सिरसा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन खत्म हो चुका है. किसान घरों की तरफ रूख कर चुके है. इसी बीच अब किसानों पर दर्ज मुकद्दमे वापिस (Cases on farmers in haryana) लेने की तैयारी शुरू कर दी हैं. पुलिस अधीक्षक डॉ. अर्पित जैन ने इस संबंध में मीडिया से जानकारी साझा की है. डॉ. अर्पित जैन ने बताया कि पुलिस विभाग ने मुकदमें वापस लेने प्रक्रियाएं शुरू कर दी है.
बता दें कि दो दिन पहले ही हरियाणा सरकार ने किसान आंदोलन में किसानों पर दर्ज केस वापस लेने के लिए आदेश जारी कर (cases on farmers withdraw in haryana) दिए है. इस संबंध में राज्य के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिख दिया है. जिला उपायुक्तों को लिखे पत्र में राज्य में 9 सितंबर 2020 के बाद किसानों पर दर्ज केस वापस लिए जाने के आदेश जारी किए है. इसके साथ ही पत्र की कॉपी पुलिस विभाग को भी दी गई है.
हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने सदन में केस वापसी (case on farmers canceled in haryana) की प्रकिया की जानकारी दी थी. किसान आंदोलन के संबंध में विपक्ष ने शून्यकाल में प्रश्न भी किए थे. तब सीएम ने केस और मृतकों के बारे में जानकारी दी थी. हरियाणा में आंदोलन के दौरान कुल 276 केस दर्ज हुए थे, जिनमें चार हत्या-दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों से जुड़े हैं. हत्या व दुष्कर्म से जुड़े मामले वापस नहीं होंगे.
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मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बताया था कि 178 मामलों में चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी गई है, जबकि 57 अनट्रेस हैं. वर्तमान में आठ केसों की कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार कर ली गई है. इनमें से चार को कोर्ट में फाइल किया जा चुका. 29 केसों को रद्द करने की प्रक्रिया चल रही है. सीएम ने कहा था कि मृतकों को मुआवजा देने के लिए अभी किसानों से बातचीत चल रही है. सीआइडी की रिपोर्ट के मुताबिक 46 किसानों का पोस्टमार्टम हुआ है. बातचीत में किसानों द्वारा 73 मृतक किसानों (Cases on farmers in haryana) को हरियाणा का बताया गया है.
बहरहाल हरियाणा सरकार इन मुकदमों को वापस लेने के लिए होमवर्क पूरा कर चुकी है. आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया में हरियाणा सरकार ने सभी जिलों से आंदोलन की शुरुआत से लेकर अब तक दर्ज मुकदमों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. इस रिपोर्ट में पूछा गया है कि किस किस में सिर्फ एफआइआर दर्ज हुई है और किसमें चालान पेश किए जा चुके हैं.
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