यमुनानगर: देश के 5 राज्यों में यूरिया की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार एक पोर्टल लॉन्च करने जा रही है. जिसके तहत किसानों को अपनी जरूरत के मुताबिक पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा. पंजीकरण के बिना उन्हें सब्सिडी के बगैर यूरिया मिलेगा. फिलहाल पोर्टल लॉन्च करने से पहले सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हरियाणा के यमुनानगर में इसकी शुरुआत करने का निर्णय लिया है. क्योंकि यूरिया की कालाबाजारी को लेकर यमुनानगर सुर्खियों में रहता है.
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अक्सर देखा जाता है कि यूरिया की कालाबाजारी के चलते किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पाता. जिसके चलते किसान कई बार प्रदर्शन भी करते हैं. हरियाणा सरकार ने अब इस समस्या के समाधान के लिए मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल की तरह एक पोर्टल लॉन्च करने की तैयारी कर ली है. जरूरतमंद किसान को यूरिया के लिए पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा. अगर किसान पोर्टल पर पंजीकरण नहीं करवाया, तो उसे यूरिया पर सब्सिडी नहीं मिलेगी.
इसलिए चुना गया यमुनानगर जिला: कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि यमुनानगर को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है. क्योंकि यमुनानगर प्लाईवुड इंडस्ट्री का हब है. प्लाईवुड के लिए ग्लू की जरूरत होती है और यूरिया से बड़ी मात्रा में ग्लू बनाया जाता है. जिससे यूरिया की खपत ज्यादा होती है. बीते कुछ सीजन में यूरिया की ज्यादा कमी इसी जिले में देखने को मिली थी. कृषि अधिकारी ने कहा कि निश्चित रूप से इसके माध्यम से यूरिया की कालाबाजारी रुकेगी.
वहीं, इस पर कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले यूरिया का इंडस्ट्रियल यूज करें. क्योंकि किसान को मिलने वाले यूरिया पर भारी सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाती है. लेकिन इंडस्ट्री वाले ब्लैक में इसे खरीद कर इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पोर्टल के माध्यम से उस पर पूरी तरह से रोक लगेगी. हरियाणा समेत देश के पांच राज्यों में इस पोर्टल को फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.
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आपको बता दें कि यमुनानगर प्लाइवुड इंडस्ट्री का हब है. प्लाईवुड इंडस्ट्री में ग्लू बनाने के लिए यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके लिए बिना सब्सिडी वाला यूरिया मार्केट में आता है. लेकिन इंडस्ट्री में काफी समय से कालाबाजारी करते हुए किसानों को सब्सिडी पर मिलने वाला यूरिया इस्तेमाल किया जाता है. किसानों को सब्सिडी वाला यूरिया करीब ₹270 में मिलता है. जबकि इंडस्ट्री के लिए आने वाला यूरिया करीब ₹4000 प्रति बैग आता है. जिसके चलते यह कालाबाजारी हो रही थी.
फिलहाल देखना यह होगा कि सरकार के इस पोर्टल के बाद यह कालाबाजारी रुकेगी या नहीं. वहीं, किसान के लिए यह पोर्टल आने वाले दिनों में मुसीबत भी बन सकता है. क्योंकि यदि किसी किसान का पंजीकरण नहीं होगा, तो उसे यूरिया नहीं मिलेगा. पंजीकरण करवाने के बावजूद यदि उसे ज्यादा मात्रा में यूरिया की जरूरत होगी, तो उसे बिना सब्सिडी के ही खरीदना होगा.
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