सोनीपत: प्रदेश में नौकरी से निकाले गए 1983 पीटीआई टीचरों का विरोध प्रदर्शन जारी है. सोनीपत में भी पीटीआई टीचरों का धरना जारी है. जिले में हरियाणा कर्मचारी महासंघ ने पीटीआई को नौकरी से निकाले जाने के विरोध में जमकर नारेबाजी की.
नहीं थम रहा पीटीआई टीचरों का विरोध
बता दें कि गुरुवार को हरियाणा कर्मचारी महासंघ की एक बैठक लहरी सिंह पार्क में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान राजेंद्र खत्री ने की थी. खत्री ने कहा कि 1983 पीटीआई को नौकरी से निकालने पर मौजूदा सरकार के खिलाफ गहरा रोष प्रकट कर नारेबाजी की. महासंघ ने सरकार से नौकरी से निकाले गए पीटीआई को बहाल करने की मांग की है.
शहर में पीटीआई टीचर निकालेंगे जुलूस
बैठक में राजेंद्र खत्री ने कहा था कि मौजूदा सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के चलते शुक्रवार को सोनीपत शहर के विभिन्न मुख्य मार्गों पर जुलूस निकाल कर उपायुक्त कार्यालय में पहुंचेंगे. यहां सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा. इस दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, नैना चौटाला का पुतला दहन भी किया जाएगा.
ये है पूरा मामला
साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है.
आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.
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इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.
ये है सरकार से मांग
पीटीआई शिक्षकों ने सरकार से आह्वान किया है कि सरकार अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सभी 1983 पीटीआई टीचरों को तुरंत प्रभाव से बहाल करें.