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हरियाणा के किसान ने परंपरागत खेती छोड़ शुरू की गेंदे के फूल की खेती, कमा रहा दो गुना मुनाफा - यमुनानगर में गेंदे के फूलों की खेती

हरियाणा में परंपरागत खेती (Traditional farming in Haryana) छोड़कर किसान अलग राह पर चल पड़े हैं. यमुनानगर के उर्जनी गांव के प्रगतिशील किसान गुरनाम सिंह अब धान और गेहूं या गन्ने की फसल नहीं बल्कि गेंदे के फूल की फसल तैयार कर रहे हैं.

marigold flower cultivation Yamunanagar
हरियाणा के किसान ने परंपरागत खेती छोड़ शुरू की गेंदे के फूल की खेती, कमा रहा दो गुना मुनाफा
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Published : Aug 16, 2022, 12:59 PM IST

Updated : Aug 20, 2022, 12:28 PM IST

यमुनानगर: हरियाणा के किसानों का पारंपरिक खेती से मोह भंग हो रहा (Traditional farming in Haryana) है. अब यहां के किसान मुनाफा देने वाली फसलों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. यमुनानगर जिले के उर्जनी गांव के रहने वाले युवा किसान गुरनाम सिंह गेहूं या गन्ने की खेती को छोड़कर गेंदे के फूल और अरबी के पत्ते की खेती कर रहे हैं और अच्छा- खासा मुनाफा कमा रहे हैं.


गुरनाम सिंह करीब 10 साल से यमुनानगर में गेंदे के फूलों की खेती कर रहे (marigold flower cultivation Yamunanagar) हैं. उनका कहना है कि उन्हें पहले से फूलों का काफी शौक था. इसके अलावा सरकार हमेशा कहती थी कि गेहूं की हमारे पास पांच पांच से पड़ी हुई है. इसके बाद से मैने खेती में बदलाव करने की सोची और तब से ही गेंदे के फूल की खेती करनी शुरू कर दी. गुरनाम ने कहा कि इसमें काफी फायदा है. पहला फायदा ये है कि परंपरागत खेती करने में साल में दो बार ही फसल पा सकते थे. अब जब से फूल की खेती शुरू की है तब से एक साल में तीन बार फसल मिलती है.

हरियाणा के किसान ने परंपरागत खेती छोड़ शुरू की गेंदे के फूल की खेती, कमा रहा दो गुना मुनाफा

गुरनाम ने बताया कि गेंदे के फूल की खेती साल में तीन बार की जा सकती (marigold flower cultivation) है. ये पूरी तरह ऑर्गेनिक है. इससे जमीन की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है. उन्होंने कहा कि उन्हें शुरू- शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई थी. क्योंकि ना तो ये मालूम था कि फूलों का कहां बेचना है और इससे फायदा होगा या नुकसान, लेकिन अब तो ग्राहक घर पर फूल लेने के लिए आ रहे हैं. जब गुरनाम से पूछा गया कि अन्य खेती से ये कितना फायदेमंद है तो उन्होंने कहा कि बाकी की फसलों से इसमें दो गुना फायदा है. उन्होंने कहा कि वे इस खेती से दो गुना नहीं तिगुना फायदा कमा रहे है.

गुरनाम सिंह ने बताया कि वे ज्यादातर अपनी फसलों को मंडियों में बेचते हैं. बाकी जो बची हुई फसल होती है उसे वे मंदिर और माली लोगों को बेच देते हैं. इसके लिए लोग उनके घर पर आने शुरू हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि शुरू- शुरू में उनके मन में भी नकारात्मक बातें आई थी लेकिन उन्होंने उन सभी बातों को दरकिनार करते हुए फूलों की खेती को अपनी पहली पसंद बनाया. गुरनाम ने कहा कि वो आज इस खेती से काफी ज्यादा खुश हैं.

गौरतलब है कि हरियाणा सरकार- समय समय पर किसानों को खेती के बारे जागरूक करती रहती है. इसके पीछे सरकार का उद्देश्य यह है कि किसानों को ना सिर्फ घाटे से बचाया जा सके बल्कि उन्हे नई फसलों के बारे में भी पता चल सके. अब सरकार का जोर हरियाणा में ऑर्गेनिक खेती (organic farming in haryana) को बढ़ावा देने का है ताकि प्रगतिशील किसान अपनी फसलों से ज्यादा ज्यादा मुनाफा कमा सकें. क्योंकि ऑर्गेनिक खेती से ना तो जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होती है और ना ही पानी ज्यादा लगता है बल्कि बचत अच्छी खासी होती है.

यमुनानगर: हरियाणा के किसानों का पारंपरिक खेती से मोह भंग हो रहा (Traditional farming in Haryana) है. अब यहां के किसान मुनाफा देने वाली फसलों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. यमुनानगर जिले के उर्जनी गांव के रहने वाले युवा किसान गुरनाम सिंह गेहूं या गन्ने की खेती को छोड़कर गेंदे के फूल और अरबी के पत्ते की खेती कर रहे हैं और अच्छा- खासा मुनाफा कमा रहे हैं.


गुरनाम सिंह करीब 10 साल से यमुनानगर में गेंदे के फूलों की खेती कर रहे (marigold flower cultivation Yamunanagar) हैं. उनका कहना है कि उन्हें पहले से फूलों का काफी शौक था. इसके अलावा सरकार हमेशा कहती थी कि गेहूं की हमारे पास पांच पांच से पड़ी हुई है. इसके बाद से मैने खेती में बदलाव करने की सोची और तब से ही गेंदे के फूल की खेती करनी शुरू कर दी. गुरनाम ने कहा कि इसमें काफी फायदा है. पहला फायदा ये है कि परंपरागत खेती करने में साल में दो बार ही फसल पा सकते थे. अब जब से फूल की खेती शुरू की है तब से एक साल में तीन बार फसल मिलती है.

हरियाणा के किसान ने परंपरागत खेती छोड़ शुरू की गेंदे के फूल की खेती, कमा रहा दो गुना मुनाफा

गुरनाम ने बताया कि गेंदे के फूल की खेती साल में तीन बार की जा सकती (marigold flower cultivation) है. ये पूरी तरह ऑर्गेनिक है. इससे जमीन की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है. उन्होंने कहा कि उन्हें शुरू- शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई थी. क्योंकि ना तो ये मालूम था कि फूलों का कहां बेचना है और इससे फायदा होगा या नुकसान, लेकिन अब तो ग्राहक घर पर फूल लेने के लिए आ रहे हैं. जब गुरनाम से पूछा गया कि अन्य खेती से ये कितना फायदेमंद है तो उन्होंने कहा कि बाकी की फसलों से इसमें दो गुना फायदा है. उन्होंने कहा कि वे इस खेती से दो गुना नहीं तिगुना फायदा कमा रहे है.

गुरनाम सिंह ने बताया कि वे ज्यादातर अपनी फसलों को मंडियों में बेचते हैं. बाकी जो बची हुई फसल होती है उसे वे मंदिर और माली लोगों को बेच देते हैं. इसके लिए लोग उनके घर पर आने शुरू हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि शुरू- शुरू में उनके मन में भी नकारात्मक बातें आई थी लेकिन उन्होंने उन सभी बातों को दरकिनार करते हुए फूलों की खेती को अपनी पहली पसंद बनाया. गुरनाम ने कहा कि वो आज इस खेती से काफी ज्यादा खुश हैं.

गौरतलब है कि हरियाणा सरकार- समय समय पर किसानों को खेती के बारे जागरूक करती रहती है. इसके पीछे सरकार का उद्देश्य यह है कि किसानों को ना सिर्फ घाटे से बचाया जा सके बल्कि उन्हे नई फसलों के बारे में भी पता चल सके. अब सरकार का जोर हरियाणा में ऑर्गेनिक खेती (organic farming in haryana) को बढ़ावा देने का है ताकि प्रगतिशील किसान अपनी फसलों से ज्यादा ज्यादा मुनाफा कमा सकें. क्योंकि ऑर्गेनिक खेती से ना तो जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होती है और ना ही पानी ज्यादा लगता है बल्कि बचत अच्छी खासी होती है.

Last Updated : Aug 20, 2022, 12:28 PM IST
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