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क्या आप जानते हैं आजादी से पहले हमारे देश की करंसी कैसी थी, अगर नहीं तो यहां देख लीजिए

हरियाणा में मोबाइल की दुकान चलाने वाले एक युवक ने भारत की आजादी से पहले इस्तेमाल होने वाले नोट और सिक्के आज तक संजोकर रखे हैं. इस युवक ने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों की करंसी भी अपने पास रखी है. वहीं चाईना से आए कुछ व्यापारी भी उनके इस शौक से खुश होकर उन्हें अपने देश की करंसी देकर जा चुके हैं.

Sirsa old currency collection
आजादी से पहले के पुराने नोट और सिक्के संजोए हुए है हरियाणा का ये युवक, विदेश से आए लोग भी कर चुके है तारिफ
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Published : Aug 20, 2021, 5:38 PM IST

सिरसा: कहते हैं शौक बड़ी चीज होती है. कोई खाने का शौकीन होता है, तो किसी को घूमने का शौक होता है. वहीं, कुछ लोगों को नाम कमाने का शौक होता है तो किसी को दौलत कमाने का. ऐसे ही एक शख्स के बारे में हम आज आपको बताने जा रहे हैं जिन्हें भारतीय करेंसी को इकट्ठा करने का शौक है. सिरसा के रहने वाले अजय धमीजा ने 1941 से लेकर नोट बंधी के बाद आई नई करेंसी तक अपने पास संजोकर रखी है.

अजय धमीजा की सिरसा के गौशाला रोड पर धमीजा मोबाइल के नाम से एक मोबाइल की दुकान है. अजय ने भारत के अलावा अन्य देशों की करेंसी भी अपने पास रखी हुई है. अजय ने ये सभी नोट और सिक्के अपनी दुकान में ही डिस्पले में लगा रखे हैं. जो हर आने-जाने वाले ग्राहकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुए हैं. जब इस विषय पर अजय से बात हुई तो उन्होंने बताया कि पिछले 20 सालों से मैं ये करेंसी एकत्रित कर रहा हूं.

आजादी से पहले के पुराने नोट और सिक्के संजोए हुए है हरियाणा का ये युवक, विदेश से आए लोग भी कर चुके है तारिफ

ये भी पढ़ें: हरियाणा के इस गांव में जन्मा 24 उंगलियों वाला बच्चा, आप भी देखें कुदरत का करिश्मा

उन्होंने कहा कि करेंसी एकत्रित करना मुझे बहुत पसंद है और धीरे-धीरे ये मेरा जुनून बन गया. अजय ने बताया कि वो 20 साल पहले पीसीओ चलाते थे. तब उन्होंने सबसे पहले 1 रूपये और 2 रूपये के नोट इकठ्ठे करने शुरू कर दिए. फिर धीरे-धीरे सिक्के और अन्य नोट इकट्ठे होने लग गए. अजय ने बताया कि फिर दुकान पर आने वाले ग्राहकों ने भी मेरा साथ दिया और अगर उनके पास पुरानी करेंसी होती तो वो मुझे लाकर दे देते थे. उन्होंने बताया कि पहले मैंने ये करेंसी मोबाइल काउंटर पर सजा रखी थी. फिर धीरे-धीरे जैसे करेंसी बढ़ती गई तो मैंने इसे अलग से दीवार पर डिस्प्ले कर दिया.

ये भी पढ़ें: नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल के बाद हरियाणा में बच्चों का जोश हाई, दोगुने हुए स्टेडियम में एडमिशन

अजय ने बताया कि 2018 में उनकी दुकान पर चाईना से वीवी मोबाइल कंपनी के कुछ अधिकारी आए थे. तब उन्होंने देखा की उनके देश की करेंसी भी मैंने डिस्प्ले में लगा रखी है जो की 100 साल पुरानी है. तो उन्होंने चीन की करेंसी का एक सिक्का मुझसा मांगा और बदले में मुझे 5, 20 और 1000 वाले चीन के तीन नोट दे दिए. तब उन अधिकारियों ने मेरी तारीफ करते हुए कहा कि हमें ये देखकर बेहद खुशी हुई की आपने अपने पास चाईना की पुरानी करेंसी भी संजोकर रखी हुई है.

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अजय ने कहा कि कई बार लोग हमारे पास इन पुरानी करेंसी को खरीदने के लिए भी आते हैं. लेकिन हम इन्हें बेचते नहीं क्योंकि ये करेंसी हमने व्यापार के लिए नहीं बल्कि आज की और आने वाली नई पीढ़ी को दिखाने के लिए रखी है. ताकि हम उन्हें दिखा सकें की हमारे देश की पुरानी करेंसी कभी इस तरह की हुआ करती थी. वहीं दुका पर आने वाले ग्राहकों ने कहा कि यहां आने के बाद हमें हमारे देश की पुरानी करेंसी देखने को मिलती है जिनके बारे में हमें आज किताबों में ही पढ़ाया जाता है.

सिरसा: कहते हैं शौक बड़ी चीज होती है. कोई खाने का शौकीन होता है, तो किसी को घूमने का शौक होता है. वहीं, कुछ लोगों को नाम कमाने का शौक होता है तो किसी को दौलत कमाने का. ऐसे ही एक शख्स के बारे में हम आज आपको बताने जा रहे हैं जिन्हें भारतीय करेंसी को इकट्ठा करने का शौक है. सिरसा के रहने वाले अजय धमीजा ने 1941 से लेकर नोट बंधी के बाद आई नई करेंसी तक अपने पास संजोकर रखी है.

अजय धमीजा की सिरसा के गौशाला रोड पर धमीजा मोबाइल के नाम से एक मोबाइल की दुकान है. अजय ने भारत के अलावा अन्य देशों की करेंसी भी अपने पास रखी हुई है. अजय ने ये सभी नोट और सिक्के अपनी दुकान में ही डिस्पले में लगा रखे हैं. जो हर आने-जाने वाले ग्राहकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुए हैं. जब इस विषय पर अजय से बात हुई तो उन्होंने बताया कि पिछले 20 सालों से मैं ये करेंसी एकत्रित कर रहा हूं.

आजादी से पहले के पुराने नोट और सिक्के संजोए हुए है हरियाणा का ये युवक, विदेश से आए लोग भी कर चुके है तारिफ

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उन्होंने कहा कि करेंसी एकत्रित करना मुझे बहुत पसंद है और धीरे-धीरे ये मेरा जुनून बन गया. अजय ने बताया कि वो 20 साल पहले पीसीओ चलाते थे. तब उन्होंने सबसे पहले 1 रूपये और 2 रूपये के नोट इकठ्ठे करने शुरू कर दिए. फिर धीरे-धीरे सिक्के और अन्य नोट इकट्ठे होने लग गए. अजय ने बताया कि फिर दुकान पर आने वाले ग्राहकों ने भी मेरा साथ दिया और अगर उनके पास पुरानी करेंसी होती तो वो मुझे लाकर दे देते थे. उन्होंने बताया कि पहले मैंने ये करेंसी मोबाइल काउंटर पर सजा रखी थी. फिर धीरे-धीरे जैसे करेंसी बढ़ती गई तो मैंने इसे अलग से दीवार पर डिस्प्ले कर दिया.

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अजय ने बताया कि 2018 में उनकी दुकान पर चाईना से वीवी मोबाइल कंपनी के कुछ अधिकारी आए थे. तब उन्होंने देखा की उनके देश की करेंसी भी मैंने डिस्प्ले में लगा रखी है जो की 100 साल पुरानी है. तो उन्होंने चीन की करेंसी का एक सिक्का मुझसा मांगा और बदले में मुझे 5, 20 और 1000 वाले चीन के तीन नोट दे दिए. तब उन अधिकारियों ने मेरी तारीफ करते हुए कहा कि हमें ये देखकर बेहद खुशी हुई की आपने अपने पास चाईना की पुरानी करेंसी भी संजोकर रखी हुई है.

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अजय ने कहा कि कई बार लोग हमारे पास इन पुरानी करेंसी को खरीदने के लिए भी आते हैं. लेकिन हम इन्हें बेचते नहीं क्योंकि ये करेंसी हमने व्यापार के लिए नहीं बल्कि आज की और आने वाली नई पीढ़ी को दिखाने के लिए रखी है. ताकि हम उन्हें दिखा सकें की हमारे देश की पुरानी करेंसी कभी इस तरह की हुआ करती थी. वहीं दुका पर आने वाले ग्राहकों ने कहा कि यहां आने के बाद हमें हमारे देश की पुरानी करेंसी देखने को मिलती है जिनके बारे में हमें आज किताबों में ही पढ़ाया जाता है.

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