यमुनानगर: हरियाणा में गाड़ियों का बड़े स्तर पर फर्जी रजिस्ट्रेशन हुआ है. जिसका खुलासा सिरसा सीआईए टीम ने किया था और सुनील चिटकारा नामक कार डीलर को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद इस जांच यमुनानगर स्थित जगाधरी एसडीएम ऑफिस पहुंची और फिर मामले का खुलासा हुआ.
इस मामले की जांच अब बिलासपुर एसडीएम तक भी पहुंच चुकी है. अब जांच के लिए जगाधरी जिला पुलिस अधीक्षक ने एसआईटी का गठन किया और डीएसपी राजेंद्र कुमार के नेतृत्व में एसआईटी जांच के आदेश दिए गए.
चार कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज
इस बारे में एसडीएम जगाधरी ने कहा कि उन्होंने अपने स्तर पर भी इसकी जांच करवाई और जांच के दौरान तीन फाइलें गायब मिली. मामले में 16 फाइलों में गड़बड़ी मिली. जिसके बाद सेक्टर-17 हुड्डा थाना को इसकी शिकायत दी गई. चार कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया. उन्होंने कहा कि एक तरफ एसआईटी जांच कर रही है और दूसरी तरफ वे अपने स्तर पर भी इसकी जांच करवा रहे हैं.
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जगाधरी के बाद यह जांच की आंच बिलासपुर एसडीएम ऑफिस पहुंची. जहां 29 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी मिली और क्लर्क ने इसकी जानकारी एसडीएम को दी. एसडीएम ने क्लर्क की शिकायत के आधार पर थाना बिलासपुर को मामला दर्ज करवाया.
'छोटे कर्मचारी इतने बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम नहीं दे सकते'
इस बारे में एसआईटी में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है और जो भी दोषी होगा कतई बख्शा नहीं जाएगा. वहीं राजनीतिक दबाव वाली बात पर उन्होंने कहा कि कभी भी छोटे कर्मचारी पर राजनीतिक दबाव डालकर इतने बड़े स्तर का फर्जीवाड़ा नहीं किया जा सकता. राजनीतिक दबाव की कोई बात सामने आती है तो इसमें बड़े अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी. साथ ही उन्होंने बताया कि जगाधरी और बिलासपुर एसडीएम इस जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं.
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चार लोगों के खिलाफ दर्ज हुई fir, नहीं हुई गिरफ्तारी
आरसी फर्जीवाड़े में बड़ी बात ये है कि सिरसा पुलिस करीब 15 दिन पहले यहां पर पहुंची थी. एसडीएम यमुनानगर ने चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था और बिलासपुर एसडीएम ने भी अमित के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था, लेकिन अब तक एसआईटी ने किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया है. वहीं बताया जा रहा है कि सिरसा एसआईटी के सामने अमित ने सरेंडर कर दिया है और उससे पूछताछ की जा रही है. जल्द ही एसआईटी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फर्जीवाड़े का खुलासा करेगी.
वहीं इस पूरे फर्जीवाड़े का मुख्य आरोपी अभी तक अमित को बनाया गया है जो यमुनानगर सरल केंद्र में तैनात था. वह एक सक्षम कार्यालय कर्मचारी था. ऐसे में तीन बड़े सवाल खड़ें होते हैं.
- पहला सवाल- सक्षम कर्मचारी के हाथ इतनी बड़ी जिम्मेदारी क्यों सौंपी गई.
- दूसरा सवाल- आखिर किस राजनेता के दबाव में आकर इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ.
- तीसरा सवाल- बिलासपुर के एसडीएम ने अपने क्लर्क संजीव का बचाव करते हुए इस फर्जीवाड़े का ठीकरा जगाधरी में तैनात अमित पर ही क्यों फोड़ा.
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