सोनीपत: खरखौदा के गोदाम से तस्करी की पकड़ी गई शराब को लॉकडाउन में गायब करने में शामिल पुलिस वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है. जहां इंस्पेक्टर रहे जसबीर को बर्खास्त किया जा चुका है. वहीं अब जसबीर और एएसआई नरेंद्र को तीन नोटिस के बाद भी प्रशासनिक जांच में शामिल नहीं होने पर एक्स पार्टी कर दिया गया है.
वहीं एएसआई जयपाल को भी गिरफ्तार नहीं होने पर एक्स पार्टी करने की तैयारी थी, लेकिन अब उसे प्रशासनिक जांच में शामिल करते हुए उसके जेल में बयान लिए गए हैं. उसने शराब गायब करने के लिए पूरी तरह से जसबीर को जिम्मेदार बताया है. पुलिस की प्रशासनिक जांच जल्द ही पूरी हो सकती है.
खरखौदा में बड़ा शराब घोटाला सामने आने के बाद जहां सबसे पहले माफिया भूपेंद्र पर शिकंजा कसा गया था. वहीं इस मामले में दो इंस्पेक्टर समेत 11 पुलिसवालों पर मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में आपराधिक मुकदमों की जांच एसईटी कर रही है तो पुलिस विभाग की प्रशासनिक जांच डीएसपी डॉ. रविंद्र कर रहे हैं.
डीएसपी डॉ. रविंद्र ने इन सभी पुलिसकर्मियों को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किए तो इनमें से 8 पुलिसकर्मी शामिल हो गए थे. लेकिन इंस्पेक्टर रहे जसबीर, एएसआई नरेंद्र व एएसआई जयपाल जांच में शामिल नहीं हुए थे. जिससे इन तीनों को एक्स पार्टी करने की तैयारी हुई, लेकिन उसी समय एएसआई जयपाल पकड़ा गया.
इससे अब जसबीर व नरेंद्र को एक्स पार्टी कर दिया गया है. इन दोनों को जांच में शामिल किए बिना ही आरोपों के आधार पर इन्हें एकतरफा दोषी मानते हुए जांच पूरी करके रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी.
वहीं एएसआई जयपाल को प्रशासनिक जांच में शामिल कर लिया गया है और उसने डीएसपी के सामने अपने बयान दर्ज कराए हैं. जिसमें उसने शराब घोटाले के लिए पूरी तरह से जसबीर को जिम्मेदार बताया है. हालांकि पुलिस का यह मानना है कि इस पूरे मामले में जसबीर की गिरफ्तारी के बाद यह साफ हो जाएगा कि आखिर किस-किस पुलिसवाले की शराब घोटाले में कितनी भूमिका रही है.
क्या है शराब घोटाला?
सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गईं. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र खरखौदा थाने में सरेंडर कर चुका है. जिसे कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया जा चुका है.
कैसे हुई तस्करी?
सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.
पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं.
'पूरी योजना बनाकर निकाली गई थी शराब'
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि शराब माफिया ने पुलिस से सांठ-गांठ कर पूरा गुणा-भाग लगा कर गोदाम से शराब निकाली है. लॉकडाउन के दौरान शराब की मांग बढ़ी तो शराब माफिया ने पुलिस कर्मचारियों को झांसे में लिया. शराब गिनती में पकड़े जाने की बात उठी, तो माफिया ने तर्क दिया कि अब 6 सौ की बोतल 22 सौ में बिक रही है. लॉकडाउन खुलने के बाद 6 सौ रुपये की बोतल खरीद कर वापस गोदाम में रखवा दी जाएगी. जिससे कभी भी यह खेल उजागर नहीं होगा.
कैसे हुआ खुलासा?
डीएसपी हरेंद्र कुमार, डॉ. रविंद्र कुमार और जितेंद्र सिंह की देखरेख में 4 दिन तक शराब की गिनती की गई. पुलिस को सील की गयी गई शराब में से 5500 पेटियां गायब मिली. इनको ताले तोड़कर, सील हटाकर और दीवार उखाड़ कर निकाला गया था. सील की गई शराब गायब होने पर खरखौदा थाने में एसएचओ रहे अरुण कुमार और जसबीर सिंह समेत 5 पर मुकदमा दर्ज हुआ.
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