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सजा से बेखौफ किसान लगा रहे फानों में आग, कहीं कोई मुसाफिर गवां ना दे जान - haryana

पूरे प्रदेश में प्रशासन ने अवशेष जलाने पर रोक लगाई है, लेकिन गोहाना और आस-पास के गांव में इसका कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा. लगातार खुलेआम किसान नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. कम्बाइन से गेहूं की कटाई के बाद बचे अवशेष का प्रयोग पशुओं के लिए तूड़ी बनाने के लिए हो सकता है, लेकिन ज्यादातर किसान तूड़ी की तरह प्रयोग ना करके आग लगा रहे हैं.

खेतो में आग
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Published : May 15, 2019, 3:33 PM IST

सोनीपतः जिला प्रशासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए सरेआम गेहूं के बचे अवशेष जलाया जा रहे हैं. प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. गेहूं के बचे अवशेष को जलाने से वातावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है. धुएं से वातावरण इतना प्रदूषित हो रहा है कि आस पास में रह रहे लोगों को सांस संबंधित बीमारियां घेर रही हैं, लेकिन आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों की परवाह न करते हुए किसान सरेआम गेहूं के बचे अवशेष को आग के हवाले कर रहे हैं.

खेतों में किसानों ने लगाई आग

सजा का है प्रावधान
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार सेटेलाइट से ऐसे स्थानों की पहचान कर उनके खिलाफ नोटिस भेजे जा रहे हैं. फसल अवशेषों में आग लगाना एक अपराध है जिसके लिए जुर्माने के साथ साथ सजा का भी प्रावधान है.

गेहूं काटने के बाद किसान अगली फसल की बिजाई करने के लिए बचे हुए अवशेष को आग लगा रहा है, अगली फसल की बिजाई में जल्दबाजी करने के चक्कर मे किसान गेहूं के फ़ानों में आग लगा देता है. समय की बचत और मजदुर न मिलने के कारण आज 80 % किसान कम्बाईन से गेहूँ कटवा रहे हैं.

कुछ समझदार किसान इन बचे हुए फानों से रैपर द्वारा तूड़ी बनवाकर बेच देता है या पशुओं के लिए इस्तेमाल करने में ले लेता है, लेकिन बड़े जमीदार किसान फानों की तूड़ी ना बनवाकर कई एकड़ जमीन पर फानों में आग लगा देता है. ऐसा करने वालों की संख्या कम नहीं है. अनुमान है कि हर 33 प्रतिशत से ज्यादा किसान फानों में आग लगा रहा है.

क्षेत्र में कई गांव में खेत रोड से सटे हुए हैं. जहां गेहूं काटने के उपरांत बचे हुए अवशेष को किसान आग लगा देते हैं. इस वजह से रोड पर चलने वाले टू व्हीलर और फोर व्हीलर को बहुत ज्यादा दिक्कतें उठानी पड़ती हैं. कई बार तेज आंधी की वजह से आग की लपटें आधे रोड तक पहंच जाती हैं और धुंआ ही धुंआ फैल जाता है. इस धूंए से सड़के के दोनों तरफ वाहनों को बीच में ही रोकना पड़ता है. हालात ये भी हैं कि बाइक चालकों का धुंए के कारण दम भी घुटने लगता है.

सोनीपतः जिला प्रशासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए सरेआम गेहूं के बचे अवशेष जलाया जा रहे हैं. प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. गेहूं के बचे अवशेष को जलाने से वातावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है. धुएं से वातावरण इतना प्रदूषित हो रहा है कि आस पास में रह रहे लोगों को सांस संबंधित बीमारियां घेर रही हैं, लेकिन आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों की परवाह न करते हुए किसान सरेआम गेहूं के बचे अवशेष को आग के हवाले कर रहे हैं.

खेतों में किसानों ने लगाई आग

सजा का है प्रावधान
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार सेटेलाइट से ऐसे स्थानों की पहचान कर उनके खिलाफ नोटिस भेजे जा रहे हैं. फसल अवशेषों में आग लगाना एक अपराध है जिसके लिए जुर्माने के साथ साथ सजा का भी प्रावधान है.

गेहूं काटने के बाद किसान अगली फसल की बिजाई करने के लिए बचे हुए अवशेष को आग लगा रहा है, अगली फसल की बिजाई में जल्दबाजी करने के चक्कर मे किसान गेहूं के फ़ानों में आग लगा देता है. समय की बचत और मजदुर न मिलने के कारण आज 80 % किसान कम्बाईन से गेहूँ कटवा रहे हैं.

कुछ समझदार किसान इन बचे हुए फानों से रैपर द्वारा तूड़ी बनवाकर बेच देता है या पशुओं के लिए इस्तेमाल करने में ले लेता है, लेकिन बड़े जमीदार किसान फानों की तूड़ी ना बनवाकर कई एकड़ जमीन पर फानों में आग लगा देता है. ऐसा करने वालों की संख्या कम नहीं है. अनुमान है कि हर 33 प्रतिशत से ज्यादा किसान फानों में आग लगा रहा है.

क्षेत्र में कई गांव में खेत रोड से सटे हुए हैं. जहां गेहूं काटने के उपरांत बचे हुए अवशेष को किसान आग लगा देते हैं. इस वजह से रोड पर चलने वाले टू व्हीलर और फोर व्हीलर को बहुत ज्यादा दिक्कतें उठानी पड़ती हैं. कई बार तेज आंधी की वजह से आग की लपटें आधे रोड तक पहंच जाती हैं और धुंआ ही धुंआ फैल जाता है. इस धूंए से सड़के के दोनों तरफ वाहनों को बीच में ही रोकना पड़ता है. हालात ये भी हैं कि बाइक चालकों का धुंए के कारण दम भी घुटने लगता है.

Intro:एंकर रीड- लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण हर क्षेत्र में प्रशासन ने अवशेष जलाने पर रोक लगा रखी है। लेकिन गोहाना व् गोहाना के आस पास के गांव में इसका कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा। लगातार खुलेआम किसान नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कम्बाईन से गेहूं की कटाई के उपरांत बचे अवशेष का प्रयोग तूड़ी बनाने के लिए हो सकता है। लेकिन ज्यादातर किसान तूड़ी न बनाकर सीधे तौर पर आग लगा रहे हैं।क्षेत्र में कई गांव में खेत रोड से सटे हुए हैं। जहां गेहूं काटने के उपरांत बचे हुए अवशेष को किसान आग लगा देते हैं। जिसके कारण रोड पर चलने वाले टूव्हीलर और फोरव्हीलर को बहुत ज्यादा दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। कई बार तेज आंधी के कारण आग की लपटें आधे रोड तक पहंच जाती हैं और धुंआ ही धुंआ फैल जाता है। जिस के कारण कुछ दिखाई नही देता है और मजबूरी के चलते दोनों तरफ वाहनों को बीच मे ही रोकना पड़ता है। हालात ये भी हैं कि बाइक चालकों का धुंए के कारण दम भी घुटने लगता है।अगर कृषिविभाग के अधिकारियो की माने तो सरकार सेटेलाईट से ऐसे स्थानों की पहचान कर उनके खिलाफ नोटिश भेजे जा रहे है और उनके खिलाफ जुर्माने के साथ साथ सजा का भी प्रावधान है Body:विओ- जिला प्रशासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए सरेआम गेहूं के बचे अवशेष जलाए जा रहे हैं। प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है...गेहूं के बचे अवशेष को जलाने से वातावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है। धुएं से वातावरण इतना प्रदूषित हो रहा है कि आस पास में रह रहे लोगों को सांस संबंधित बीमारियां घेर रही हैं, लेकिन आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों की परवाह न करते हुए किसान सरेआम गेहूं के बचे अवशेष को आग के हवाले कर रहे हैं। गेहूं काटने के बाद किसान अगली फसल की बिजाई करने के लिए बचे हुए अवशेष को आग लगा रहा है, अगली फसल की बिजाई में जल्दबाजी करने के चक्कर मे किसान गेहूं के फ़ानों में आग लगा देता है। समय की बचत और मजदुर न मिलने के कारण आज 80 % किसान कम्बाईन से गेहूँ कटवा रहे हैं।कुछ समझदार किसान इन बचे हुए फ़ानों से रैपर द्वारा तूड़ी बनवाकर बेच देता है या पशुओं के लिए इस्तेमाल करने में ले लेता है। लेकिन बड़े जमीदार किसान फ़ानों की तूड़ी न बनवाकर कई एकड़ जमीन पर फ़ानों में आग लगा देता है । ऐसा हर तीसरा किसान कर रहा है। अगली फसल की बिजाई कि लिए किसान जमीन की तैयारी में जुटें हुए हैं किसानो के खेतो में अवशेष जलाने के चलते जहा सड़क के किनारे खड़े वन विभाग के पेड़ो को नुकशान हो रहा है वही सड़क पर आने जाने वाले लोगो को भी परेशानी हो रही है और आग लगने से हादसे होने का भी डर अधिक रहता है
बाईट - विकाश राहगीर
बाईट - रविंदर राहगीर
वि ओ :- आलम ये भी है किसान अगली फसल की बिजाई की जल्दबाजी में अवशेषों में आग तो लगा देते हैं,लेकिन गर्मी की वजह से अवशेषों की आग विकराल रूप धारण कर लेती है..जिसके कारण आने जाने वाले राहीगिरो को न केवल धुंए के कारण कुछ दिखाई नही देता,साथ ही आग की लपटों से आग की चपेट में आने का खतरा बना रहता है... रोड के किनारे लगाएं गए सैकड़ो जिंदा पेड़ आग में दफन हो रहे हैं। जहां पर्यावरण की रक्षा के लिए हर कोई पेड़ लगाने के लिए जोर देता हैं,वहीं जिंदा पेड़ आग की बलि चढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं किसानो को भी फांसो में आग लगा देने से काफी नुकशान होता है,किसान की जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है,मित्र किट जिंदा दफ़न हो जाते हैं। साथ ही किसानों को फांसो को न जलाने पर सरकार ने सब्सिडी देने का प्रावधान भी किया हुआ है। लेकिन जब किसानों से अवशेषों में आग लगाने बाबत बात की जाती है तो किसान आग लगाने से नकार देते हैं कि हमने नहीं जलाया है। हालांकि ये बात झूठ होती है। किसान ये आग दिन शाम के समय लगाते हैं। ताकि प्रशासन की नज़र उनपर न पड़ सके। शायद प्रशासन भी गहरी नींद में सोया रहता है।
वि ओ ;- वही इस बारे में गोहाना कृषि विभाग के एसडीओ राजेंद्र मेहरा ने सरकार ने खेतो में अवशेष जलाने पर रोक लगा रखी है लेकिन इसके बावजूद भी किसान अपने अवशेष जलाने स इ बाज नहीं आ रहे ऐसे किसानो के खिलाफ सेटेलाईट से नजर रखी जा रही है और उन किसानो को नोटिश भेज कर जवाब माँगा जा रहा है इतना ही नहीं ऐसा करने वाले किसानो के सोनीपत प्रशासन दवारा करवाई भी की जा रही है और किसानो को जुरमाना भी लगाया जा रहा है जुरमाना नहीं भरने पर किसानो के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश भी सोनीपत डीसी दवारा जारी किये जा सकते है किसानो को समय समय पर समझाया जा रहा है खेतो में अवशेष जलाने से क्या क्या नुकशान हो रहा है
बाईट - राजेंदर मेहरा एसडीओ गोहाना कृषि अधिकारी
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