सोनीपत: प्रदेश सरकार की ई-टेंडरिंग (E tendering policy in Haryana) और राइट टू रिकॉल पॉलिसी (right to recall policy in Haryana) को लेकर सरपंच सरकार के खिलाफ लगातार हल्ला बोल रहे हैं. इसको लेकर सरपंच 15 जनवरी को फतेहाबाद के टोहाना में एक महा पंचायत करेंगे, जिसमें सरकार की इन पॉलिसी के विरोध को लेकर रणनीति बनाई जाएगी. टोहाना के कई गांवों के सरपंच गुरुवार को सोनीपत के बीडीपीओ कार्यालय में चल रहे सरपंचों के धरने पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल व्यवस्था को वापस लेने की मांग की. इन्हें वापस नहीं लेने पर सरपंचों ने ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे शराब के ठेकों को बंद करने के संकेत दिए हैं.
हरियाणा में पहले ही पंचायत चुनाव 2 साल की देरी से हुए हैं और अभी तक किसी भी गांव में विकास कार्य सुचारू रूप से शुरू नहीं हुए हैं. क्योंकि सरपंच सरकार की ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल स्कीम को लेकर सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. इस मामले में 15 जनवरी को टोहाना में एक महापंचायत होगी, जिसमें सरपंच सरकार के खिलाफ किसी बड़े आंदोलन की तैयारी में जुटे हैं.
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सोनीपत बीडीपीओ कार्यालय में टोहाना के कई गांवों के सरपंच टोहाना में होने वाली महापंचायत का न्यौता देने प्रदर्शनकारी सरपंचों के पास पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी, तो वह सरकार के खिलाफ बड़ा फैसला ले सकते हैं. इसके तहत सरपंच ग्रामीण क्षेत्र में चल रहे ठेकों को भी बंद कर सकते हैं, जिससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान होगा.
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इस मौके पर सरपंच रणबीर, राकेश और जिला पार्षद संजय ने कहा कि ई-टेंडरिंग से गांव के विकास कार्यों में परेशानी होगी और इससे गांव के विकास कार्य समय पर नहीं हो सकेंगे. ई-टेंडरिंग व्यवस्था से गांव के विकास कार्यों में तेजी नहीं आ पाएगी, ठेकेदार अच्छे से काम नहीं करा पाएंगे. वहीं राइट टू रिकॉल से गांव का भाईचारा बिगड़ेगा, क्योंकि जब कोई सरपंच जीतकर आता है, तो वह मात्र 35 से 40 प्रतिशत वोट ही ले पाता है. चुनाव के दौरान दो से तीन प्रतिशत वोट खारिज हो जाते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार गांव की छोटी सरकार को परेशान करना चाहती है. ग्रामीण क्षेत्र के विकास कार्यों को बाधित करना चाहती है, इसलिए इस तरह की व्यवस्था कर रही है.