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बंदर को घर पर रखने का मामला, वन विभाग ने दिया स्पष्ट जवाब

चंडीगढ़ में एक युवक ने अपने पास बंदर रखा था. जिसको गिरफ्तार किया गया. उसके बाद वो जमानत पर बाहर है. वहीं अब घर में जानवारों को रखने पर वन विभाग ने स्थिति स्पष्ट की है.

forest department on chandigarh monkey case
forest department on chandigarh monkey case
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Published : Aug 27, 2020, 7:43 PM IST

चंडीगढ़: एक टैटू आर्टिस्ट ने चंडीगढ़ में अपने पास बंदर रखा था. युवक उसके साथ की वीडियो और तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर करता था. जिसको लेकर जानवरों की संस्था पेटा की ओर से चंडीगढ़ वन विभाग को शिकायत दी गई और व न विभाग ने सख्त कार्रवाई की और टैटू आर्टिस्ट कैमज और उसके मैनेजर दीपक को हिरासत में लिया गया. इसके बाद उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया.

फिलहाल, ये मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है. जिसमें चंडीगढ़ की एसएसपी और वन विभाग को जवाब देना है, लेकिन वन विभाग का कहना है कि जंगली जानवरों को आप अपने पास नहीं रख सकते.

ये है पूरा मामला

आईएफएस अधिकारी देवेंद्र दिलाई ने बताया कि जुलाई महीने में उनके पास एक शिकायत आई कि किसी युवक ने बंदर को अपने घर में रखा हुआ है. जिसे देखने के लिए जब वन विभाग की टीम गई तो बंदर वहां नहीं था, लेकिन उनसे पूछताछ जरूर की गई जिसमें उन्होंने माना कि उनके पास बंदर था, लेकिन मेनका गांधी का फोन आने के बाद उन्होंने इस बंदर को छतबीड़ जू में छोड़ दिया.

बंदर को घर पर रखने का मामला, वन विभाग ने दिया स्पष्ट जवाब

देवेंद्र दिलाई ने कहा कि भले ही युवक बंदर को अच्छा खाना देते हो. अच्छे से उनको रखते हों, लेकिन उनके पास किसी भी जानवर को रखने का कोई सर्टिफिकेट नहीं था. अगर आपके पास कोई जख्मी जानवर भी मिले तो उसकी जानकारी आपको वन विभाग को देनी होती है.

ये भी पढ़ें- क्या सीवरेज के गंदे पानी से फैलता है कोरोना ? जानिए डॉक्टर्स की राय

इसके अलावा, उन्होंने ये भी कहा कि लोगों को ये जानना जरूरी है कि अगर वो किसी जंगली जीव को अपने घर पर रखना चाहते हैं तो इसकी एवज में कानून नहीं तोड़ सकते. आप वन विभाग की वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं कि कौन-कौन से जानवरों को घर में रखा जा सकता है और अगर इसपर अमल नहीं किया जाता तो 3 साल की सजा का प्रावधान कानून के तहत है.

वहीं टैटू आर्टिस्ट कैमज द्वारा कहा गया था क्यों नहीं 24 घंटों से ज्यादा हिरासत में रखा गया. जिस पर देवेंद्र दिलाई ने कहा कि इससे साफ जाहिर है कि कानून की समझ उन्हें भी है कि 24 घंटों से ज्यादा किसी को भी हिरासत में नहीं रखा जा सकता. उसे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के पास पेश करना होता है. ऐसे में हमने ड्यूटी मजिस्ट्रेट के पास पेश किया जहां से उन्हें जमानत दी गई.

चंडीगढ़: एक टैटू आर्टिस्ट ने चंडीगढ़ में अपने पास बंदर रखा था. युवक उसके साथ की वीडियो और तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर करता था. जिसको लेकर जानवरों की संस्था पेटा की ओर से चंडीगढ़ वन विभाग को शिकायत दी गई और व न विभाग ने सख्त कार्रवाई की और टैटू आर्टिस्ट कैमज और उसके मैनेजर दीपक को हिरासत में लिया गया. इसके बाद उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया.

फिलहाल, ये मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है. जिसमें चंडीगढ़ की एसएसपी और वन विभाग को जवाब देना है, लेकिन वन विभाग का कहना है कि जंगली जानवरों को आप अपने पास नहीं रख सकते.

ये है पूरा मामला

आईएफएस अधिकारी देवेंद्र दिलाई ने बताया कि जुलाई महीने में उनके पास एक शिकायत आई कि किसी युवक ने बंदर को अपने घर में रखा हुआ है. जिसे देखने के लिए जब वन विभाग की टीम गई तो बंदर वहां नहीं था, लेकिन उनसे पूछताछ जरूर की गई जिसमें उन्होंने माना कि उनके पास बंदर था, लेकिन मेनका गांधी का फोन आने के बाद उन्होंने इस बंदर को छतबीड़ जू में छोड़ दिया.

बंदर को घर पर रखने का मामला, वन विभाग ने दिया स्पष्ट जवाब

देवेंद्र दिलाई ने कहा कि भले ही युवक बंदर को अच्छा खाना देते हो. अच्छे से उनको रखते हों, लेकिन उनके पास किसी भी जानवर को रखने का कोई सर्टिफिकेट नहीं था. अगर आपके पास कोई जख्मी जानवर भी मिले तो उसकी जानकारी आपको वन विभाग को देनी होती है.

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इसके अलावा, उन्होंने ये भी कहा कि लोगों को ये जानना जरूरी है कि अगर वो किसी जंगली जीव को अपने घर पर रखना चाहते हैं तो इसकी एवज में कानून नहीं तोड़ सकते. आप वन विभाग की वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं कि कौन-कौन से जानवरों को घर में रखा जा सकता है और अगर इसपर अमल नहीं किया जाता तो 3 साल की सजा का प्रावधान कानून के तहत है.

वहीं टैटू आर्टिस्ट कैमज द्वारा कहा गया था क्यों नहीं 24 घंटों से ज्यादा हिरासत में रखा गया. जिस पर देवेंद्र दिलाई ने कहा कि इससे साफ जाहिर है कि कानून की समझ उन्हें भी है कि 24 घंटों से ज्यादा किसी को भी हिरासत में नहीं रखा जा सकता. उसे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के पास पेश करना होता है. ऐसे में हमने ड्यूटी मजिस्ट्रेट के पास पेश किया जहां से उन्हें जमानत दी गई.

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