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बीजेपी के पक्ष में नहीं आया जजपा का वोट बैंक, कांग्रेस ने अपने पाले में किया

बरोदा उपचुनाव में जजपा का वोट बैंक बीजेपी के पक्ष में आने के बजाय कांग्रेस के पाले में चला गया. यही कांग्रेस की जीत की बड़ी वजह भी बनी.

baroda by election JJP vote bank
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Published : Nov 11, 2020, 9:36 AM IST

सोनीपत: बरोदा उपचुनाव में जननायक जनता पार्टी (जजपी) गठबंधन के प्रत्याशी पहलवान योगेश्वर दत्त के पक्ष में अपने वोट बैंक को डायवर्ट नहीं करा पाई. वर्ष 2019 के चुनाव में जजपा को 32 हजार और भाजपा को 37 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. इस बार दोनों एक साथ थे, लेकिन भाजपा को अपेक्षित वोट नहीं मिले.

कांग्रेस ने डायवर्ट किया जजपा का वोट बैंक

इसके विपरीत 2019 के चुनाव में कांग्रेस का जो वोट बैंक जजपा की तरफ डायवर्ट हो गया था. इस चुनाव में कांग्रेस उसे फिर से अपने पाले में करने में कामयाब रही. यही कांग्रेस की जीत की बड़ी वजह भी बनी. बरोदा हलके के अब तक 14 चुनावों में इस बार कांग्रेस को सर्वाधिक (60,636) वोट मिले हैं.

बरोदा हलका 1977 से 2009 तक पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल और उनके परिवार का गढ़ था. 2009 में हलका सामान्य हुआ और इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जादू बरोदा के लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा. हुड्डा के आशीर्वाद से किलोई हलके के गांव खिड़वाली के रहने वाले श्रीकृष्ण हुड्डा यहां से लगातार तीन बार विधायक बने. 2009 के विधानसभा चुनाव में बरोदा से श्रीकृष्ण हुड्डा रिकार्ड 56,226 वोट लेकर विधायक बने थे.

ये भी पढ़ें- जहरीली शराब मौत मामला: पांच टीमें कर रही छापेमारी, मुख्य आरोपी अभी भी फरार

इसके बाद 2014 के चुनाव में 50,530 वोट लेकर विधायक बने. 2019 के चुनाव में फिर श्रीकृष्ण हुड्डा 42,556 वोट लेकर विधायक बने. तीनों बार जीत का अंतर कम होता चला गया था. 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर 4840 वोटों से हार गए थे, लेकिन उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के गढ़ में 37,226 वोट लेकर सबको चौंका दिया था. इस चुनाव में जजपा प्रत्याशी भूपेंद्र मलिक को 32,480 वोट मिले थे.

प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार है. उपचुनाव में गठबंधन से भाजपा की टिकट पर पहलवान योगेश्वर दत्त मैदान में थे. गठबंधन के दिग्गज नेता जब भी चुनाव प्रचार में आते तब 2019 के चुनाव में योगेश्वर को मिली 37,226 और भूपेंद्र मलिक को मिली 32,480 वोटों को जोड़ कर 70 हजार से अधिक वोट देने के दावे करते थे, लेकिन मंगलवार शाम को जब चुनाव परिणाम घोषित हुआ तो जजपा का वोट भाजपा प्रत्याशी की तरफ डायवर्ट नहीं होकर कांग्रेस की तरफ चला गया.

इंदुराज ने बनाया सर्वाधिक वोट लेने का रिकार्ड

बरोदा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल ने सर्वाधिक वोट लेने का रिकार्ड बनाया. इससे पहले ये रिकार्ड श्रीकृष्ण हुड्डा के नाम था. 1987 के चुनाव में बरोदा के एलकेडी के प्रत्याशी डॉ. कृपाराम पूनिया ने 50,882 वोट लेकर सर्वाधिक वोटों का रिकार्ड अपने नाम किया था, जिसे 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा ने 56,226 वोट लेकर तोड़ दिया था. अब उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल ने 60,636 वोट लेकर रिकार्ड अपने नाम कर लिया.

नहीं टूट पाया सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकार्ड

उपचुनाव में भले ही कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज ने सर्वाधिक वोट लेने का रिकार्ड बनाया, लेकिन सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकार्ड वे भी नहीं तोड़ पाए. वर्ष 1987 के उपचुनाव में एलकेडी प्रत्याशी डॉ. कृपाराम पूनिया ने रिकार्ड 37,025 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. इसके बाद वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा ने 25,343 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर डॉ. पूनिया के रिकार्ड तक पहुंचने की कोशिश की थी. इस उपचुनाव में इंदुराज की जीत का अंतर करीब साढ़े दस हजार वोट रहा.

कांग्रेस की जीत के मुख्य कारण -

  • कृषि कानूनों का मुद्दा और किसानों की धान की फसल के उचित भाव नहीं मिलना.
  • पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा की बरोदा में अच्छी पकड़ होना.
  • लोगों की मांग पर स्थानीय नेता को टिकट देना.
  • पांच साल तक बरोदा की विकास की अनदेखी का मुद्दा.
  • जाट वोटबैंक के साथ गैरजाटों का भी विश्वास जीतना.

ये भी पढ़ें- राजकुमार सैनी समेत 12 की जमानत जब्त, नोटा को 10 प्रत्याशियों से ज्यादा वोट मिले

सोनीपत: बरोदा उपचुनाव में जननायक जनता पार्टी (जजपी) गठबंधन के प्रत्याशी पहलवान योगेश्वर दत्त के पक्ष में अपने वोट बैंक को डायवर्ट नहीं करा पाई. वर्ष 2019 के चुनाव में जजपा को 32 हजार और भाजपा को 37 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. इस बार दोनों एक साथ थे, लेकिन भाजपा को अपेक्षित वोट नहीं मिले.

कांग्रेस ने डायवर्ट किया जजपा का वोट बैंक

इसके विपरीत 2019 के चुनाव में कांग्रेस का जो वोट बैंक जजपा की तरफ डायवर्ट हो गया था. इस चुनाव में कांग्रेस उसे फिर से अपने पाले में करने में कामयाब रही. यही कांग्रेस की जीत की बड़ी वजह भी बनी. बरोदा हलके के अब तक 14 चुनावों में इस बार कांग्रेस को सर्वाधिक (60,636) वोट मिले हैं.

बरोदा हलका 1977 से 2009 तक पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल और उनके परिवार का गढ़ था. 2009 में हलका सामान्य हुआ और इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जादू बरोदा के लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा. हुड्डा के आशीर्वाद से किलोई हलके के गांव खिड़वाली के रहने वाले श्रीकृष्ण हुड्डा यहां से लगातार तीन बार विधायक बने. 2009 के विधानसभा चुनाव में बरोदा से श्रीकृष्ण हुड्डा रिकार्ड 56,226 वोट लेकर विधायक बने थे.

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इसके बाद 2014 के चुनाव में 50,530 वोट लेकर विधायक बने. 2019 के चुनाव में फिर श्रीकृष्ण हुड्डा 42,556 वोट लेकर विधायक बने. तीनों बार जीत का अंतर कम होता चला गया था. 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर 4840 वोटों से हार गए थे, लेकिन उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के गढ़ में 37,226 वोट लेकर सबको चौंका दिया था. इस चुनाव में जजपा प्रत्याशी भूपेंद्र मलिक को 32,480 वोट मिले थे.

प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार है. उपचुनाव में गठबंधन से भाजपा की टिकट पर पहलवान योगेश्वर दत्त मैदान में थे. गठबंधन के दिग्गज नेता जब भी चुनाव प्रचार में आते तब 2019 के चुनाव में योगेश्वर को मिली 37,226 और भूपेंद्र मलिक को मिली 32,480 वोटों को जोड़ कर 70 हजार से अधिक वोट देने के दावे करते थे, लेकिन मंगलवार शाम को जब चुनाव परिणाम घोषित हुआ तो जजपा का वोट भाजपा प्रत्याशी की तरफ डायवर्ट नहीं होकर कांग्रेस की तरफ चला गया.

इंदुराज ने बनाया सर्वाधिक वोट लेने का रिकार्ड

बरोदा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल ने सर्वाधिक वोट लेने का रिकार्ड बनाया. इससे पहले ये रिकार्ड श्रीकृष्ण हुड्डा के नाम था. 1987 के चुनाव में बरोदा के एलकेडी के प्रत्याशी डॉ. कृपाराम पूनिया ने 50,882 वोट लेकर सर्वाधिक वोटों का रिकार्ड अपने नाम किया था, जिसे 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा ने 56,226 वोट लेकर तोड़ दिया था. अब उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल ने 60,636 वोट लेकर रिकार्ड अपने नाम कर लिया.

नहीं टूट पाया सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकार्ड

उपचुनाव में भले ही कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज ने सर्वाधिक वोट लेने का रिकार्ड बनाया, लेकिन सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकार्ड वे भी नहीं तोड़ पाए. वर्ष 1987 के उपचुनाव में एलकेडी प्रत्याशी डॉ. कृपाराम पूनिया ने रिकार्ड 37,025 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. इसके बाद वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा ने 25,343 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर डॉ. पूनिया के रिकार्ड तक पहुंचने की कोशिश की थी. इस उपचुनाव में इंदुराज की जीत का अंतर करीब साढ़े दस हजार वोट रहा.

कांग्रेस की जीत के मुख्य कारण -

  • कृषि कानूनों का मुद्दा और किसानों की धान की फसल के उचित भाव नहीं मिलना.
  • पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा की बरोदा में अच्छी पकड़ होना.
  • लोगों की मांग पर स्थानीय नेता को टिकट देना.
  • पांच साल तक बरोदा की विकास की अनदेखी का मुद्दा.
  • जाट वोटबैंक के साथ गैरजाटों का भी विश्वास जीतना.

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