सोनीपत: खरखौदा में बीजेपी की ओर से विजय संकल्प रैली का आयोजन किया गया. रैली में सीएम मनोहर लाल, कैबिनेट मंत्री कविता जैन, सोनीपत से बीजेपी उम्मीदवार रमेश कौशिक सहित कई बड़े नेता मौजूद रहे.
कितना भी जोर लगा लो, आवेगा तो मोदी ही- सीएम खट्टर
विजय संकल्प रैली के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणवी में कहा कि पीएम-सीएम सारी जनता, सारे चौकीदार सें. 85 करोड़ जनता अपनी सरकार चुनने जा रही है. 3 चरणों में हो चुके चुनाव में बीजेपी ही सबसे आगे है, क्योकि इस बार भी आवेगा तो मोदी ही. इसके साथ ही सीएम ने कहा कि पर्ची, खर्ची सिस्टम बीजेनी ने बंद किए. आज गरीब का बेटा भी नौकरी पर है. अब नौकरी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है.
खरखौदा में BJP का 'विजयी संकल्प' कांग्रेस पर बरसे सीएम
अपने संबोधन में सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. सीएम ने कहा कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार फैलाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ निजी हितों तक सीमित है. उसे देश के विकास से कोई लेना-देना नहीं है. इसके साथ ही कांग्रेस के घोषणापत्र पर निशाना साधते हुए सीएम ने कहा कि कांग्रेस का घोषणा पत्र आतंकवाद समर्थित विचारधारा को दर्शाता है. जबकी पीएम मोदी देशद्रोहियों को सबक सिखा रहे हैं.
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सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड देवीलाल परिवार के पास, जीत का स्कोर भजनलाल के कुनबे का बेहतर
राजनीति में भजन-देवी-बंसी से पुराना हुड्डा परिवार, 96 साल पहले लड़ा पहला चुनाव
प्रदेश की अब तक की 18 सरकारों में से 15 बार इन परिवारों के सदस्यों के हाथ रही सत्ता पढ़िए परिवारों का चुनावी रिकॉर्ड
चंडीगढ़. हरियाणा की चुनावी राजनीति के 102 साल के इतिहास में पहला मौका है, जब तीन लाल परिवारों के 5 सदस्य एक साथ लोकसभा के लिए चुनाव मैदान में हैं। लाल परिवारों से भी पुराने हुड्डा परिवार के पिता-पुत्र एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं। 1917 में रोहतक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे चौधरी छोटूराम के पड़नाती (हिसार से बृजेंद्र सिंह) को भी जोड़ लें तो यह आंकड़ा और रोचक बन रहा है। कुल तीन लाल व हुड्डा परिवारों का चुनाव स्कोर जोड़ें तो 99 साल में इन परिवारों के 29 सदस्य 159 चुनाव लड़कर 113 जीते हैं। इनमें स्थानीय निकायों के चुनाव शामिल नहीं हैं। अभय चौटाला पंच तो हुड्डा ब्लॉक समिति सदस्य रहे हैं। सबसे ज्यादा बार और सबसे ज्यादा जगह से लड़ने व हारने का रिकॉर्ड देवीलाल परिवार के नाम है।
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- बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह ने विधानसभा का पहला चुनाव 1977 में निर्दलीय लड़ा था। चुनाव चिह्न पंजा था, जो बाद में कांग्रेस (आई) का निशान बना।
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- आदमपुर 1967 से अब तक भजन लाल या उनके परिवार का ही सदस्य यहां से विधायक बनता रहा है। यहां भजन परिवार ने देवीलाल और सुरेंद्र सिंह को भी हराया।
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- देवीलाल को बंसीलाल और भजन लाल ने विधानसभा तो भूपेंद्र हुड्डा ने लोकसभा के चुनाव में हराया।
देवीलाल: 80 साल, 73वां चुनाव, 12वां सदस्य
देवीलाल परिवार ने 1937-38 में राजनीति में कदम रखा था। देवीलाल के बड़े भाई साहिब राम ब्रिटिश असेंबली में हिसार नॉर्थ ने जीते थे। देवीलाल ने 1952 में कांग्रेस के टिकट पर सिरसा आउटर से विधानसभा चुनाव जीता था। 1989 में तो उन्होंने रोहतक, पंजाब के फिरोजपुर और राजस्थान के सीकर से एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ा और फिरोजपुर छोड़कर दो जगह जीते भी। पूरे जीवन में विभिन्न सदनों के 22 चुनाव लड़े और 12 बार जीते। उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला 16 में से 12 चुनाव जीते हैं। 5 बार सीएम भी रहे। देवीलाल के 4 बेटों में से सिर्फ जगदीश चौटाला चुनाव से दूर रहे। इस परिवार का यह 73वां चुनाव है और कुरुक्षेत्र से लड़ रहे अर्जुन चौटाला परिवार के 12वें सदस्य हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा पार्टियां भी इसी परिवार से बनी हैं।
रिकॉर्ड: सबसे अधिक लड़े
देवीलाल: 22 चुनाव लड़े 12 जीते
ओपी चौटाला: 16 में से 12 चुनाव जीते
इन सीटों पर लड़ चुके
लोकसभा की 7ः रोहतक, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, सीकर, फिरोजपुर, भिवानी, हिसार।
विधानसभा 11-डबवाली: एलनाबाद, रोड़ी, नरवाना, महम, जींद, आदमपुर, सिरसा आउटर, हिसार नॉर्थ, राजस्थान के दाता-रामगढ़, नोहर।
भजनलाल: 51 साल, 29 चुनाव, भव्य 7वां सदस्य
खुद राजनीतिक पीएचडी कहलवाने वाले भजनलाल के परिवार ने 29 चुनाव लड़े और सिर्फ 4 में हारी मिली। इसमें उनके भतीजे दूड़ाराम का स्कोर शामिल नहीं जो 3 में से दो चुनाव हारे। भजनलाल, उनकी पत्नी जसमा, बेटे चंद्रमोहन व कुलदीप एक-एक बार हारे हैं। आदमपुर हलके से 52 साल में कभी भजन परिवार को निराशा नहीं मिली। विधायक कुलदीप व रेणुका के बेटे भव्य परिवार के 7वें सदस्य हैं जो राजनीति में लांच हुए हैं। चंद्रमोहन बेटे सिद्धार्थ के लिए प्रयासरत हैं। भजन लाल दो बार सीएम बने। 2005 में उनके प्रदेशाध्यक्ष रहते कांग्रेस हरियाणा में बहुमत में आई, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। इस पर अलग हरियाण जनहित कांग्रेस पार्टी बनाई, जिसका बाद में कांग्रेस में विलय हुआ।
रिकॉर्ड: आदमपुर कभी नहीं हारे
भजन लाल: 12 चुनाव लड़े, 11 जीते
कुलदीप बिश्नोई: 5 चुनाव लड़े 4 जीते
इन सीटों पर लड़ चुके
लोकसभा (3)ः फरीदाबाद, हिसार और करनाल संसदीय क्षेत्र से।
विधानसभा (5): आदमपुर, नलवा, हांसी, कालका, फतेहाबाद।
बंसीलाल: 59 साल, 36 चुनाव, बेटे-बहू, बेटी-दामाद व पोती
1967 में 8 माह के लिए सीएम बने बंसीलाल उससे पहले 1960 में राज्यसभा में चुने गए थे। कांग्रेस से नाराजगी के चलते बंसी ने 1991 में हरियाणा विकास पार्टी बना ली थी। 1996 में सरकार बनाई। बेटे सुरेंद्र सिंह एमपी और एमएलए के 10 चुनाव लड़कर 7 जीते। दो बार राज्यसभा गए। सुरेंद्र की पत्नी किरण चौधरी कांग्रेस विधायक दल की नेता हैं। उन्होंने हरियाणा में 4 चुनाव में शतप्रतिशत जीत दर्ज की। तीसरी पीढ़ी श्रुति चौधरी एक बार सांसद बनीं तो एक बार हारीं। दिलचस्प है कि धर्मबीर सिंह बंसी, सुरेंद्र और श्रुति तीनों को एक-एक बार हरा चुके हैं। बंसी के दूसरे बेटे रणबीर महेंद्रा, बेटी सुमित्रा और दामाद सोमबीर ने भी चुनाव लड़े हैं। रणबीर व सोमबीर एक-एक बार विधायक भी बने।
रिकॉर्ड: तीन पीढ़ियां एक से हारीं
बंसीलाल : 11 चुनाव लड़े, 9 जीते
सुरेंद्र सिंह: 10 चुनाव लड़े 7 बारे जीते
इन सीटों पर लड़ चुके
लोकसभा की (1)ः भिवानी महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र।
विधानसभा की (5): तोशाम, आदमपुर, लोहारु, बाढड़ा, दिल्ली।
हुड्डा: 96 साल, 28 चुनाव, दीपेंद्र पांचवें सदस्य
दो बार सीएम रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत (पहली बार रोहतक से बाहर) तो उनके बेटे दीपेंद्र रोहतक से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। भूपेंद्र के दादा चौधरी मातूराम ने 1923 में स्वराज पार्टी से चुनाव लड़ा थे, पर हार गए थे। हालांकि पिटीशन के बाद नतीजे बदल गए थे। भूपेंद्र हुड्डा के पिता चौधरी रणबीर सिंह ने 10 चुनाव लड़े 8 बार जीते। हुड्डा के बड़े भाई कैप्टन प्रताप सिंह 1972 में पहला चुनाव हारे थे। उसके बाद 1987 तक लगातार 4 बार हुड्डा परिवार हारा तो अगले 3 चुनावों में भाग नहीं लिया। हुड्डा रोहतक से तीन बार सांसद बने, जबकि एक बार हारे। दीपेंद्र भी लगातार तीन बार सांसद बने हैं। एक सीट पर तीन पीढ़ियां सांसद बनने का रिकॉर्ड इनके नाम है। कुल मिलाकर 28 चुनाव में से 22 बार जीते हैं।
रिकॉर्ड: एक सीट पर तीन पीढि़यां
रणबीर सिंह : 10 चुनाव लड़े, 8 जीते
भूपेंद्र हुड्डा: 12 चुनाव लड़े, 9 बार जीतेे
इन सीटों पर लड़ चुके
लोकसभा की (1)ः रोहतक, इस बार सोनीपत
विधानसभा की (2): गढ़ी सांपला-किलोई, सांघी।
Conclusion: