सोनीपत: दिल्ली बॉर्डर पर तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर जारी हुआ आंदोलन अब अन्य मांगों पर आकर थम सा गया है. आंदोलन के भविष्य को लेकर मंगलवार को सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक (samyukt kisan morcha meeting) हुई. इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के सभी नेता मौजूद रहे. बैठक में फैसला लिया गया कि आंदोलन अभी जारी रहेगा और मोर्चा की अगली बैठक कल यानि बुधवार को दोपहर 2 बजे होगी.
बैठक के बाद किसान नेता योंगेद्र यादव (yogendra yadav) ने कहा कि दो सप्ताह के बाद सरकार की चुप्पी टूटी है. हमने जो 6 मुद्दे लिखकर सरकार के पास भेजे थे उस पर सरकार की ओर से औपचारिक जवाब आया है. आज हमने एक- एक बिंदु पर गहन चर्चा की है, बातचीत अभी अधूरी है इसलिए कल दोपहर 2 बजे फिर से बैठक होगी. तब तक शायद कोई स्पष्टीकरण आ जाए और हमारी आपसी बातचीत से भी कोई हल निकले. मुझे उम्मीद है कि हम किसी सकारात्मक निर्णय की तरफ बढ़ेंगे.
बता दें कि, किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर 6 मांगे रखी थीं, उन 6 सूत्रीय मांगों पर भारत सरकार की तरफ से किसान नेताओं को जवाब आ गया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों की मांग पर विचार किया जा रहा है और सरकार पहले ही MSP को लेकर कमेटी बनाने का ऐलान कर चुकी है. सरकार की ओर से किसानों को जो जवाबी पत्र लिखा गया है उसमें कहा गया है कि MSP पर प्रधानमंत्री ने खुद और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है, जिस कमेटी में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक सम्मिलत होंगे. हम इसमें साफ करना चाहते हैं कि किसान प्रतिनिधि में SKM के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
इसके अलावा कहा गया है कि जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के केसों का सवाल है यूपी सरकार और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि आंदोलन वापस खींचने के बाद तत्काल ही केस वापस लिए जाएंगे. साथ ही किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और संघ प्रदेश क्षेत्र के आंदोलन के केस पर भी आंदोलन वापस लेने के बाद केस वापस लेने पर सहमति बनी है. मुआवजे का जहां तक सवाल है, इसके लिए भी हरियाणा और यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है. दोनों विषयों के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा कर दी है. जहां तक इलेक्ट्रिसिटी बिल का सवाल है, संसद में पेश करने से पहले इसे लेकर सभी स्टेकहोल्डर्स की राय ली जाएगी.
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इसके अलावा कहा गया है कि जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के केसों का सवाल है यूपी सरकार और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि आंदोलन वापस खींचने के बाद तत्काल ही केस वापस लिए जाएंगे. साथ ही किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और संघ प्रदेश क्षेत्र के आंदोलन के केस पर भी आंदोलन वापस लेने के बाद केस वापस लेने पर सहमति बनी है. वहीं पराली के मुद्दे पर सरकार ने कहा कि केंद्र ने जो कानून पारित किया है उसकी धारा 14 एवं 15 में क्रिमिलन लाइबिलिटी से किसान को मुक्ति दी गई है.
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