सोनीपत: दिल्ली की सीमा पर किसानों ने करीब एक साल तक आंदोलन किया. इसके बाद सरकार और किसानों के बीच कुछ मुद्दों को लेकर सहमति बनी जिसके बाद किसान इस आंदोलन को स्थगित कर दिया गया. हालांकि इस आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कुछ किसानों की मौत गई थी. इसी मामले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को आज एक बार फिर चेताया कि लखीमपुर खीरी प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो अन्यथा किसान एक बार फिर लखीमपुर खीरी में अपने पक्के मोर्चे लगाएंगे.
दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बुधवार को एक बार फिर सोनीपत से लखीमपुर खीरी रवाना हो हुए. लखीमपुर खीरी रवाना होने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सोनीपत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किसान नेताओं ने सरकार को चेताया कि लखीमपुर खीरी के पीड़ितों और गवाहों को सरकार टारगेट कर रही है. किसान मोर्चा ये सब कत्तई बर्दाश्त नही करेगा. पीड़ित परिवारों को लगातार सरकार के अधिकारी धमका रहे हैं. गवाहों को बेवजह टारगेट किया जा रहा है जिसके चलते आज उनको लखीमपुर खीरी जाना पड़ रहा है. अगर सरकार ने अपनी मंशा साफ नहीं की तो सरकार के खिलाफ वहां पर पक्के मोर्चे लगाए जाएंगे.
किसान नेता जगजीत सिंह व अन्य किसान नेताओ ने बताया कि सरकार और सरकार के अधिकारी लखीमपुर प्रकरण के पीड़ितों को बेवजह टारगेट कर रहे हैं जिसके चलते संयुक्त किसान मोर्चा ने यह फैसला लिया है कि कल लखीमपुर खीरी में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता व कार्यकर्ता पहले तो पीड़ित परिवारों से मुलाकात करेंगे. बाद में वह जेल में बंद किसानों से मुलाकात करके उनका हालचाल जानेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रकरण में दबाव बनाना चाह रही है ताकि इस घटना में जान गवाने वाले लोगों को इंसाफ ना मिल सके.
सरकार की मंशा साफ है कि किसी तरह केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और उसके बेटे को बचाया जा सके. हम सरकार से लगातार यह कह रहे हैं कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए ताकि वह अपने पद का दुरुपयोग ना कर सके. उन्होंने कहा कि सरकार से उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं लग रही है जिसके चलते वो कल लखीमपुर खीरी तय कार्यक्रम के तहत ही बैठक करने जा रहे हैं.
जगजीत सिंह दल्लेवाल ने चुनाव लड़ने वाले और चुनाव लड़ाने वाले किसान नेताओं पर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सफाई देते हुए कहा कि 15 मई तक सभी किसान नेताओं को सिर्फ किसान मोर्चा से बाहर कर रखा है. जल्द ही चुनाव लड़ने वाले और चुनाव लड़ाने वाले किसान नेताओं पर फैसला लेने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा एक बैठक करने जा रहा है. किसान नेता जिन्होंने चुनाव लड़ा है उनके जाने से संयुक्त किसान मोर्चा पर कोई असर नहीं पड़ा है.
वहीं उन्होंने कहा कि सरकार ने जो उनसे वायदे किए थे कि एमएसपी गारंटी कानून पर बनाई जाने वाली कमेटी में किसान कौन- कौन शामिल होंगे उनके नाम दिए जाएं. वह नाम हम तय कर चुके हैं लेकिन सरकार ने इसकी रूपरेखा तय नहीं की है. इसके लिए हम दोबारा से किसानों को इकट्ठा कर रहे हैं ताकि सरकार को एक बार फिर चेताया जाए कि किसान आंदोलन स्थगित हुआ है खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर किसी भी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सकता है.
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