सोनीपत: आज ही के दिन 46 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल (emergency in india 1975) लगा दिया था. आपातकाल को करीब से देखने वाले और इसका विरोध करने वाले सत्याग्रहियों और दूसरे लोगों के जेहन में वो खौफ हमेशा के लिए कैद हो गया. उस वक्त को याद करते ही आपातकाल का गवाह बने लोग ठिठक से जाते हैं.
उस आपातकाल में बीजेपी के चुनाव प्रदेश संयोजक ललित बत्रा ने भी महज 13 साल की उम्र (13 year old lalit batra) में ना सिर्फ सत्याग्रह में हिस्सा लिया था बल्कि वो कई बड़े नेताओं के साथ 11 महीने रोहतक जेल में भी बंद रहे थे. ईटीवी भारत के साथ आपातकाल के समय के अनुभव को याद करते हुए ललित बत्रा ने बताया कि वो उस वक्त 13 साल के थे और नौवीं कक्षा में पढ़ते थे.
ललित बत्रा ने बताया कि हमने सोनीपत के अंदर गीता भवन चौक से लेकर पूरे शहर में आपातकाल के खिलाफ सत्याग्रह किया था और उस सत्याग्रह में नौ लोग शामिल थे, जिनको गिरफ्तार करके पहले सोनीपत की सबसे पुरानी चौकी पर ले जाया गया और वहां से हमें रोहतक जेल भेज दिया गया.
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जेल के अनुभव को याद करते हुए ललित बत्रा ने बताया कि मैं वहां पर सबसे छोटा सत्याग्रही था और जेल में देश के करीब 185 बड़े नेता बंद थे, जिनमें उड़ीसा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भी थे. उन्होंने आगे बताया कि एक बार जेल का डीआईजी हमसे मुलाकात करने आया था. पहले तो इतने छोटे बच्चे को जेल में देखकर डीआईजी चौक गया और उसने जेलक से पूछा कि इतनी कम उम्र का बच्चा जेल में क्या कर रहा है.
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बत्रा ने आगे कहा कि डीआईजी इससे पहले की कुछ और बोलता मैंने भारत माता की जय और इंदिरा गांधी के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए. जिसपर डीआईजी का भ्रम टूट गया और उसने कहा कि ये बच्चा जेल में ही रहना चाहिए वरना ये हमारी नाक में दम कर देगा.
आखिर होता क्या है आपातकाल ?
आपातकाल भारतीय संविधान में एक ऐसा प्रावधान है, जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब देश को किसी आंतरिक, बाहरी या आर्थिक रूप से किसी तरह के खतरे की आशंका होती है. इसके बाद केंद्र सरकार बिना किसी रोकटोक के कोई भी फैसला ले सकती है. हमारे देश में एक बार नहीं बल्कि तीन बार आपातकाल लगा है, पहली बार 1968 में जब भारत-चीन युद्ध हुआ, दूसरी बार 1971 में जब भात-पाकिस्तान युद्ध हुआ और तीसरी बार 1975 में.