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यमुना के तेज बहाव को नहीं झेल पाया हथिनीकुंड बैराज, हुआ क्षतिग्रस्त

बैराज के कुछ हिस्से की सुरक्षा के लिए बनाई गई सपोर्टिंग वॉल और सीमेंट के स्टड बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं. लगातार 36 घंटे तक पानी का तेज बहाव सहन करने वाले इस बैराज की क्षमता 9 लाख 95 हजार क्यूसेक है.

यमुना के तेज बहाव को नहीं झेल पाया हथिनीकुंड बैराज, हुआ क्षतिग्रस्त
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Published : Aug 22, 2019, 1:41 PM IST

यमुनानगर: जीवनदायिनी यमुना जब उफान पर होती है तो क्या दिल्ली और क्या हरियाणा सभी जगह लोगों की धड़कनें तेज हो जाती हैं. यमुना से आए पानी से दिल्ली और हरियाणा के कई हिस्सों में पानी भर गया है. तीन दिन पहले यमुना में उफान इतना था कि पानी ने हथिनीकुंड बैराज को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.

20 साल पहले बना हथिनीकुंड बैराज उफनती यमुना से क्षतिग्रस्त

36 घंटे तेज बहाव झेलने के बाद क्षतिग्रस्त हुआ बैराज
बैराज के कुछ हिस्से की सुरक्षा के लिए बनाई गई स्पॉटिंग वॉल और सीमेंट के स्टड बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं. लगातार 36 घंटे तक पानी का तेज बहाव सहन करने वाले इस बैराज की क्षमता 9 लाख 95 हजार क्यूसेक है. अब तक बैराज ने 8 लाख 28 हजार क्यूसेक पानी का बहाव सहन किया है, लेकिन अगर पानी थोड़ा और ज्यादा बढ़ जाता तो बैराज के लिए खतरा साबित हो सकता था.

उफनती यमुना से हथिनीकुंड बैराज क्षतिग्रस्त
बैराज को कई तरह से नुकसान हुआ है. बैराज के आसपास वैसे तो माइनिंग पर बैन लगा है, बावजूद इसके खनन माफिया ने बैराज के आसपास के कई हिस्सों में माइनिंग करके बैराज को कमजोर किया है. बैराज के लगभग 3 किलोमीटर एरिया पर माइनिंग विभाग की तरफ से बैन लगाया गया है. सेंट्रल वॉटर कमीशन की तरफ से भी इसके 2 किलोमीटर के एरिया पर खनन पर बैन है. इसके बावजूद खनन माफिया ने बैराज के आसपास भारी खनन किया है, जिससे बैराज को काफी नुकसान हुआ है.

20 साल पहले अस्तित्व में आया था बैराज
बता दें कि हथिनीकुंड बैराज आज से 20 साल पहले, ताजेवाला बैराज की जगह बनाया गया था. ताजेवाला बैराज 1873 में अग्रेजों ने बनाया था. ताजेवाला बैराज 126 साल पूरे करने के बाद 3 सितंबर 1978 में यमुना में आए पानी की रफ्तार सहन ना करते हुए बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके बाद हरियाणा सिंचाई विभाग ने इस ताजेवाला बैराज को कंडम घोषित कर दिया था, लेकिन उसके नए बैराज यानी की हथिनीकुंड बैराज को 1996 में बनाना शुरू किया गया था जो 1999 में बनकर तैयार हुआ था.

पानी कम होने पर होगा नुकसान का आंकलन
सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता हरिदेव कंबोज ने बताया कि बैराज के कुछ हिस्से को नुकसान हुआ है. इसके अलावा बैराज के इर्द-गिर्द सीसी ब्लॉक भी क्षतिग्रस्त हुए हैं. उन्होंने कहा कि अभी बैराज के आसपास पानी है जिस पर नुकसान का सही आंकलन अभी नहीं किया जा सका है. पानी कम होने के बाद भी नुकसान का आंकलन किया जा सकेगा.

यमुनानगर: जीवनदायिनी यमुना जब उफान पर होती है तो क्या दिल्ली और क्या हरियाणा सभी जगह लोगों की धड़कनें तेज हो जाती हैं. यमुना से आए पानी से दिल्ली और हरियाणा के कई हिस्सों में पानी भर गया है. तीन दिन पहले यमुना में उफान इतना था कि पानी ने हथिनीकुंड बैराज को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.

20 साल पहले बना हथिनीकुंड बैराज उफनती यमुना से क्षतिग्रस्त

36 घंटे तेज बहाव झेलने के बाद क्षतिग्रस्त हुआ बैराज
बैराज के कुछ हिस्से की सुरक्षा के लिए बनाई गई स्पॉटिंग वॉल और सीमेंट के स्टड बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं. लगातार 36 घंटे तक पानी का तेज बहाव सहन करने वाले इस बैराज की क्षमता 9 लाख 95 हजार क्यूसेक है. अब तक बैराज ने 8 लाख 28 हजार क्यूसेक पानी का बहाव सहन किया है, लेकिन अगर पानी थोड़ा और ज्यादा बढ़ जाता तो बैराज के लिए खतरा साबित हो सकता था.

उफनती यमुना से हथिनीकुंड बैराज क्षतिग्रस्त
बैराज को कई तरह से नुकसान हुआ है. बैराज के आसपास वैसे तो माइनिंग पर बैन लगा है, बावजूद इसके खनन माफिया ने बैराज के आसपास के कई हिस्सों में माइनिंग करके बैराज को कमजोर किया है. बैराज के लगभग 3 किलोमीटर एरिया पर माइनिंग विभाग की तरफ से बैन लगाया गया है. सेंट्रल वॉटर कमीशन की तरफ से भी इसके 2 किलोमीटर के एरिया पर खनन पर बैन है. इसके बावजूद खनन माफिया ने बैराज के आसपास भारी खनन किया है, जिससे बैराज को काफी नुकसान हुआ है.

20 साल पहले अस्तित्व में आया था बैराज
बता दें कि हथिनीकुंड बैराज आज से 20 साल पहले, ताजेवाला बैराज की जगह बनाया गया था. ताजेवाला बैराज 1873 में अग्रेजों ने बनाया था. ताजेवाला बैराज 126 साल पूरे करने के बाद 3 सितंबर 1978 में यमुना में आए पानी की रफ्तार सहन ना करते हुए बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके बाद हरियाणा सिंचाई विभाग ने इस ताजेवाला बैराज को कंडम घोषित कर दिया था, लेकिन उसके नए बैराज यानी की हथिनीकुंड बैराज को 1996 में बनाना शुरू किया गया था जो 1999 में बनकर तैयार हुआ था.

पानी कम होने पर होगा नुकसान का आंकलन
सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता हरिदेव कंबोज ने बताया कि बैराज के कुछ हिस्से को नुकसान हुआ है. इसके अलावा बैराज के इर्द-गिर्द सीसी ब्लॉक भी क्षतिग्रस्त हुए हैं. उन्होंने कहा कि अभी बैराज के आसपास पानी है जिस पर नुकसान का सही आंकलन अभी नहीं किया जा सका है. पानी कम होने के बाद भी नुकसान का आंकलन किया जा सकेगा.

Intro:एंकर जीवनदायनी यमुना जब उफान पर होती है तो सब जगह तबाही का मंजर ही दिखाई देता है।जहाँ छोड़े गए पानी से राजधानी दिल्ली और यमुना से सटे गावो में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है ।वही हथनीकुंड बैराज के इतिहास में लगातार 36 घँटे इतना तेज बाढ़ का पानी निकला है जिसने हथनीकुंड बैराज को भी कई जगह से क्षतिग्रस्त कर दिया है।सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहली बार हथनीकुंड के इतिहास में इतना पानी एक साथ 36 घँटे तेज़ रफ़्तार से चला है जिससे बैराज कई जगह से क्षतिग्रस्त हुआ है नुकसान का पूरा आंकलन पानी बन्द होने के बाद ही हो पायेगा।Body:वीओ सिंचाई विभाग के एक्सईएन हरिदेव कम्बोज ने बताया कि हथिनी कुंड बैराज 1996 में शुरू होगा 1999 में बना था। 1999 से ही यहाँ से पानी निकलने का काम चल रहा है इस बार जो है हाईएस्ट फ्लड वाटर 828072 क्यूसेक 18 अगस्त को शाम 6:00 बजे निकला है ।इससे पहले 2013 में 806464 क्यूसेक पानी निकला था पहले भी इसमें काफी डाउन स्ट्रीम डैमेज होने शुरू हो गई थी। और इस बार बहुत भारी मात्रा में हाईएस्ट फ्लड वॉटर यहां से निकला है।तो डाउन स्ट्रीम मेलॉंचिंग एप्रेन है डिवाइड वाल है।कर्टेन वाल इस टाइप से बहुत कुछ डैमेज हुआ है।पूरे नुकसान का आंकलन जब पानी बन्द हो जाएगा ।तब ही पता चल पाएगा।पूरा ध्यान रखा गया है।समय समय पर इसकी जांच की जाती है अधिकारियों को भी दिशा निर्देश दिए गए है। पहले यहां से पानी दिल्ली पहुंचने के लिए 72 घंटे लेता था लेकिन इस बार जो पानी का बहाव था लगातार 36 घंटे वह चला है जिसमें कि हमने 18 के 18 गेट खोल दिए थे। इतना लंबा समय आज तक हथिनी कुंड बैराज के इतिहास में लगातार पानी नहीं चला ।उसको लेकर हमने आंकलन लगाया था की वैसे तो ये पानी 72 घँटे में दिल्ली पहुँचता है लेकिन इस बार का आंकलन हमने यह लगाया था कि यह पानी दिल्ली एडवांस पहुंचेगा 70 घंटे से पहले पहुंचेगा और शायद वह पहुंच भी चुका हो।हम आपको बता दे कि लगातार 36 घंटे तक पानी का तेज बहाव सहन करने वाले इस बैराज की क्षमता 9लाख95हजार क्यूसिक है, और इसने 8लाख28हजार क्यूसेक पानी का बहाव सहन किया है। अगर पानी कुछ और बढ़ जाता तो यह बैराज के लिए भी खतरा हो सकता था। बैराज को कई तरह से नुकसान हुआ है।


बाइट हरिदेव कंबोज एक्सईएन सिंचाई विभाग।
Conclusion:
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