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खरखौदा शराब घोटाला: आरोपी जितेंद्र हुआ पुलिस जांच में शामिल

हरियाणा के बहुचर्चित खरखौदा शराब घोटाले के मुख्य आरोपी भूपेंद्र सिंह का भाई जितेंद्र पुलिस जांच में शामिल हो गया है. पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जितेंद्र की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उसे जांच में शामिल होने के आदेश दिए थे.

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Published : Jul 28, 2020, 8:36 PM IST

kharkhauda liquor scam
खरखौदा शराब घोटाला

सोनीपत: खरखौदा शराब घोटाला, शराब तस्करी, चोरी व भ्रष्टाचार के मामले में मुख्य आरोपी भूपेंद्र का भाई जितेंद्र सोमवार को पुलिस जांच में शामिल हो गया. वह खरखौदा थाना पहुंचा और जांच में सहयोग की बात कही. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए जांच में शामिल होने के आदेश दिए थे. पुलिस उससे छह दिन तक पूछताछ करेगी.

जांच में शामिल हुआ मुख्य आरोपी का भाई

आरोप है कि शराब तस्करी का धंधा स्थानीय स्तर पर जितेंद्र ही संभालता था. पुलिस और एसआईटी सदस्य उससे कई महत्वपूर्ण जानकारी लेंगे. शराब तस्करी के मामले में कई सवालों के जवाब जितेंद्र से पता किए जाएंगे. खरखौदा शराब तस्करी, चोरी व भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी भूपेंद्र के साथ उसके भाई जितेंद्र पर भी साथियों के साथ मिलकर पूरे मामले को अंजाम देने का आरोप है. मुख्य आरोपी भूपेंद्र ने मुकदमा दर्ज होने के बाद कोर्ट में सरेंडर कर दिया था.

ये भी पढ़ें- भिवानी नगर परिषद द्वारा पकड़े गए बंदर हुए बेहाल, कौन सुनेगा इन बेजुबानों का दर्द?

उसने पुलिस और एसआईटी को बताया था कि तस्करी का धंधा उसका छोटा भाई जितेंद्र संभालता था. ऐसे में जांच एजेंसियों को जितेंद्र की तलाश थी. वह तीन महीने से पुलिस की पकड़ में नहीं आ सका था. उसने पहले जिला कोर्ट और बाद में हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी. हाई कोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के साथ ही जांच में शामिल होने का आदेश दिया था. जिसके चलते वह सोमवार को खरखौदा थाना में पहुंचा और पुलिस को जांच में सहयोग का आश्वासन दिया. पुलिस और एसआईटी ने उससे पूछताछ शुरू कर दी है. पुलिस ने उससे पूछताछ कर मामले में उसकी संलिप्तता के साथ ही अन्य लोगों की संलिप्तता का पता लगाएगी.

पुलिस और एसआइटी को इन सवालों के जवाब चाहिए-

  • तस्करी की शराब को पंजाब की डिस्टलरी से निकलवाने में कौन सहयोग करता था.
  • शराब के ट्रकों को बेरोकटोक लाने में कौन-कौन सहायता करते थे.
  • शराब तस्करी में आबकारी विभाग के कौन अधिकारी-कर्मचारी शामिल थे.
  • शराब तस्करी में पुलिस के कौन अधिकारी-कर्मचारी शामिल रहे.
  • शराब का ब्रांड बदलने के लिए खाली रैपर कहां पर तैयार होते थे.
  • ब्रांड बदलने के लिए शराब की खाली बोतलें कहां से आती थीं?
  • क्या डिस्टलरी में भी दूसरे राज्यों की शराब तैयार कराई जाती थी?
  • क्या नकली शराब बेचने का धंधा भी संचालित किया जाता था?
  • क्या तस्करी की शराब की आपूर्ति ठेकों पर भी कराई गई थी.
  • शराब तस्करी से प्राप्त धनराशि में कौन अधिकारी-जनप्रतिनिधि शामिल रहते थे?
  • तस्करी के धंधे से कमाई करके कितनी संपत्ति एकत्र की गई है.
  • अवैध हथियारों की तस्करी से क्या संबंध था?
  • शराब तस्करी का धंधा कब से चल रहा था?
  • क्या शराब तस्करी को एसटीएफ का संरक्षण प्राप्त था?
  • शराब की तस्करी किन-किन राज्यों को की जाती थी?

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र ने बाद में खरखौदा थाने में सरेंडर कर दिया था.

कैसे हुई तस्करी?

सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

ये भी पढ़ें- SYL पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब, 'दोनों सीएम की बैठक कराकर निकालेंगे रास्ता'

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रेकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात थी.

सोनीपत: खरखौदा शराब घोटाला, शराब तस्करी, चोरी व भ्रष्टाचार के मामले में मुख्य आरोपी भूपेंद्र का भाई जितेंद्र सोमवार को पुलिस जांच में शामिल हो गया. वह खरखौदा थाना पहुंचा और जांच में सहयोग की बात कही. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए जांच में शामिल होने के आदेश दिए थे. पुलिस उससे छह दिन तक पूछताछ करेगी.

जांच में शामिल हुआ मुख्य आरोपी का भाई

आरोप है कि शराब तस्करी का धंधा स्थानीय स्तर पर जितेंद्र ही संभालता था. पुलिस और एसआईटी सदस्य उससे कई महत्वपूर्ण जानकारी लेंगे. शराब तस्करी के मामले में कई सवालों के जवाब जितेंद्र से पता किए जाएंगे. खरखौदा शराब तस्करी, चोरी व भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी भूपेंद्र के साथ उसके भाई जितेंद्र पर भी साथियों के साथ मिलकर पूरे मामले को अंजाम देने का आरोप है. मुख्य आरोपी भूपेंद्र ने मुकदमा दर्ज होने के बाद कोर्ट में सरेंडर कर दिया था.

ये भी पढ़ें- भिवानी नगर परिषद द्वारा पकड़े गए बंदर हुए बेहाल, कौन सुनेगा इन बेजुबानों का दर्द?

उसने पुलिस और एसआईटी को बताया था कि तस्करी का धंधा उसका छोटा भाई जितेंद्र संभालता था. ऐसे में जांच एजेंसियों को जितेंद्र की तलाश थी. वह तीन महीने से पुलिस की पकड़ में नहीं आ सका था. उसने पहले जिला कोर्ट और बाद में हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी. हाई कोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के साथ ही जांच में शामिल होने का आदेश दिया था. जिसके चलते वह सोमवार को खरखौदा थाना में पहुंचा और पुलिस को जांच में सहयोग का आश्वासन दिया. पुलिस और एसआईटी ने उससे पूछताछ शुरू कर दी है. पुलिस ने उससे पूछताछ कर मामले में उसकी संलिप्तता के साथ ही अन्य लोगों की संलिप्तता का पता लगाएगी.

पुलिस और एसआइटी को इन सवालों के जवाब चाहिए-

  • तस्करी की शराब को पंजाब की डिस्टलरी से निकलवाने में कौन सहयोग करता था.
  • शराब के ट्रकों को बेरोकटोक लाने में कौन-कौन सहायता करते थे.
  • शराब तस्करी में आबकारी विभाग के कौन अधिकारी-कर्मचारी शामिल थे.
  • शराब तस्करी में पुलिस के कौन अधिकारी-कर्मचारी शामिल रहे.
  • शराब का ब्रांड बदलने के लिए खाली रैपर कहां पर तैयार होते थे.
  • ब्रांड बदलने के लिए शराब की खाली बोतलें कहां से आती थीं?
  • क्या डिस्टलरी में भी दूसरे राज्यों की शराब तैयार कराई जाती थी?
  • क्या नकली शराब बेचने का धंधा भी संचालित किया जाता था?
  • क्या तस्करी की शराब की आपूर्ति ठेकों पर भी कराई गई थी.
  • शराब तस्करी से प्राप्त धनराशि में कौन अधिकारी-जनप्रतिनिधि शामिल रहते थे?
  • तस्करी के धंधे से कमाई करके कितनी संपत्ति एकत्र की गई है.
  • अवैध हथियारों की तस्करी से क्या संबंध था?
  • शराब तस्करी का धंधा कब से चल रहा था?
  • क्या शराब तस्करी को एसटीएफ का संरक्षण प्राप्त था?
  • शराब की तस्करी किन-किन राज्यों को की जाती थी?

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र ने बाद में खरखौदा थाने में सरेंडर कर दिया था.

कैसे हुई तस्करी?

सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

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पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रेकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात थी.

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