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रादौर में बढ़ा पीले रतुए की बिमारी का खौफ, कृषि विभाग ने जारी किया अलर्ट

मौसम में अचानक आए बदलाव ने किसानों की समस्या भी बढ़ा दी है. बदले हुए मौसम का असर गेहूं की फसल पर देखने को मिल रहा है. जिससे रादौर क्षेत्र में गेहूं की फसल तेजी से पीले रतुए की गिरफ्त में आ रही है.

फसलों पर छाया पीले रतुए का साया!
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Published : Mar 24, 2019, 11:19 AM IST

यमुनानगर: मौसम में अचानक आए बदलाव ने किसानों की समस्या भी बढ़ा दी है. बदले हुए मौसम का असर गेहूं की फसल पर देखने को मिल रहा है. जिससे रादौर क्षेत्र में गेहूं की फसल तेजी से पीले रतुए की गिरफ्त में आ रही है.

फसलों पर छाया पीले रतुए का साया!

आर्थिक नुकसान के बोझ तले दबा किसान!
किसानों का कहना है कि फसल पर आई इस बिमारी से उन्हें इस बार काफी आर्थिक नुक्सान झेलना पड़ेगा. वहीं रादौर कृषि विभाग के कृषि विकास अधिकारी संजीव कुमार ने किसानों को इस बिमारी से फसल को बचाने के टिप्स दिए हैं.

पीले रतुए से फसलों को बचाने के उपाय-
उन्होंने बताया किसानों को बताया कि बीमारी से अपनी फसल को बचाने के लिए प्रोपिजोंनाकॉल दवाई को 250 एमएल प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करें. इसके अलावा फसल में पानी की मात्रा को कम न करे पानी की मात्रा सही होने पर ही दवाई फसल पर आई बीमारी पर असर दिखा पाएगी.

यमुनानगर: मौसम में अचानक आए बदलाव ने किसानों की समस्या भी बढ़ा दी है. बदले हुए मौसम का असर गेहूं की फसल पर देखने को मिल रहा है. जिससे रादौर क्षेत्र में गेहूं की फसल तेजी से पीले रतुए की गिरफ्त में आ रही है.

फसलों पर छाया पीले रतुए का साया!

आर्थिक नुकसान के बोझ तले दबा किसान!
किसानों का कहना है कि फसल पर आई इस बिमारी से उन्हें इस बार काफी आर्थिक नुक्सान झेलना पड़ेगा. वहीं रादौर कृषि विभाग के कृषि विकास अधिकारी संजीव कुमार ने किसानों को इस बिमारी से फसल को बचाने के टिप्स दिए हैं.

पीले रतुए से फसलों को बचाने के उपाय-
उन्होंने बताया किसानों को बताया कि बीमारी से अपनी फसल को बचाने के लिए प्रोपिजोंनाकॉल दवाई को 250 एमएल प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करें. इसके अलावा फसल में पानी की मात्रा को कम न करे पानी की मात्रा सही होने पर ही दवाई फसल पर आई बीमारी पर असर दिखा पाएगी.

Intro:मौसम में बदलाव का गेहूं की फसल पर प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है जिससे रादौर क्षेत्र में गेहूँ की फसल तेजी से पीले रतुए(येलो रस्ट) की गिरफ्त में आ रही है। फसल पर आई बिमारी ने किसानो की भी चिंता बढ़ा दी है। किसानो का कहना है की बिमारी से फसल को बचाने के उनके द्वारा किये जा रहे सभी प्रयास विफल साबित हो रहे है। पुरे यमुनानगर जिले की अगर बात करे तो इस बिमारी का सबसे ज्यादा असर रादौर क्षेत्र में ही देखने को मिल रहा है। जिसके चलते अब कृषि विभाग ने भी अलर्ट जा कर दिया है। Body:पीले रतुए की चपेट में आई फसल देख किसान अपनी मेहनत को यूँ बर्बाद होती देख किसानो के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ देखी जा रही है। किसानो का कहना है की फसल पर आई इस बिमारी से उन्हें इस बार काफी आर्थिक नुक्सान झेलना पड़ेगा। वही रादौर कृषि विभाग के कृषि विकास अधिकारी संजीव कुमार ने किसानो को इस बिमारी से फसल को बचाने के टिप्स दिए है। उन्होंने कहा की किसान बीमारी से अपनी फसल को बचाने के लिए प्रोपिजोंनाकॉल दवाई को 250 एमएल प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करें और दूसरा फसल में पानी की मात्रा को कम न करे पानी की मात्रा सही होने पर ही दवाई फसल पर आई बीमारी पर असर दिखा पाएगी। Conclusion:हिमाचल से स्टे होने के कारण इस वायरस का यमुनानगर, अम्बाला व पंचकूला में ज्यादा खतरा रहता है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक़ इस वर्ष 90 हजार एकड़ में गेहूँ की फसल की बिजाई हुई है। इस बार पीले रतुए का असर गत वर्ष की अपेक्षा ज्यादा देखने को मिल रहा है। ऐसे में कृषि विभाग को इस बिमारी पर कंट्रोल के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
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