सोनीपत: पूरे देश में कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. पीएम और सीएम कई बार लोगों से नियमों की पालना और सावधानी बरतने की अपील कर चुके हैं, लेकिन खुद उन्हीं के कार्यकर्ता नियम तोड़ने में लगे हैं. ताजा तस्वीर सोनीपत से सामने आई है. जहां पर खाना लेने के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई. किसी ने भी ना तो मास्क पहना हुआ था ना ही किसी प्रकार का एहतियात बरता हुआ था.
बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उड़ाई सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां
तस्वीरें गोहाना के राजघराना गार्डन की हैं, जहां पर बरोदा उपचुनाव के मद्दनेजर बीजेपी कार्यकर्ताओं की बैठक रखी गई थी. इस बैठक के बाद खाने की व्यवस्था की गई थी. इस व्यवस्था में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का ऐसा मजाक उड़ाया जैसे कि दुनिया में कोरोना नाम की कोई महामारी ही नहीं है.
बिना मास्क सभी कार्यकर्ता खाने पर टूटे
इस पर प्रशासन भी मात्र तमाशबीन बनकर रह गया. बीजेपी के ये कार्यकर्ता खाने पर ऐसे टूट पड़े जैसे इन्होंने कभी खाने को देखा ही ना हो या लॉकडाउन के बाद ही ऐसा खाना खाने को मिल रहा हो. बैठक खत्म होने के बाद सभी बीजेपी कार्यकर्ता खाने पर ऐसे टूटे जैसे की ये खाना खत्म ही होने वाला हो.
बरोदा उपचुनाव को लेकर थी बैठक
बता दें कि, इस बैठक में बीजेपी के बड़े-बड़े नेता आए थे. इसमें प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़, पूर्व परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार, जिला अध्यक्ष और विधायक मोहनलाल बडोली शामिल थे. वहीं सोशल डिस्टेंस मामले पर ये नेता गोलमोल बोलते नजर आए.
जब पूर्व परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार से इस मामले पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे कार्यालय में सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान रखा जाता है और कहीं चूक हुई है तो उस पर आगे से ध्यान रखा जाएगा. छोटी मोटी जो खामियां हैं उनको जल्द ही दूर किया जाएगा.
विधायक ने दी झूठी सफाई
वहीं राई विधायक और जिलाध्यक्ष मोहन लाल ने तस्वीरों को झूठलाते हुए कहा कि हमारे कार्यकर्ता सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखते हैं. वे कोरोना वायरस से बचने के लिए पूरी तरीके से जागरूक हैं. अगर कोई छोटी मोटी चूक हुई है तो आगे से उसका ध्यान रखा जाएगा. बता दें कि, मास्क न लगाने पर नगर परिषद द्वारा 500 रुपये का चालान किया जाता है और सोशल डिस्टेंसिंग का भी अलग से 200 रुपये चालाल काटा जाता है.
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अब सवाल ये है कि क्या इनका चालान कोई काट पाएगा. शायद नहीं क्योंकि ये आम आदमी नहीं बल्कि सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता हैं. अगर इनका चालान हो जाता तो सरकार के राजस्व में भी कुछ पैसा आ जाता और कार्यकर्ता वाकई में जागरूक हो जाते. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का आगे से ऐसे मजाक नहीं उड़ाते.