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9 दिसंबर को सरकार ने नहीं मानी बात तो दिल्ली का दूध-पानी करेंगे बंद- किसान

बुधवार यानी की 9 दिसंबर को एक बार फिर किसान नेता और सरकार के बीच बैठक होने वाली है. जिसको लेकर किसानों ने अपना रुख साफ कर दिया है. किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो किसानों का आंदोलन तेज हो जाएगा.

farmers meeting 9 december
9 दिसंबर की बैठक में सरकार ने नहीं मानी बात तो दिल्ली का दूध पानी करेंगे बंद- किसान
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Published : Dec 8, 2020, 9:51 AM IST

सोनीपतः कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा, पंजाब और आस-पास के राज्यों के किसान का आंदोलन जारी है. सरकार भी लगातार किसानों से बातचीत कर मामले का हल निकालने की कोशिश कर रही है. सरकार और किसानों के बीच 5 बार अहम बैठक हो चुकी है लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. हालांकि अब बुधवार यानी की 9 दिसंबर को एक बार फिर किसान नेता और सरकार के बीच बैठक होने वाली है. जिसको लेकर किसानों ने अपना रुख साफ कर दिया है.

'ये कानून नहीं डेथ वॉरेंट है'

सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि अगर 9 दिसंबर को होने वाली बैठक में कोई रास्ता नहीं निकला तो उनका आंदोलन और तेज हो जाएगा. किसान नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है, जबकि सरकार को खुद समझना चाहिए कि ये काले कानून किसानों के लिए डेथ वॉरेंट है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो जल्द से जल्द इन कानूनों को वापस ले और किसानों को राहत की सांस लेने दे.

9 दिसंबर की बैठक में सरकार ने नहीं मानी बात तो दिल्ली का दूध पानी करेंगे बंद- किसान

'दिल्ली का रास्ता करेंगे बंद'

किसान नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो वो दिल्ली का दूध और पानी बंद कर देंगे. भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल और उनके साथ किसान नेताओं का कहना है कि भारत सरकार लगातार कृषि कानूनों पर हट धर्मी अपनाए हुए हैं. ऐसे में किसान तब तक डटे रहेंगे जब तक सरकार इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती.

ये भी पढ़ेंः सिंघु बॉर्डर पहुंचे तेलंगाना के किसान, कहा- ये लड़ाई अब देशभर के किसानों की है

'जेल में हुआ बुरा व्यवहार'

वहीं किसान नेता और छिछराना गांव के सरपंच भगत सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन शुरू होने से पहले उनकी गिरफ्तारी की गई थी. इस दौरान जेल में उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया था. यही नहीं उन्हें एक कैदी की तरह रखा गया.

सोनीपतः कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा, पंजाब और आस-पास के राज्यों के किसान का आंदोलन जारी है. सरकार भी लगातार किसानों से बातचीत कर मामले का हल निकालने की कोशिश कर रही है. सरकार और किसानों के बीच 5 बार अहम बैठक हो चुकी है लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. हालांकि अब बुधवार यानी की 9 दिसंबर को एक बार फिर किसान नेता और सरकार के बीच बैठक होने वाली है. जिसको लेकर किसानों ने अपना रुख साफ कर दिया है.

'ये कानून नहीं डेथ वॉरेंट है'

सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि अगर 9 दिसंबर को होने वाली बैठक में कोई रास्ता नहीं निकला तो उनका आंदोलन और तेज हो जाएगा. किसान नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है, जबकि सरकार को खुद समझना चाहिए कि ये काले कानून किसानों के लिए डेथ वॉरेंट है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो जल्द से जल्द इन कानूनों को वापस ले और किसानों को राहत की सांस लेने दे.

9 दिसंबर की बैठक में सरकार ने नहीं मानी बात तो दिल्ली का दूध पानी करेंगे बंद- किसान

'दिल्ली का रास्ता करेंगे बंद'

किसान नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो वो दिल्ली का दूध और पानी बंद कर देंगे. भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल और उनके साथ किसान नेताओं का कहना है कि भारत सरकार लगातार कृषि कानूनों पर हट धर्मी अपनाए हुए हैं. ऐसे में किसान तब तक डटे रहेंगे जब तक सरकार इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती.

ये भी पढ़ेंः सिंघु बॉर्डर पहुंचे तेलंगाना के किसान, कहा- ये लड़ाई अब देशभर के किसानों की है

'जेल में हुआ बुरा व्यवहार'

वहीं किसान नेता और छिछराना गांव के सरपंच भगत सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन शुरू होने से पहले उनकी गिरफ्तारी की गई थी. इस दौरान जेल में उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया था. यही नहीं उन्हें एक कैदी की तरह रखा गया.

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