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फसल की जगह सब्जी काट रहे किसान, कहा- मोदी ने किया ये हाल

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Published : Dec 6, 2020, 6:32 PM IST

हरियाणा और पंजाब के किसानों ने बताया कि दिसंबर के महीनों में वो खेतों मे व्यस्थ होते थे. खेत में पानी लगाना, पशुओं का ध्यान रखना, गेंहू की बिजाई करना ये उनके मुख्य काम थे, लेकिन आज वो अपने हकों के लिए सड़क पर लड़ाई लड़ रहे हैं और लंगर के लिए सब्जियां काट रहे हैं.

सिंघु बॉर्डर किसान आंदोलन
सिंघु बॉर्डर किसान आंदोलन

सोनीपत: दिल्ली से लगते सिंघु बॉर्डर पर किसान बीते 11 दिनों से आंदोनरत हैं. किसानों की एक ही मांग है कि कृषि के क्षेत्र में लाए गए तीन नए कानूनों को सरकार रद्द करे. साथ ही किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जाए. वहीं इन दिनों किसान आंदोलन के लिए दिल्ली में बैठे जरूर हैं, लेकिन उनका खेती का काम भी इससे प्रभावित हो रहा है.

हरियाणा और पंजाब के किसानों ने बताया कि दिसंबर के महीनों में वो खेतों मे व्यस्थ होते थे. खेत में पानी लगाना, पशुओं का ध्यान रखना, गेंहू की बिजाई करना ये उनके मुख्य काम थे, लेकिन आज वो अपने हकों के लिए सड़क पर लड़ाई लड़ रहे हैं और लंगर के लिए सब्जियां काट रहे हैं.

फसल की जगह सब्जी काट रहे सब्जी, कहा- मोदी ने किया ये हाल

एक किसान ने बताया कि उन्होंने घर में अपनी पत्नी और बच्चों को खेत का काम करने की जिम्मेदारी है. किसान का कहना है उनका परिवार खेत संभाल रहा है और वो यहां अपने अधिकारों की लिए सरकार से जंग लड़ रहे हैं.

किसानों ने बताया कि दिसंबर का महीना खेती के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस समय उन्होंने खेतों में कई तरह के काम होते हैं. लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें खेत छोड़कर सड़कों पर रहने को मजबूर कर दिया है. धरने के कारण वो खेती तो नहीं कर रहे, लेकिन लंगर में सेवा कर रहे हैं और खाना बना रहे हैं.

ये भी पढे़ं- बड़खल चौक पर किसानों को पुलिस ने रोका, किसान बोले- बदरपुर बॉर्डर तो जाकर रहेंगे

गौरतलब है कि किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसान यूनियनों का साफ कहना है कि वो कानून में संशोधन नहीं चाहते. अब इन कानूनों को रद्द ही करना एक विकल्प है. तभी जाकर किसान आंदोलन थमेगा. नहीं तो इस आंदोलन के अभी लंबे समय तक चलने की उम्मीद है.

सोनीपत: दिल्ली से लगते सिंघु बॉर्डर पर किसान बीते 11 दिनों से आंदोनरत हैं. किसानों की एक ही मांग है कि कृषि के क्षेत्र में लाए गए तीन नए कानूनों को सरकार रद्द करे. साथ ही किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जाए. वहीं इन दिनों किसान आंदोलन के लिए दिल्ली में बैठे जरूर हैं, लेकिन उनका खेती का काम भी इससे प्रभावित हो रहा है.

हरियाणा और पंजाब के किसानों ने बताया कि दिसंबर के महीनों में वो खेतों मे व्यस्थ होते थे. खेत में पानी लगाना, पशुओं का ध्यान रखना, गेंहू की बिजाई करना ये उनके मुख्य काम थे, लेकिन आज वो अपने हकों के लिए सड़क पर लड़ाई लड़ रहे हैं और लंगर के लिए सब्जियां काट रहे हैं.

फसल की जगह सब्जी काट रहे सब्जी, कहा- मोदी ने किया ये हाल

एक किसान ने बताया कि उन्होंने घर में अपनी पत्नी और बच्चों को खेत का काम करने की जिम्मेदारी है. किसान का कहना है उनका परिवार खेत संभाल रहा है और वो यहां अपने अधिकारों की लिए सरकार से जंग लड़ रहे हैं.

किसानों ने बताया कि दिसंबर का महीना खेती के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस समय उन्होंने खेतों में कई तरह के काम होते हैं. लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें खेत छोड़कर सड़कों पर रहने को मजबूर कर दिया है. धरने के कारण वो खेती तो नहीं कर रहे, लेकिन लंगर में सेवा कर रहे हैं और खाना बना रहे हैं.

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गौरतलब है कि किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसान यूनियनों का साफ कहना है कि वो कानून में संशोधन नहीं चाहते. अब इन कानूनों को रद्द ही करना एक विकल्प है. तभी जाकर किसान आंदोलन थमेगा. नहीं तो इस आंदोलन के अभी लंबे समय तक चलने की उम्मीद है.

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