सोनीपत: दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का अपनी मांगों को लेकर आंदोलन अभी भी जारी है. हालांकि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिए है. आंदोलन के भविष्य को लेकर बुधवार को सोनीपत में कुंडली बॉर्डर पर पंजाब की 32 जत्थेबंदियों की बैठक (punjab farmers union meeting) हुई. इस बैठक में पंजाब की जत्थेबंदियों ने किसान आंदोलन की रूपरेखा के बारे में चर्चा की. पंजाब की जत्थेबंदियों ने बैठक खत्म होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें किसान नेताओं ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम को लिखित चिट्ठी भेजी है.
उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जाती है और सरकार हमें लिखित में आश्वासन नहीं भेजती है, तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा. किसान नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार एमएसपी पर कमेटी बनाना चाह रही है, किसानों पर दर्ज मुकदमे और आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों की जिम्मेदारी राज्यों को सौंपना चाहती है.
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इसके अलावा किसान नेताओं ने बताया कि सोशल मीडिया पर पंजाब के किसानों के जाने की झूठी अफवाएं फैलाई जा रही हैं. उनको हम बता देना चाहते है कि पूरे देश का किसान अभी भी एकजुट है और संयुक्त किसान मोर्चा के साथ मजबूती से खड़ा है. किसान नेताओं ने बताया कि एमएसपी की गारंटी कानून (Law on MSP) हमारे लिए अब बड़ा मुद्दा है और 4 दिसंबर तक सरकार हमारी सभी मांगें मान लें तो हम लौट जाएंगे. वहीं 3 दिसंबर को एक बार फिर पंजाब की 32 जाथेबंदिया बैठक होगी.
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघु बॉर्डर पर आज 40 किसान संगठनों की इमरजेंसी बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में इस बैठक को रद्द कर दिया गया. वहीं हरियाणा के किसान संगठनों और पंजाब के किसान संगठनों ने बुधवार को अलग-अलग बैठकें की हैं. पंजाब की 32 जत्थेबंदियों ने मंगलवार को भी सिंघु बॉर्डर पर बैठक की थी. जिसके बाद किसान नेता सतनाम सिंह ने बताया था कि केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की कमेटी के लिए पांच नाम मांगे हैं. साथ ही गृह मंत्रालय ने सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का प्रस्ताव भेजा है.
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सतनाम सिंह ने कहा था कि 1 व 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठके होंगी. जिसमें आंदोलन को खत्म करने को लेकर फैसला लिया जा सकता है. फिलहाल सरकार ने हमारी सभी मांगें मान ली हैं. किसी भी आंदोलन में सभी मांगें नहीं मानी जाती, लेकिन किसानों के मामलों इससे अलग हुआ है. हमारी 100 प्रतिशत मांगें सरकार ने मांग ली हैं. एमएसपी पर बात करने के लिए भी हम जल्द ही 5 नाम भी बता देंगे.
सतनाम सिंह के इस बयान के बाद आंदोलन के जल्द खत्म होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन देर रात संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया था कि आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कि सरकार लिखित में किसानों की मांगें नहीं मान लेती. बहरहाल संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 दिसंबर यानी की आज की आपातकालीन बैठक को तो रद्द कर दिया. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा की 4 दिसंबर को होने वाली बैठक में ही तमाम फैसले लिए जाएंगे. इसी बैठक में किसान आंदोलन की रणनीति तय होगी और 5 प्रतिनिधि तय किए जाएंगे जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर सरकार के साथ बातचात करेंगे.
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