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गांव गोद लेने के बाद सांसद ने किया ऐसा काम, ग्रामीणों ने कहा अब चुनाव में देंगे जवाब!

गेहूं की फसलों को मंडी में पहुंचाने के बाद अपने काम-काज से निपटने के बाद गांव माछरी में लोग आजकल फुरसत के पलों में अपना वक्त गांव के चौक पर ताश खेलकर बिता रहे हैं. वहीं चुनाव को लेकर जब हमारी टीम ने उनसे राय पूछी तो ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें तो अपने सांसद की शक्ल-सूरत भी ठीक ढंग से याद नहीं है. एक ग्रामीण को यह तक मालूम नहीं कि रमेश कौशिक उनके इलाके के सांसद हैं.

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Published : May 7, 2019, 7:46 PM IST

गांव गोद लेने के बाद सांसद ने किया ऐसा काम, ग्रामीणों ने कहा अब चुनाव में देंगे जवाब!

सोनीपत: जनता अपने प्रतिनिधि को इसलिए चुनती है ताकि वो उनके इलाके का काम-काज करवा सके और उनके सुख-दुख में उनकी मदद कर सके, लेकिन चुने हुए प्रतिनिधि उनकी कभी सुध ना ले तो क्या कहें. जी हां, हरियाणा का एक ऐसा गांव है जहां जनप्रतिनिधी ने गांव गोद तो ले लिया, लेकिन काम कुछ नहीं किया.

सांसद रमेश कौशिक के गोद लिए गांव में ईटीवी भारत हरियाणा की टीम, रिपोर्ट देखें

ईटीवी भारत की टीम पहुंची है सोनीपत के गांव बादशाहपुर माछरी में. माछरी एक ऐसा गांव है जहां जहां पर पिछले पांच सालों से इन लोगों ने अपने सांसद के दीदार तक नहीं किए, विकास और सुख-दुख की बात तो छोड़िए. यह हम नहीं बल्कि इसी गांव के लोग बता रहे हैं अपनी जुबानी. रिपोर्ट देखिए-

कुछ ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें तो अपने सांसद की शक्ल-सूरत भी ठीक ढंग से याद नहीं है. एक ग्रामीण को यह तक मालूम नहीं कि रमेश कौशिक उनके इलाके के सांसद हैं. गेहूं की फसलों को मंडी में पहुंचाने के बाद अपने काम-काज से निपटने के बाद ये लोग आजकल फुरसत के पलों में अपना वक्त गांव के चौक पर ताश खेलकर बिता रहे हैं.

यह गांव सोनीपत शहर से महज 15 किलोमीटर दूर है. गांव में पहुंचने पर पता चला कि मौजूदा सांसद एवं भाजपा के प्रत्याशी रमेश कौशिक पिछले पांच सालों में इस गांव में कभी नहीं पहुंचे. ग्रामीणों का कहना है कि सांसद बनने के बाद उन्हें कभी अपने सांसद के दर्शन ही नहीं हुए, गांव के विकास की बात तो दूर रही.

सोनीपत: जनता अपने प्रतिनिधि को इसलिए चुनती है ताकि वो उनके इलाके का काम-काज करवा सके और उनके सुख-दुख में उनकी मदद कर सके, लेकिन चुने हुए प्रतिनिधि उनकी कभी सुध ना ले तो क्या कहें. जी हां, हरियाणा का एक ऐसा गांव है जहां जनप्रतिनिधी ने गांव गोद तो ले लिया, लेकिन काम कुछ नहीं किया.

सांसद रमेश कौशिक के गोद लिए गांव में ईटीवी भारत हरियाणा की टीम, रिपोर्ट देखें

ईटीवी भारत की टीम पहुंची है सोनीपत के गांव बादशाहपुर माछरी में. माछरी एक ऐसा गांव है जहां जहां पर पिछले पांच सालों से इन लोगों ने अपने सांसद के दीदार तक नहीं किए, विकास और सुख-दुख की बात तो छोड़िए. यह हम नहीं बल्कि इसी गांव के लोग बता रहे हैं अपनी जुबानी. रिपोर्ट देखिए-

कुछ ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें तो अपने सांसद की शक्ल-सूरत भी ठीक ढंग से याद नहीं है. एक ग्रामीण को यह तक मालूम नहीं कि रमेश कौशिक उनके इलाके के सांसद हैं. गेहूं की फसलों को मंडी में पहुंचाने के बाद अपने काम-काज से निपटने के बाद ये लोग आजकल फुरसत के पलों में अपना वक्त गांव के चौक पर ताश खेलकर बिता रहे हैं.

यह गांव सोनीपत शहर से महज 15 किलोमीटर दूर है. गांव में पहुंचने पर पता चला कि मौजूदा सांसद एवं भाजपा के प्रत्याशी रमेश कौशिक पिछले पांच सालों में इस गांव में कभी नहीं पहुंचे. ग्रामीणों का कहना है कि सांसद बनने के बाद उन्हें कभी अपने सांसद के दर्शन ही नहीं हुए, गांव के विकास की बात तो दूर रही.

Intro:जनता अपने प्रतिनिधि को इसीलिए चुनती है ताकि वो उनके इलाके का काम-काज करवा सके और उनके सुख-दुख में उनकी मदद कर सके। लेकिन चुने हुए प्रतिनिधि उनकी कभी सुध ना ले तो क्या कहें। जी हां, आईये आपको मिलवाते है ऐसे ही एक गांव के लोगों से जहां पर पिछले पांच सालों से इन लोगों ने अपने सांसद के दीदार तक नही किये, विकास और सुख-दुख की बात तो छोड़िए। यह हम नहीं बल्कि इसी गांव के लोग बता रहे हैं अपनी जुबानी...


Body:ईटीवी भारत की टीम पहुंची है सोनीपत के गांव बादशाहपुर माछरी में। यह गांव सोनीपत शहर से महज 15 किलोमीटर दूर है। गांव में पहुंचने पर पता चला कि मौजूदा सांसद एवं भाजपा के प्रत्याशी रमेश कौशिक पिछले पांच सालों में इस गांव में कभी नही पहुंचे। ग्रामीणों का कहना है कि सांसद बनने के बाद उन्हें कभी अपने सांसद के दर्शन ही नहीं हुए, गांव के विकास की बात तो दूर रही। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें तो अपने सांसद की शक्ल-सूरत भी ठीक ढंग से याद नहीं है। एक ग्रामीण को यह तक मालूम नहीं कि रमेश कौशिक उनके इलाके के सांसद हैं। गेहूं की फसलों को मंडी में पहुंचाने के बाद अपने काम-काज से निपटने के बाद ये लोग आजकल फुरसत के पलों में अपना वक्त गांव के चोंक पर ताश खेलकर बिता रहे हैं। आईये आपको सुनवाते हैं इस गांव के लोगों की जुबानी...
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