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मां को लगता था इस खेल से डर, बेटे का हुआ भारतीय टीम में चयन

स्पेन में आयोजित होने वाली अमेरिकन फुटबॉल अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारत की टीम में गोहाना के रहने वाले सुमित मलिक का चयन हुआ है. सुमित के परिवार में खुशी का माहौल है. परिवार वालों को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.

sumit malik
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Published : Jul 5, 2019, 7:59 PM IST

सोनीपत: गोहाना के रहने वाले सुमित का चयन चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में हुए ट्रॉयल के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने पर किया गया है. स्पेन में आयोजित होने वाली ये अमेरिकन फुटबॉल चैंपियनशिप 2 जुलाई से 7 जुलाई तक चलेगी.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

क्या है अमेरिकन फुटबॉल?
अमेरिकन फुटबॉल खेल ग्यारह खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच खेला जाने वाला खेल है जिसमें हर टीम का उद्देश्य है कि वह गेंद को दूसरी टीम के एण्ड जोन में पहुंचाकर अंक बटोरे. जिस टीम के पास गेंद पर कब्जा होता है, वह गेंद के साथ दौड़कर या अपने साथियों में आपस में गेंद फेंककर उसे विरोधी टीम के ऍण्ड जोन तक बढ़ाने की कोशिश करती है.

अगर उस टीम का कोई खिलाड़ी गेंद पकड़े हुए गोल की लकीर को पार करके विरोधी के ऍण्ड जोन में पहुंच जाता है या ऍण्ड जोन के अन्दर खड़ा हुआ अपने साथी द्वारा फेंकी गई गेंद को सफलतापूर्वक पकड़ लेता है या फिर मैदान से गोल की लकीर के पीछे बने दो खम्बों के बीच से गेंद को लात मारकर पहुंचा देता है तो उसकी टीम को अंक मिलते हैं. विरोधी टीम का काम है कि टक्कर मारकर, गिराकर या बीच में आकर फेंकी गई गेंद को पकड़कर किसी तरह गेंद पर कब्जा करे या विरोधी टीम को अपनी टीम के ऍण्ड जोन की तरफ बढ़ने से रोके. सुमित भी यही खेल खेलते हैं.

मां को लगता था खेल से डर
देवीलाल शुगर मिल में फीडर के पद पर कार्यरत सुमित के पिता सतबीर मलिक ने बताया कि उनके बेटे सुमित का चंडीगढ यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान ही अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टीम में चयन हुआ. शुरू से ही सुमित को फुटबॉल खेलने का शौक रहा है. कई बार उनकी मां ने उनको फुटबॉल जैसा खतरनाक खेल खेलने से भी मना किया.

पिता जब वालीबॉल खेलने मैदान में जाते तो सुमित वॉलीवाल को फुटबॉल बनाकर खेलने लग जाता था, खेल के प्रति रुचि देख परिवार ने कभी खेलने से नहीं रोका. गोहाना में एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई के उपरांत शाम के समय सुमित देवीलाल स्टेडियम में अभ्यास करने जाता था.

बढ़िया प्रदर्शन की है उम्मीद
स्कूल से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसने चंडीगढ यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. यूनिवर्सिटी में कोच की देखरेख में फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया. बेहतरीन खेल प्रदर्शन के चलते यूनिवर्सिटी की टीम में खेलते हुए सुमित ने वर्ष 2016 में पटियाला और 2018 में भुनेश्वर में हुई प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन किया था. वहीं एक बार सुमित से उम्मीद हैं कि वो स्पेन में भी बढ़िया प्रदर्शन कर देश और प्रदेश का मान बढ़ाएंगे.

सोनीपत: गोहाना के रहने वाले सुमित का चयन चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में हुए ट्रॉयल के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने पर किया गया है. स्पेन में आयोजित होने वाली ये अमेरिकन फुटबॉल चैंपियनशिप 2 जुलाई से 7 जुलाई तक चलेगी.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

क्या है अमेरिकन फुटबॉल?
अमेरिकन फुटबॉल खेल ग्यारह खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच खेला जाने वाला खेल है जिसमें हर टीम का उद्देश्य है कि वह गेंद को दूसरी टीम के एण्ड जोन में पहुंचाकर अंक बटोरे. जिस टीम के पास गेंद पर कब्जा होता है, वह गेंद के साथ दौड़कर या अपने साथियों में आपस में गेंद फेंककर उसे विरोधी टीम के ऍण्ड जोन तक बढ़ाने की कोशिश करती है.

अगर उस टीम का कोई खिलाड़ी गेंद पकड़े हुए गोल की लकीर को पार करके विरोधी के ऍण्ड जोन में पहुंच जाता है या ऍण्ड जोन के अन्दर खड़ा हुआ अपने साथी द्वारा फेंकी गई गेंद को सफलतापूर्वक पकड़ लेता है या फिर मैदान से गोल की लकीर के पीछे बने दो खम्बों के बीच से गेंद को लात मारकर पहुंचा देता है तो उसकी टीम को अंक मिलते हैं. विरोधी टीम का काम है कि टक्कर मारकर, गिराकर या बीच में आकर फेंकी गई गेंद को पकड़कर किसी तरह गेंद पर कब्जा करे या विरोधी टीम को अपनी टीम के ऍण्ड जोन की तरफ बढ़ने से रोके. सुमित भी यही खेल खेलते हैं.

मां को लगता था खेल से डर
देवीलाल शुगर मिल में फीडर के पद पर कार्यरत सुमित के पिता सतबीर मलिक ने बताया कि उनके बेटे सुमित का चंडीगढ यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान ही अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टीम में चयन हुआ. शुरू से ही सुमित को फुटबॉल खेलने का शौक रहा है. कई बार उनकी मां ने उनको फुटबॉल जैसा खतरनाक खेल खेलने से भी मना किया.

पिता जब वालीबॉल खेलने मैदान में जाते तो सुमित वॉलीवाल को फुटबॉल बनाकर खेलने लग जाता था, खेल के प्रति रुचि देख परिवार ने कभी खेलने से नहीं रोका. गोहाना में एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई के उपरांत शाम के समय सुमित देवीलाल स्टेडियम में अभ्यास करने जाता था.

बढ़िया प्रदर्शन की है उम्मीद
स्कूल से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसने चंडीगढ यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. यूनिवर्सिटी में कोच की देखरेख में फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया. बेहतरीन खेल प्रदर्शन के चलते यूनिवर्सिटी की टीम में खेलते हुए सुमित ने वर्ष 2016 में पटियाला और 2018 में भुनेश्वर में हुई प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन किया था. वहीं एक बार सुमित से उम्मीद हैं कि वो स्पेन में भी बढ़िया प्रदर्शन कर देश और प्रदेश का मान बढ़ाएंगे.

Intro:एंकर- स्पेन में आज से आयोजित होने वाली फुटबॉल अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारत की टीम में गोहाना के रहने वाले सुमित मलिक का चयन हुआ है भारत की टीम में चयन होने से सुमित में परिवार में खुसी का माहौल है परिवार वालो को बधाई देने वालो का ताता लगा हुआ है गोहाना के रहने वाले सुमित का चयन चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में हुए ट्राॅयल के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने पर किया गया है 2 जुलाई से 7 जुलाई तक स्पेन में आयोजित होने वाली फुटबॉल चैंपियनशिप स्पेन में सुमित मलिक भारतीय टीम में खेलते हुए अपनी काबिलियत के दम पर प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे स्पैन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता 2 जुलाई से सात जुलाई तक चलेगी। परिवार को जैसे ही सुमित ने काल करके बताया कि उसका अंतरराष्ट्रीय टीम के लिए चयन हो गए है तो परिवार के सदस्यों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई Body:वि ओ :- वहीं सुमित के पिता सतबीर मलिक गोहाना में आहुलाना में स्थित देवीलाल शुगर मिल में फीडर के पद पर कार्यरत है। पिताजी सतबीर ने बताया कि उनके बेटे सुमित का चंडीगढ यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान ही अंतरराष्ट्रीय फुटबाल टीम में सलेक्शन हुआ है, शुरू से ही सुमित को फुटबाॅल खेलने का शौक रहा है। हालांकि कई बार उनकी माँ ने उनको फुटबाल जैसा खतरनाक खेल खेलने से भी मना किया , लेकिन अपने परिवार के मर्यादित दायरे को कभी न लांघने के वादे ने पढ़ाई और खेल का सुपर हीरो बना दिया । पिछले कुछ दिनों पहले ही यूनिवर्सिटी में सीएसआईटी वर्ल्ड स्पोर्ट्स के लिए टीम का चयन करने के लिए ट्राॅयल लिए गए थे। ट्राॅयल में सुमित के बेहतर प्रदर्शन को देखकर उसका चयन भारतीय टीम ग्रीडीरोन के लिए किया गया है...

बाईट - जसवंती मलिक सुमित की माँ
वि ओ :-छोटी सी उम्र में सुमित की फुटबाल में बहुत रूचि रही है।पिताजी वॉलीबॉल खेलने कब मैदान में जाते तो सुमित वॉलीवाल को फुटबाल बनाकर खेलने लग जाता था, खेल के प्रति रुचि देख परिवार ने कभी खेलने से नही रोका। गोहाना में एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई के उपरांत शाम के समय सुमित देवीलाल स्टेडियम में अभ्यास करने जाता था। स्कूल से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसने चंडीगढ यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ आर्किटेक्ट में दाखिला लिया। यूनिवर्सिटी में कोच की देखरेख में फुटबाॅल खेलना शुरू कर दिया। बेहतरीन खेल प्रदर्शन के चलते यूनिवर्सिटी की टीम में खेलते हुए सुमित ने वर्ष 2016 में पटियाला और 2018 में भुनेश्वर में हुई प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन किया।
बाईट - निशा मलिक सुमित की बड़ी बहन
बाईट - बेदो सुमित की दादी
Conclusion:
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