यमुनानगर: जीवनदायिनी यमुना जब उफान पर होती है तो क्या दिल्ली और क्या हरियाणा सभी जगह लोगों की धड़कनें तेज हो जाती हैं. यमुना से आए पानी से दिल्ली और हरियाणा के कई हिस्सों में पानी भर गया है. तीन दिन पहले यमुना में उफान इतना था कि पानी ने हथिनीकुंड बैराज को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.
36 घंटे तेज बहाव झेलने के बाद क्षतिग्रस्त हुआ बैराज
बैराज के कुछ हिस्से की सुरक्षा के लिए बनाई गई स्पॉटिंग वॉल और सीमेंट के स्टड बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं. लगातार 36 घंटे तक पानी का तेज बहाव सहन करने वाले इस बैराज की क्षमता 9 लाख 95 हजार क्यूसेक है. अब तक बैराज ने 8 लाख 28 हजार क्यूसेक पानी का बहाव सहन किया है, लेकिन अगर पानी थोड़ा और ज्यादा बढ़ जाता तो बैराज के लिए खतरा साबित हो सकता था.
उफनती यमुना से हथिनीकुंड बैराज क्षतिग्रस्त
बैराज को कई तरह से नुकसान हुआ है. बैराज के आसपास वैसे तो माइनिंग पर बैन लगा है, बावजूद इसके खनन माफिया ने बैराज के आसपास के कई हिस्सों में माइनिंग करके बैराज को कमजोर किया है. बैराज के लगभग 3 किलोमीटर एरिया पर माइनिंग विभाग की तरफ से बैन लगाया गया है. सेंट्रल वॉटर कमीशन की तरफ से भी इसके 2 किलोमीटर के एरिया पर खनन पर बैन है. इसके बावजूद खनन माफिया ने बैराज के आसपास भारी खनन किया है, जिससे बैराज को काफी नुकसान हुआ है.
20 साल पहले अस्तित्व में आया था बैराज
बता दें कि हथिनीकुंड बैराज आज से 20 साल पहले, ताजेवाला बैराज की जगह बनाया गया था. ताजेवाला बैराज 1873 में अग्रेजों ने बनाया था. ताजेवाला बैराज 126 साल पूरे करने के बाद 3 सितंबर 1978 में यमुना में आए पानी की रफ्तार सहन ना करते हुए बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके बाद हरियाणा सिंचाई विभाग ने इस ताजेवाला बैराज को कंडम घोषित कर दिया था, लेकिन उसके नए बैराज यानी की हथिनीकुंड बैराज को 1996 में बनाना शुरू किया गया था जो 1999 में बनकर तैयार हुआ था.
पानी कम होने पर होगा नुकसान का आंकलन
सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता हरिदेव कंबोज ने बताया कि बैराज के कुछ हिस्से को नुकसान हुआ है. इसके अलावा बैराज के इर्द-गिर्द सीसी ब्लॉक भी क्षतिग्रस्त हुए हैं. उन्होंने कहा कि अभी बैराज के आसपास पानी है जिस पर नुकसान का सही आंकलन अभी नहीं किया जा सका है. पानी कम होने के बाद भी नुकसान का आंकलन किया जा सकेगा.