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भिखारी निकला छत्तीसगढ़ का व्यापारी, 12 साल बाद परिवार से मिला - चैरिटेबल ट्रस्ट

चैरिटेबल ट्रस्ट की मेहनत के चलते 12 साल बाद एक परिवार को उसका सदस्य मिल गया है.

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Published : Feb 2, 2019, 5:54 PM IST

सोनीपत: चैरिटेबल ट्रस्ट की मेहनत के चलते 12 साल बाद एक परिवार को उसका सदस्य मिल गया है.

जानकारी के मुताबिक, 12 साल पहले सड़कों पर भटकते हुए एक भिखारी सोनीपत पहुंचा था. उसके बाद जितेंद्र जोकि कोशिश चैरिटेबल ट्रस्ट चलाते हैं. उन्होंने मुरलीधर को अपने पास रख लिया और उसे खाने-पीने और रहने के लिए जगह दी, करीब 9 साल बाद मुरलीधर ने एक कागज के टुकड़े पर अपने घर का पता लिख दिया.

देखें वीडियो.
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भिखारी निकला छत्तीसगढ़ का व्यापारी
इसके बाद पता चला कि वह भिखारी असल में छत्तीसगढ़ का एक व्यापारी था. जोकि व्यापार में घाटे के चलते मानसिक रूप से परेशान हो गया था और घर से निकल गया था.

12 साल बाद मुरलीधर परिवार से मिला
इसके बाद लिखे पते पर घर वालों को बुलाया गया और व्यापारी मुरलीधर को उसके घर वालों को सौंप दिया गया. घरवालों ने संस्था का तहे दिल से धन्यवाद किया है.

सोनीपत: चैरिटेबल ट्रस्ट की मेहनत के चलते 12 साल बाद एक परिवार को उसका सदस्य मिल गया है.

जानकारी के मुताबिक, 12 साल पहले सड़कों पर भटकते हुए एक भिखारी सोनीपत पहुंचा था. उसके बाद जितेंद्र जोकि कोशिश चैरिटेबल ट्रस्ट चलाते हैं. उन्होंने मुरलीधर को अपने पास रख लिया और उसे खाने-पीने और रहने के लिए जगह दी, करीब 9 साल बाद मुरलीधर ने एक कागज के टुकड़े पर अपने घर का पता लिख दिया.

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भिखारी निकला छत्तीसगढ़ का व्यापारी
इसके बाद पता चला कि वह भिखारी असल में छत्तीसगढ़ का एक व्यापारी था. जोकि व्यापार में घाटे के चलते मानसिक रूप से परेशान हो गया था और घर से निकल गया था.

12 साल बाद मुरलीधर परिवार से मिला
इसके बाद लिखे पते पर घर वालों को बुलाया गया और व्यापारी मुरलीधर को उसके घर वालों को सौंप दिया गया. घरवालों ने संस्था का तहे दिल से धन्यवाद किया है.

SPECIAL STORY...

NEWS BY : SANJEET CHOUDHARY, SONIPAT
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सोनीपत में एक संस्था की मेहनत लाई रंग...
12 साल बाद परिवार को मिला अपना सदस्य।
परिवार में खुशी का माहौल संस्था का का किया दिल से धन्यवाद।

एंकर-
इंसान की इंसानियत कभी मरती नहीं, इंसान ना जाने किस मुकाम पर किसी का सारथी बनकर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचा दे... इसका जीता जागता उदाहरण मिला सोनीपत में... जहाँ एक मंदबुद्धि व्यक्ति 12 सालों से अपने परिवार से बिछुड़कर एक ऐसे इंसान के घर पल रहा था जिसके जीवन में अपने परिवार से मिलने की कोई उम्मीद ही दिखाई नहीं दे रही थी... लेकिन सोनीपत के जितेंद्र अग्रवाल के अथक प्रयासों से मिसाल कायम करते हुए इस मन्दबुद्धि व्यक्ति को महीने दो महीने या साल दो साल ही नहीं बल्कि 12 सालों तक अपने पास रखा और आखिरकार 12 सालों के बाद इस मन्दबुद्धि व्यक्ति को उसके परिवार से मिलवाने में कामयाबी हासिल की... इस ख़ुशी का इजहार करते हुए अपने परिवार से बिछुड़े मन्दबुद्धि व्यक्ति को पाकर परिवार वालों की ख़ुशी का भी ठिकाना नहीं है... इस मामले में 12 सालों तक अपने परिवार की तरह पालने वाले जितेंद्र ने भरसक प्रयास किये और आखिरकार जितेंदर को अपने मकसद में कामयाब रहा....  
वीओ -
सोनीपत की कोशिश चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन की मेहनत के चलते 12 साल बाद एक परिवार को का सदस्य मिल गया... आपको बता दें कि 12 साल पहले सोनीपत की सड़कों पर भटकते हुए एक भिखारी सोनीपत पहुंचा था... उसके बाद जितेंद्र जो कि कोशिश चेरीटेबल ट्रस्ट के नाम से संस्था चलाते हैं... उन्होंने अपने उसे अपने पास रख लिया और उसे खाने-पीने और रहने के लिए जगह दी, करीब 9 साल बाद उस लावारिस आदमी ने एक कागज के टुकड़े पर अपने घर का पता लिख दिया... इसके बाद पता चला कि वह भिखारी असल में छत्तीसगढ़ का एक व्यापारी था... जो व्यापार में घाटे के चलते मानसिक रूप से परेशान हो गया था.. और घर से निकल गया था.... पते लिखे पर घर वालों को बुलाया गया और व्यापारी मुरलीधर को उसके घर वालों को सौंप दिया गया ..घरवालों ने संस्था का तहे दिल से धन्यवाद किया है.
बाईट - जितेंद्र अग्रवाल, चेयरमैन, कोशिश चेरिटेबल ट्रस्ट
वीओ-
व्यापार में घाटे को लेकर मानसिक रूप से परेशान एक व्यवसाई को 12 साल बाद सोनीपत के विशेष बच्चों के स्कूल के संचालक कोशिश चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन जितेंद्र अग्रवाल के प्रयासों के चलते आखिरकार बिछड़ा व्यापारी अपने परिवार से मिला। बिछड़ा व्यापारी छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ का व्यवसायी निकला। बताते चलें कि 12 साल पहले सोनीपत की सड़कों पर भटक रहे रोटी के मोहताज हुए मुरलीधर पर जितेंद्र अग्रवाल की नजर पड़ी। उन्होंने देखा कि यह आदमी मानसिक रूप से परेशान है... मानवता दिखाते हुए जितेंद्र अग्रवाल ने उन्हें रोज खाने और रहने का परिवार की तरह अपने पास रखा... मुरलीधर में खास बात रही कि उन्होंने इन 12 सालों के अंदर कभी किसी से कुछ मांगा नहीं। जितेंद्र अग्रवाल ने उनके अंदर प्रतिभा को देखते हुए एक रोज कागज और पेन लिखने को दिया तो अनायास ही मुरलीधर ने लिखते-लिखते अपने घर का पता भी लिख दिया। जिस पर जितेंद्र अग्रवाल ने संपर्क किया और पता किया तो सारा मामला साफ हुआ कि 12 साल पहले व्यापार में घाटा को लेकर दिमागी संतुलन खो देने वाले मुरलीधर अग्रवाल का उनकी पत्नी और परिवार जब इलाज के लिए दिल लेकर आए थे.... नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से मुरलीधर कही बिछड़ गए थे, जितेंद्र अग्रवाल के अथक प्रयासों के चलते आज 12 साल बाद मुरलीधर को उनका अपना परिवार मिला। छत्तीसगढ़ से भूपेंद्र कुमार मुरलीधर के दामाद और शिवम अग्रवाल उनके नाती उनको लेने के लिए यहां पहुंचे। मुरलीधर का भरा पूरा परिवार है, इसमें तीन लड़की और उनके एक लड़का भी है, परिवार जन मुरलीधर को अपने बीच पाकर बहुत ही खुश नजर आ रहे थे और उनके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे...
बाइट-जितेंद्र अग्रवाल
बाइट- भूपेंद्र कुमार, मुरलीधर के दामाद
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