सोनीपत: राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा देखने को मिल रहा (Indian women hockey team got bronze) है. महिला हॉकी टीम में भी हरियाणा के खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं. राष्ट्रमंडल खेलों में 16 साल बाद महिला हॉकी टीम ने मेडल (Indian women hockey team players from haryana) जीता है. जिसमें सोनीपत की चार बेटियां भी शामिल हैं. वहीं, मेडल जीतने के बाद चारों बेटियों के घर पर खुशी का माहौल है. परिजनों का कहना है कि बेटियां जब घर वापस आएंगी तो धूमधाम से उनका स्वागत किया जाएगा.
सोनीपत की 4 बेटियां ने दिखाया जलवा: बता दें कि इंडियन महिला हॉकी टीम (Indian women hockey team) में सोनीपत की 4 बेटियां शामिल हैं. जिनमें नेहा गोयल, ज्योति और निशा वारसी के साथ-साथ मोनिका मलिक भी हैं. लेकिन मोनिका फिलहाल चंडीगढ़ में रह रही हैं. सोनीपत की रहने वाली इन चारों बेटियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 16 साल बाद राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को मेडल जीताकर इतिहास रचा है. इन खिलाड़ियों में से निशा भारती और नेहा गोयल ओलंपिक इंडियन वूमेन टीम का भी हिस्सा रह चुकी हैं.
बेटियों का धूमधाम से किया जाएगा स्वागत: सोनिपत की तीनों खिलाड़ियों के घर पर खुशी का माहौल है. परिजनों का कहना है कि उनकी बेटियों ने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है और जब वह वापस लौटेंगी तो वे उनका स्वागत बड़ी धूमधाम से (Indian women hockey team players from sonipat) करेंगे. वहीं, भारतीय महिला हॉकी टीम की इस जीत के बाद पूर्व कप्तान रहीं प्रीतम सिवाच भी बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा की भारतीय महिला हॉकी टीम की इस उपलब्धि पर वह सभी देशवासियों को बधाई देती हैं.
संघर्ष से भरी है सभी की जिंदगी: हॉकी खिलाड़ी नेहा गोयल की बहन मोनिका ने कहा कि उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत ज्यादा संघर्ष किया है. वहीं, नेहा की मां ने बताया कि वह बहुत गरीब परिवार से आते हैं. लेकिन नेहा ने कभी हार नहीं मानी और वह लगातार अच्छा खेलती रहीं. उनकी मां ने फैक्ट्रियों में काम कर बेटी को इस काबिल बनाया कि आज उनकी बेटी ने मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया (CWG 2022 medal tally india) है.
वहीं, निशा वारसी के पिता ने कहा कि निशा ने 8 साल की आयु से खेलना शुरू किया (Women Hockey india new zealand match) था. निशा का परिवार भी बहुत गरीब था. उनके पिता दर्जी का काम करते थे, लेकिन उसके बाद वह बीमार हो गए और उनका ये काम भी छूट गया था. पिता का कहना है कि उनकी कोच प्रीतम सिवाच ने निशा का बहुत ज्यादा साथ दिया है. जिसकी बदौलत आज उनकी बेटी मेडल जीतकर वापस अपने देश लौटेगी. परिवार अपनी बेटी पर गर्व महसूस कर रहा है.
वहीं, पहली बार हॉकी टीम में सिलेक्ट हुई सोनीपत की रहने वाली ज्योति की मां ने कहा कि उनके पिता की मौत के बाद उनका घर टूट गया था. जब वह एक कॉलेज में दाखिले के लिए गई थी, तब उन्हें वहां दाखिला नहीं मिला पाया (Commonwealth games 2022) था. उसके बाद ज्योती की कोच ने उन्हें हॉकी और गेंद खरीदने की सलाह दी थी. जिसके बाद ज्योति ने कभी हार नहीं मानी और लगातार अच्छा प्रदर्शन करती रही. उन्होंने कहा कि ज्योति पहली बार इंडियन हॉकी टीम की तरफ से खेल रही हैं और पहली बार में ही उन्होंने मेडल जीतकर उनका नाम रोशन किया है.
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