सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ रहे किसानों ने 18 फरवरी को 4 घंटे के लिए रेल गाड़ियों के पहियों को जाम कर दिया. 4 घंटे तक चले रेल रोको अभियान में अलग-अलग तस्वीरें देखने को मिली, कहीं किसान रेलवे ट्रैक पर बैठकर जलेबी खाते नजर आए, तो कहीं लंगर चला. लेकिन किसानों का इरादा पक्का दिखा, कि वो इस लड़ाई में किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे.
महिलाओं ने भी ट्रैक पर की नारेबाजी
रेल रोको अभियान में पुरुष किसानों के साथ महिलाओं की भी अच्छी खासी भागीदारी दिखाई दी. महिलाएं ने भी अपने बच्चों के साथ रेलवे ट्रैक पर नारेबाजी की और सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की. महिलाओं ने कहा कि सरकार अंधी बहरी हो चुकी है. उनको नहीं पता कि तमाम जो महिलाएं हैं वो लंबे समय से यहां आंदोलन कर रही हैं, बावजूद इसके सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
ये भी पढे़ं- सरकार गलतफहमी में ना रहे, जरूरत पड़ी तो खड़ी फसल में आग लगा देंगे- राकेश टिकैत
रेल रोका का व्यापक असर
हरियाणा में रेल रोको अभियान का व्यापक असर देखने को मिला है, चाहे वो करनाल हो, कुरुक्षेत्र हो या फिर झज्जर. हर जिले में किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर रेल रोकने का काम किया. किसानों ने साफ शब्दों में कहा कि वो कृषि कानूनों को रद्द करवाकर ही वापस लौटेंगे, चाहे ये आंदोलन कितना भी लंबा चले.
किसानों ने रोकी रेल, यात्री हुए बेहाल
किसानों ने 4 घंटे तक रेलवे का चक्का जाम कर दिया. इस बीच रेलवे के यात्रियों को भी कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा. यात्रियों ने कहा कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच जो तनाव की स्थिति है उससे आम नागरिक को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हमारी सरकार से अपील है कि जल्द से जल्द किसानों के मुद्दे को सुलझाया जाए ताकि आम नागरिक को परेशानियों का सामना ना करना पड़े.
ये भी पढे़ं- रेल रोको अभियान: किसानों और जवानों के लिए लगा लंगर, परोसा गया देसी घी से बना खाना
हरियाणा में 80 जगह किसानों ने रोकी रेल
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को 85 दिन हो चुके हैं. किसानों ने रेल रोको अभियान से आंदोलन को ट्रैक पर रखने की पूरी कोशिश की है. संयुक्त किसान मोर्चा के प्लान के अनुसार हरियाणा में करीब-करीब 80 जगहों पर आज प्रदर्शन हुआ. ऐसे में ये तो साफ है कि किसान अभी आंदोलन को खत्म करने के मूड में नहीं है. अब वो बात सच नजर आती है जब किसान ये कहते थे कि वो 6-6 महीने का राशन साथ लाए हैं और कृषि कानूनों को रद्द करवाकर ही जाएंगे.
ये भी पढे़ं- झज्जर जिले में किसानों ने किया रोहतक-रेवाड़ी वाया झज्जर रेलवे ट्रैक जाम