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बरोदा के युवाओं ने बताया किन मुद्दों पर करेंगे मतदान, देखिए खास रिपोर्ट - बरोदा रोजगार उपचुनाव

बरोदा के गांव बली में युवाओं की टोली जो हम से बातचीत की उसे देखकर यह लगता है कि बरोदा युवा विकास चाहते हैं. युवा ट्रांसपोर्ट सिस्टम फ्री करने की डिमांड करते हैं, वहीं शिक्षा व्यवस्था में एक बार फिर बदलाव की मांग करते हैं.

baroda assembly youth told on which issues their vote will go
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Published : Oct 17, 2020, 7:04 AM IST

बरोदा: सिर्फ 18 दिन के बाद बरोदा में उपचुनाव होने वाले हैं. उससे पहले बरोदा की जनता किन बातों को लेकर अपने उम्मीदवार वोट डालेगी, ये जानने के लिए हमारी टीम बोल बरोदा बोल कार्यक्रम के तहत गांव बली में पहुंची. गांव बरोदा में हमारी टीम ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल पूछे तो युवाओं ने कहा कि हमारे गांव में सरकारी स्कूल तो है, लेकिन जब हम पढ़ाई के लिए शहर जाते हैं. उन्हें ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में बड़ी दिक्कते होती हैं.

'गांव में शिक्षण संस्थान तो है, लेकिन सुविधा नहीं'

गांव बली के युवाओं का कहना है कि गांव में स्कूल है, लाइब्रेरी है, इंजीनियरिंग कॉलेज भी है, लेकिन गांव में ये संस्थान बना तो दिए गए, लेकिन इनमें काम नहीं हुआ, जिससे विद्यार्थियों का इन संस्थानों की तरफ रुझान भी नहीं हुआ. गांव के स्कूल में नए कमरे बना दिए गए हैं, लेकिन स्कूल में एक्टिविटी पर ध्यान नहीं दिया जाता. स्कूल के ग्राउंड में झूले नहीं है. बच्चे ऐसे में सरकारी स्कूलों में जाना पसंद नहीं करते.

बरोदा के युवाओं ने बताया किन मुद्दों पर जाएगा उनका वोट, देखिए खास रिपोर्ट

'नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला हो अनिवार्य'

कुछ युवाओं ने सरकार से मांग की कि प्रदेश के सभी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, विधायकों और मंत्रियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना अनिवार्य कर देना चाहिए. युवाओं का मानना है कि इस पहल से सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधरेगी. वहीं लोगों की मानसिकता भी बदलेगी.

ट्रांसपोर्टेशन के सवाल पर बली गांव के युवाओं का कहना है कि ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था तो काफी बिगड़ी हुई है. उनका कहना है कि अगर बस पकड़नी है तो डेढ़ से दो किलोमीटर दूर जाकर बस अड्डे पर बस पकड़नी पड़ती है. ऐसे में शहर से बाहर जाकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों या जरूरतमंदों को काफी परेशानी होती है.

'रोजगार हासिल करना है बड़ा चैलेंज'

युवाओं का कहना है कि बरोदा हल्के में कोई इंडस्ट्री या कोई बड़ी कंपनी नहीं है, नौकरियों के लिए युवाओं के दूसरे बड़े शहरों की तरफ रुख करना पड़ता है. युवा यहां पढ़ भी लेता है तो नौकरी हासिल करना एक बड़ा चैलेंज बन जाता है.

'पूर्व विधायकों ने नहीं दिया शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान'

गांव बली के कुछ युवाओं का कहना है कि यहां जो भी पूर्व विधायक थे उनके राज में शिक्षा व्यवस्था पर कोई भी कार्य नहीं हुआ. शिक्षा व्यवस्था और सुविधाओं को लेकर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया. स्कूलों में मूलभूत जरूरतें भी पूरी भी नहीं हुईं. ऐसे में बली गांव के युवा पूर्व विधायकों को एजुकेशन सिस्टम के नाम पर फेल बताते हैं.

ये पढ़ें- बरोदा में पसीना बहा चुके हैं बीजेपी के दिग्गज लेकिन आज तक नहीं मिली जीत, जानिए क्यों

बरोदा: सिर्फ 18 दिन के बाद बरोदा में उपचुनाव होने वाले हैं. उससे पहले बरोदा की जनता किन बातों को लेकर अपने उम्मीदवार वोट डालेगी, ये जानने के लिए हमारी टीम बोल बरोदा बोल कार्यक्रम के तहत गांव बली में पहुंची. गांव बरोदा में हमारी टीम ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल पूछे तो युवाओं ने कहा कि हमारे गांव में सरकारी स्कूल तो है, लेकिन जब हम पढ़ाई के लिए शहर जाते हैं. उन्हें ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में बड़ी दिक्कते होती हैं.

'गांव में शिक्षण संस्थान तो है, लेकिन सुविधा नहीं'

गांव बली के युवाओं का कहना है कि गांव में स्कूल है, लाइब्रेरी है, इंजीनियरिंग कॉलेज भी है, लेकिन गांव में ये संस्थान बना तो दिए गए, लेकिन इनमें काम नहीं हुआ, जिससे विद्यार्थियों का इन संस्थानों की तरफ रुझान भी नहीं हुआ. गांव के स्कूल में नए कमरे बना दिए गए हैं, लेकिन स्कूल में एक्टिविटी पर ध्यान नहीं दिया जाता. स्कूल के ग्राउंड में झूले नहीं है. बच्चे ऐसे में सरकारी स्कूलों में जाना पसंद नहीं करते.

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'नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला हो अनिवार्य'

कुछ युवाओं ने सरकार से मांग की कि प्रदेश के सभी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, विधायकों और मंत्रियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना अनिवार्य कर देना चाहिए. युवाओं का मानना है कि इस पहल से सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधरेगी. वहीं लोगों की मानसिकता भी बदलेगी.

ट्रांसपोर्टेशन के सवाल पर बली गांव के युवाओं का कहना है कि ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था तो काफी बिगड़ी हुई है. उनका कहना है कि अगर बस पकड़नी है तो डेढ़ से दो किलोमीटर दूर जाकर बस अड्डे पर बस पकड़नी पड़ती है. ऐसे में शहर से बाहर जाकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों या जरूरतमंदों को काफी परेशानी होती है.

'रोजगार हासिल करना है बड़ा चैलेंज'

युवाओं का कहना है कि बरोदा हल्के में कोई इंडस्ट्री या कोई बड़ी कंपनी नहीं है, नौकरियों के लिए युवाओं के दूसरे बड़े शहरों की तरफ रुख करना पड़ता है. युवा यहां पढ़ भी लेता है तो नौकरी हासिल करना एक बड़ा चैलेंज बन जाता है.

'पूर्व विधायकों ने नहीं दिया शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान'

गांव बली के कुछ युवाओं का कहना है कि यहां जो भी पूर्व विधायक थे उनके राज में शिक्षा व्यवस्था पर कोई भी कार्य नहीं हुआ. शिक्षा व्यवस्था और सुविधाओं को लेकर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया. स्कूलों में मूलभूत जरूरतें भी पूरी भी नहीं हुईं. ऐसे में बली गांव के युवा पूर्व विधायकों को एजुकेशन सिस्टम के नाम पर फेल बताते हैं.

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