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कारगिल विजयः ईटीवी भारत पर देखिए सोनीपत के शहीद लक्ष्मण सिंह की गौरव गाथा - शहीद लक्ष्मण सिंह

शहीद लक्ष्मण सिंह के बेटे पवन बालियान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि जहां पूरा देश उनकी शहादत को सलाम कर रहा है वहीं उन्हें भी अपने पिता की शहादत पर गर्व हैं.

शहीद लक्ष्मण सिंह की प्रतिमा
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Published : Jul 25, 2019, 10:36 PM IST

सोनीपत: पूरे देश में कारगिल शहीदी दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर याद किया जा रहा है. शहीदों की वीर गाथाएं देश के इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. सोनीपत के गांव मल्हाना से भी सैनिक शहीद लक्ष्मण सिंह बालियान कारगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे. हवलदार लक्ष्मण सिंह बालियान के शौर्य पर पूरे गांव को गर्व है तो वहीं उनके बेटे को भी अपने पिता के इस बलिदान पर फख्र है.

क्लिक कर देखें वीडियो

'दुश्मनों को घुटने टेकने पर किया मजबूर'
कारगिल युद्ध के दौरान देश के जवानों ने देश के लिए शहादत देते हुए दुश्मन देश को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था. सोनीपत जिले के 6 जवानों ने अपनी जान पर खेलकर देश की रक्षा की थी. इनमें से एक वीर जवान गांव मल्हाना के रहने वाले हवलदार लक्ष्मण सिंह बालियान भी थे.

कारगिल युद्ध का आया था बुलावा
शहीद लक्ष्मण सिंह बालियान के बेटे पवन ने बताया कि उनके पिता सेना से घर पर छुट्टी आए हुए थे और घर पर मकान का निर्माण करवा रहे थे. उसी दौरान युद्ध होने पर बुलावा आया तो पिता घर से तुरंत रवाना हो गए और युद्ध के दौरान वे वीरगति को प्राप्त हो गए. उन्होंने बताया कि उस वक्त उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के सहयोग से आज पूरा परिवार सम्पन्न है.

सोनीपत: पूरे देश में कारगिल शहीदी दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर याद किया जा रहा है. शहीदों की वीर गाथाएं देश के इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. सोनीपत के गांव मल्हाना से भी सैनिक शहीद लक्ष्मण सिंह बालियान कारगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे. हवलदार लक्ष्मण सिंह बालियान के शौर्य पर पूरे गांव को गर्व है तो वहीं उनके बेटे को भी अपने पिता के इस बलिदान पर फख्र है.

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'दुश्मनों को घुटने टेकने पर किया मजबूर'
कारगिल युद्ध के दौरान देश के जवानों ने देश के लिए शहादत देते हुए दुश्मन देश को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था. सोनीपत जिले के 6 जवानों ने अपनी जान पर खेलकर देश की रक्षा की थी. इनमें से एक वीर जवान गांव मल्हाना के रहने वाले हवलदार लक्ष्मण सिंह बालियान भी थे.

कारगिल युद्ध का आया था बुलावा
शहीद लक्ष्मण सिंह बालियान के बेटे पवन ने बताया कि उनके पिता सेना से घर पर छुट्टी आए हुए थे और घर पर मकान का निर्माण करवा रहे थे. उसी दौरान युद्ध होने पर बुलावा आया तो पिता घर से तुरंत रवाना हो गए और युद्ध के दौरान वे वीरगति को प्राप्त हो गए. उन्होंने बताया कि उस वक्त उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के सहयोग से आज पूरा परिवार सम्पन्न है.

Intro:पूरे देश में कारगिल शहीदी दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर याद किया जा रहा है। शहीदों की वीर गाथाएं देश के इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। सोनीपत के गांव मल्हाना से भी सैनिक शहीद लछमन सिंह बालियान कारगिल युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए थे। हवलदार लछमन सिंह बालियान के शौर्य पर पूरे गांव को गर्व है तो वहीं उनके बेटे को भी अपने पिता द्वारा देश पर अपनी जान न्योछावर करने पर फ़क्र है।


Body:कारगिल युद्ध के दौरान देश के जवानों ने देश के लिए शहादत देते हुए दुश्मन देश को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था। सोनीपत जिले के 6 जवानों ने अपनी जान पर खेलकर देश की रक्षा की थी। इनमे से एक वीर जवान गांव मल्हाना के रहने वाले हवालदार लछमन सिंह बालियान भी थे। लछमण सिंह बालियान के बेटे पवन ने बताया कि उनके पिता सेना से घर पर छुट्टी आये हुए थे और घर पर मकान का निर्माण करवाया रहे थे। उसी दौरान युद्ध होने पर बुलावा आया तो पिता घर से तुरन्त रवाना हो गए। युद्ध के दौरान वे वीरगति को प्राप्त हो गए। उस वक्त घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी के सरकार के सहयोग से आज पूरा परिवार सम्पन्न है। पवन बालियान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जहां पूरे देश उनकी शहादत को सलाम कर रही है वहीं उन्हें भी अपने पिता की शहादत पर गर्व हैं।
one2one with pawan balyan


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