपाल मोचन सरोवर
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Published : Nov 17, 2021, 1:52 PM IST

Updated : Nov 17, 2021, 2:12 PM IST

यमुनानागर : हरियाणा के यमुनानगर में लगने वाले कपाल मोचन मेले की तैयारियां पूरी हो (Kapal Mochan Mela Yamunanagar) चुकी हैं. आगामी 18 और 19 नवंबर को यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन भारी तादाद में श्रद्धालु कपाल मोचन मेले में स्नान करने पहुंच चुके हैं. प्रशासन ने कपाल मोचन मेले के लिए पुख्ता इंतजाम कर लिए (Kapal Mochan Fair) हैं. बता दें कि पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से यहां मेला नहीं लग पाया.

इस साल भी महामारी के चलते अटकलें लग रही थी, हालांकि प्रशासन ने निर्णय लिया कि जिन लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है वह मेले में पहुंच सकते हैं. बिलासपुर में मौजूद इस तीर्थस्थल पर तीन सरोवर हैं. इनमें सबसे पहले कपाल मोचन सरोवर में स्नान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन जब चंद्रमा की किरणें सायं काल के समय तालाब के पानी पर पड़ती है उसके बाद स्नान की महत्वता मानी जाती है. मान्यता के अनुसार सबसे पहले कपाल मोचन तीर्थ पर गौ माता मंदिर के पास स्नान करना शुभ माना जाता है. यहां पर स्नान करने के बाद गाय के कान में अपनी मन्नत मांगने वालों की हर इच्छा पूरी होती है.

कपाल मोचन मेला कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हो रहा है.

यहां के पुजारी ने बताया कि यह तीर्थ सतयुग के समय का है और यहां सभी 33 कोटि देवी-देवता आ चुके हैं. यह स्थान ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यही भगवान शिव ब्रहम हत्या के दोष से मुक्त हुए थे. कपाल मोचन तीर्थ पर दूसरा स्नान ऋण मोचन सरोवर में करने की मान्यता है. बताया जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने से सभी ऋणों से मुक्ति मिल जाती है. जहां देवी देवता भी ऋणों से मुक्त होने के लिए स्नान करने पहुंचे मान्यता है कि तालाब में दूध और दक्षिणा डालकर स्नान करने से सभी ऋणों से मुक्ति मिल जाती है.

ये भी पढ़ें : ऐतिहासिक कपाल मोचन मेला 2019 का शुभारंभ, जानिए क्या है मान्यता ?

तीसरा और अंतिम स्नान सूरजकुंड सरोवर में किया जाता है यहां पर लोग स्नान करने के बाद वस्त्र यही छोड़ जाते हैं. यहां एक कदम का पेड़ है जिसकी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण इस पेड़ के नीचे बैठकर बांसुरी बजाया करते थे. यहां राधा कृष्ण का मंदिर भी है जिसको लेकर मान्यता है कि यहां पर कोई भी मन्नत मांगने पर पूरी हो जाती है. यहां सबसे ज्यादा पुत्र प्राप्ति के लिए लोग मन्नत मांगने पहुंचते हैं और सूरज कुंड सरोवर में स्नान करते हैं. कपाल मोचन मेला शुरू होने से पहले ही श्रद्धालुओं ने यहां पहुंचना शुरू कर दिया है. श्रद्धालुओं ने बताया कि यहां हर साल विभिन्न प्रांतों के लाखों लोग आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते हैं और अपनी मन्नत मांगने और पूरी होने के बाद यहां स्नान करते हैं.

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यमुनानागर : हरियाणा के यमुनानगर में लगने वाले कपाल मोचन मेले की तैयारियां पूरी हो (Kapal Mochan Mela Yamunanagar) चुकी हैं. आगामी 18 और 19 नवंबर को यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन भारी तादाद में श्रद्धालु कपाल मोचन मेले में स्नान करने पहुंच चुके हैं. प्रशासन ने कपाल मोचन मेले के लिए पुख्ता इंतजाम कर लिए (Kapal Mochan Fair) हैं. बता दें कि पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से यहां मेला नहीं लग पाया.

इस साल भी महामारी के चलते अटकलें लग रही थी, हालांकि प्रशासन ने निर्णय लिया कि जिन लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है वह मेले में पहुंच सकते हैं. बिलासपुर में मौजूद इस तीर्थस्थल पर तीन सरोवर हैं. इनमें सबसे पहले कपाल मोचन सरोवर में स्नान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन जब चंद्रमा की किरणें सायं काल के समय तालाब के पानी पर पड़ती है उसके बाद स्नान की महत्वता मानी जाती है. मान्यता के अनुसार सबसे पहले कपाल मोचन तीर्थ पर गौ माता मंदिर के पास स्नान करना शुभ माना जाता है. यहां पर स्नान करने के बाद गाय के कान में अपनी मन्नत मांगने वालों की हर इच्छा पूरी होती है.

कपाल मोचन मेला कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हो रहा है.

यहां के पुजारी ने बताया कि यह तीर्थ सतयुग के समय का है और यहां सभी 33 कोटि देवी-देवता आ चुके हैं. यह स्थान ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यही भगवान शिव ब्रहम हत्या के दोष से मुक्त हुए थे. कपाल मोचन तीर्थ पर दूसरा स्नान ऋण मोचन सरोवर में करने की मान्यता है. बताया जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने से सभी ऋणों से मुक्ति मिल जाती है. जहां देवी देवता भी ऋणों से मुक्त होने के लिए स्नान करने पहुंचे मान्यता है कि तालाब में दूध और दक्षिणा डालकर स्नान करने से सभी ऋणों से मुक्ति मिल जाती है.

ये भी पढ़ें : ऐतिहासिक कपाल मोचन मेला 2019 का शुभारंभ, जानिए क्या है मान्यता ?

तीसरा और अंतिम स्नान सूरजकुंड सरोवर में किया जाता है यहां पर लोग स्नान करने के बाद वस्त्र यही छोड़ जाते हैं. यहां एक कदम का पेड़ है जिसकी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण इस पेड़ के नीचे बैठकर बांसुरी बजाया करते थे. यहां राधा कृष्ण का मंदिर भी है जिसको लेकर मान्यता है कि यहां पर कोई भी मन्नत मांगने पर पूरी हो जाती है. यहां सबसे ज्यादा पुत्र प्राप्ति के लिए लोग मन्नत मांगने पहुंचते हैं और सूरज कुंड सरोवर में स्नान करते हैं. कपाल मोचन मेला शुरू होने से पहले ही श्रद्धालुओं ने यहां पहुंचना शुरू कर दिया है. श्रद्धालुओं ने बताया कि यहां हर साल विभिन्न प्रांतों के लाखों लोग आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते हैं और अपनी मन्नत मांगने और पूरी होने के बाद यहां स्नान करते हैं.

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Last Updated : Nov 17, 2021, 2:12 PM IST
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