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खरखौदा शराब घोटाला: पंजाब में होती थी सस्ती शराब को महंगे ब्रांड की बोतल में डालने की पैकिंग

हरियाणा के बहुचर्चित खरखौदा शराब घोटाले के मुख्य आरोपी भूपेंद्र सिंह का भाई जितेंद्र पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को पुलिस जांच में शामिल हो गया था. अब उसने शराब घोटाले को लेकर कई खुलासे किए हैं.

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Published : Jul 29, 2020, 10:30 PM IST

kharkhauda liquor scam news
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सोनीपत: खरखौदा शराब घोटाले के मामले में जितेंद्र से पूछताछ में सामने आया है कि सस्ते ब्रांड की शराब को महंगे ब्रांड की बनाने के लिए दूसरी बोतल में डालने व लेबल लगाने का काम खरखौदा में किया जाता था. शराब को दूसरे ब्रांड की बोतल में डालकर पांच से सात गुणा रेट की बना दिया जाता था. मनचाहे ब्रांड की खाली बोतल और उसके लिए लेबल पंजाब की डिस्टलरी से ही उपलब्ध कराए जाते थे.

तस्करी के मुख्य आरोपी भूपेंद्र का भाई जितेंद्र शराब तस्करी मामले में फरार चल रहा था. हाई कोर्ट के आदेश के बाद वह सोमवार को जांच में शामिल हुआ है. एसआईटी की पूछताछ में जितेंद्र ने बताया कि सस्ती शराब को दूसरी बोतलों में पैक करके महंगा ब्रांड बना देते थे. इसके लिए खाली बोतल और उस पर चिपकाने के लिए लेबल, पैक करने के लिए बाक्स और सील-ढक्कन सभी असली होते थे. इससे खरीदने वालों को शक नहीं होता था.

इसके चलते उनकी शराब की बिक्री ठेकों पर भी हो जाती थी. इसकी पूरी जानकारी जसबीर और आबकारी विभाग के अधिकारियों को थी. पैकिंग का सामान पंजाब की डिस्टलरी से प्राप्त होता था. डिस्टलरी प्रबंधन को शराब का पैकिंग बदलकर बिक्री करने की जानकारी थी. डिस्टलरी में किसी भी राज्य में सप्लाई की शराब पैक करा लेते थे.

एसआईटी से मिलने पहुंचा डिस्टलरी का प्रतिनिधि, नहीं हो सकी पूछताछ

एसआईटी को डिस्टलरी प्रबंधन से पूछताछ करनी है. इसे लेकर टीम तीन बार डिस्टलरी जा चुकी है और प्रबंधन को नोटिस जारी कर चुकी है. जिस पर मंगलवार को डिस्टलरी का प्रतिनिधि सोनीपत एसआईटी के डीएसपी से मिलने अपने अधिवक्ता के साथ पहुंचा. हालांकि डीएसपी की व्यस्तता के चलते उससे पूछताछ नहीं हो सकी. अब एसआईटी तस्करों और डिस्टलरी के बीच का संबंध तलाश रही है. अब शराब तस्कर जितेंद्र से पूछताछ की जा रही है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में जल्द खोले जा सकते हैं स्कूल, शिक्षा मंत्री ने दी जानकारी

साथ ही सतीश व भूपेंद्र की जमानत पर भी सुनवाई को लेकर तैयारी की जा रही है. इसके चलते टीम डिस्टलरी के प्रतिनिधि से पूछताछ नहीं कर सकी. उसको बुलाने के लिए अब दोबारा से नोटिस जारी किया जाएगा. एसआईटी डीएसपी नरेंद्र कादियान ने कहा कि शराब तस्करी का मामला बड़ा है. मामले में जांच में सहयोग करने की बात कहकर आया जितेंद्र जानकारी देने से बच रहा है. उससे पूछताछ के साथ ही कई साक्ष्य एकत्र कराने हैं. इसके लिए रिपोर्ट तैयार कर हाई कोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी. न्यायालय से उसको रिमांड पर देने की मांग की जाएगी.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र ने बाद में खरखौदा थाने में सरेंडर कर दिया था.

कैसे हुई तस्करी?

सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

ये भी पढ़ें- SYL पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब, 'दोनों सीएम की बैठक कराकर निकालेंगे रास्ता'

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रेकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात थी.

सोनीपत: खरखौदा शराब घोटाले के मामले में जितेंद्र से पूछताछ में सामने आया है कि सस्ते ब्रांड की शराब को महंगे ब्रांड की बनाने के लिए दूसरी बोतल में डालने व लेबल लगाने का काम खरखौदा में किया जाता था. शराब को दूसरे ब्रांड की बोतल में डालकर पांच से सात गुणा रेट की बना दिया जाता था. मनचाहे ब्रांड की खाली बोतल और उसके लिए लेबल पंजाब की डिस्टलरी से ही उपलब्ध कराए जाते थे.

तस्करी के मुख्य आरोपी भूपेंद्र का भाई जितेंद्र शराब तस्करी मामले में फरार चल रहा था. हाई कोर्ट के आदेश के बाद वह सोमवार को जांच में शामिल हुआ है. एसआईटी की पूछताछ में जितेंद्र ने बताया कि सस्ती शराब को दूसरी बोतलों में पैक करके महंगा ब्रांड बना देते थे. इसके लिए खाली बोतल और उस पर चिपकाने के लिए लेबल, पैक करने के लिए बाक्स और सील-ढक्कन सभी असली होते थे. इससे खरीदने वालों को शक नहीं होता था.

इसके चलते उनकी शराब की बिक्री ठेकों पर भी हो जाती थी. इसकी पूरी जानकारी जसबीर और आबकारी विभाग के अधिकारियों को थी. पैकिंग का सामान पंजाब की डिस्टलरी से प्राप्त होता था. डिस्टलरी प्रबंधन को शराब का पैकिंग बदलकर बिक्री करने की जानकारी थी. डिस्टलरी में किसी भी राज्य में सप्लाई की शराब पैक करा लेते थे.

एसआईटी से मिलने पहुंचा डिस्टलरी का प्रतिनिधि, नहीं हो सकी पूछताछ

एसआईटी को डिस्टलरी प्रबंधन से पूछताछ करनी है. इसे लेकर टीम तीन बार डिस्टलरी जा चुकी है और प्रबंधन को नोटिस जारी कर चुकी है. जिस पर मंगलवार को डिस्टलरी का प्रतिनिधि सोनीपत एसआईटी के डीएसपी से मिलने अपने अधिवक्ता के साथ पहुंचा. हालांकि डीएसपी की व्यस्तता के चलते उससे पूछताछ नहीं हो सकी. अब एसआईटी तस्करों और डिस्टलरी के बीच का संबंध तलाश रही है. अब शराब तस्कर जितेंद्र से पूछताछ की जा रही है.

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साथ ही सतीश व भूपेंद्र की जमानत पर भी सुनवाई को लेकर तैयारी की जा रही है. इसके चलते टीम डिस्टलरी के प्रतिनिधि से पूछताछ नहीं कर सकी. उसको बुलाने के लिए अब दोबारा से नोटिस जारी किया जाएगा. एसआईटी डीएसपी नरेंद्र कादियान ने कहा कि शराब तस्करी का मामला बड़ा है. मामले में जांच में सहयोग करने की बात कहकर आया जितेंद्र जानकारी देने से बच रहा है. उससे पूछताछ के साथ ही कई साक्ष्य एकत्र कराने हैं. इसके लिए रिपोर्ट तैयार कर हाई कोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी. न्यायालय से उसको रिमांड पर देने की मांग की जाएगी.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र ने बाद में खरखौदा थाने में सरेंडर कर दिया था.

कैसे हुई तस्करी?

सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

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पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रेकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात थी.

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