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कौड़ियों के भाव फसल बेचने को मजबूर किसान, आखिर कौन सुनेगा पुकार? देखिए रिपोर्ट

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Published : Nov 14, 2019, 5:18 PM IST

Updated : Nov 15, 2019, 11:08 AM IST

मुसीबत से जूझ रही मंडियों की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम सिरसा अनाज मंडी के दौरे पर निकली. ईटीवी भारत से बातचीत में सिरसा के किसानों ने मंडी को लेकर कई बड़े खुलासे किए. किसानों ने सरकार के एमएसपी को लेकर सवाल उठाए और कई आरोप भी लगाए.

सिरसा के किसानों ने रखी अपनी समस्याएं

सिरसाः हरियाणा के किसानों को अपनी धान की फसल की बिक्री को लेकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. धान की बिक्री को लेकर किसान पिछले कई दिनों से मंडियों में ठहरे हुए हैं, लेकिन उनका धान नहीं बिक रहा है. वहीं सिरसा के किसानों का कहना है कि भले ही धान की बिक्री हो रही हो, लेकिन सरकार किसानों को बर्बाद करने का काम कर रही है क्योंकि जो धान पिछले साल 3 हजार से ऊपर के रेट में बिक रहा था इस साल वही धान 2300 रु. तक के दाम पर सिमटकर रह गया है.

किसानों के बीच ईटीवी भारत

किसानों की समस्याओं और सरकार के दावों का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम सिरसा अनाज मंडी में किसानों के बीच पहुंची. इस दौरान हमने किसानों से फसल बिक्री के दौरान आने वाली समस्याओं के बारे में जाना. मंडी में मौजूद किसानों ने मंडी की बदहाली के बारे में बताते हुए कहा कि यहां किसी प्रकार की कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है.

ईटीवी भारत पर सिरसा के किसानों ने रखी अपनी समस्याएं.

खुले आसमान के नीचे पड़ा धान

किसानों ने कहा कि हमारी फसल कई दिनों तक यहां बाहर खुले आसमान के नीचे पड़ी रहती है और प्रशासन उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता. किसानों का कहना है कि अनाज मंडी में शेड की भी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में अगर बारिश, तूफान जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो उनकी सारी फसल बर्बाद हो जाएगी.

sirsa grain market
मंडी में लगा धान की बोरियों का ढेर.

धान बिक्री में अधिकारियों की लेटलतीफी

समय पर धान की बिक्री को लेकर सिरसा के किसानों ने कहा कि धान की तौल होने के अगले दिन उसे उठाया जाता है. वहीं मंडी में कुछ अधिकारी धान को गीला कहकर फसल नहीं खरीदते. किसानों का आरोप है कि मंडी में उन्हें कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती और ना ही सरकारी अधिकारी हमारी सुध लेते हैं. किसानों ने कहा कि ऐसे में बहाना बनाकर उनकी फसल को नहीं खरीदा जाता, जिससे उन्हें काफी नुकसान होता है. किसानों ने बताया कि अपनी फसलों को बेचने के लिए वे लोग कई-कई दिनों से मंडी में ठहरे हुए हैं.

sirsa grain market
अपनी फसलों की देखरेख में किसान परेशान.
इस रेट में नहीं निकलता खर्च- किसान

सिरसा के किसानों ने कहा कि इस बार उन पर दोहरी मार पड़ रही है. एक ओर जहां इस बार फसल के उत्पादन में पिछली बार से 5 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ में कमी आई है तो वहीं दूसरी ओर धान का पिछले साल के मुकाबले 1200 रुपये कम दाम मिल रहा है.

ये भी पढ़ेंः कुरुक्षेत्र मंडी में कई-कई दिन से पड़े किसान फिर नहीं मिल रहे उचित दाम, देखें रिपोर्ट

किसानों ने बताया कि पिछले कई सालों से इस धान की कीमत बाजार में 3400 रुपये से लेकर 3500 रुपये क्विंटल मिल रही थी लेकिन मंडियों में किसानों को इस बार मात्र 2200 रुपये से लेकर 2400 तक ही दाम मिल रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस रेट से तो उनका खर्चा भी नहीं निकला. जाहिर है कि इस निराशाजनक रेट को लेकर भी किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

sirsa grain market
खुले आसमान के नीचे पड़ा धान.

विधानसभा चुनाव में किसान बना चुनावी स्टंट!

गौरतलब है कि हरियाणा की नई नवेली गठबंधन की सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों के मुद्दे को जोरों शोरों से उठाया था. किसानों को आश्वासन दिया गया था कि सरकार किसानों के एक-एक दाने की खरीद करेगी. यही नहीं विपक्ष ने भी किसानों की समस्या को अहम मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश की थी, लेकिन सिरसा के किसानों की बातों ने सरकार के तमाम दावों को झूठा और चुनावी स्टंट साबित कर दिया. फिलहाल तो देखने वाली बात ये होगी कि क्या सरकार किसानों से किए वादों को पूरा करने की ओर ध्यान देगी या सिर्फ किसानों पर पराली जलाने पर केस दर्ज कराने पर.

सिरसाः हरियाणा के किसानों को अपनी धान की फसल की बिक्री को लेकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. धान की बिक्री को लेकर किसान पिछले कई दिनों से मंडियों में ठहरे हुए हैं, लेकिन उनका धान नहीं बिक रहा है. वहीं सिरसा के किसानों का कहना है कि भले ही धान की बिक्री हो रही हो, लेकिन सरकार किसानों को बर्बाद करने का काम कर रही है क्योंकि जो धान पिछले साल 3 हजार से ऊपर के रेट में बिक रहा था इस साल वही धान 2300 रु. तक के दाम पर सिमटकर रह गया है.

किसानों के बीच ईटीवी भारत

किसानों की समस्याओं और सरकार के दावों का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम सिरसा अनाज मंडी में किसानों के बीच पहुंची. इस दौरान हमने किसानों से फसल बिक्री के दौरान आने वाली समस्याओं के बारे में जाना. मंडी में मौजूद किसानों ने मंडी की बदहाली के बारे में बताते हुए कहा कि यहां किसी प्रकार की कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है.

ईटीवी भारत पर सिरसा के किसानों ने रखी अपनी समस्याएं.

खुले आसमान के नीचे पड़ा धान

किसानों ने कहा कि हमारी फसल कई दिनों तक यहां बाहर खुले आसमान के नीचे पड़ी रहती है और प्रशासन उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता. किसानों का कहना है कि अनाज मंडी में शेड की भी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में अगर बारिश, तूफान जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो उनकी सारी फसल बर्बाद हो जाएगी.

sirsa grain market
मंडी में लगा धान की बोरियों का ढेर.

धान बिक्री में अधिकारियों की लेटलतीफी

समय पर धान की बिक्री को लेकर सिरसा के किसानों ने कहा कि धान की तौल होने के अगले दिन उसे उठाया जाता है. वहीं मंडी में कुछ अधिकारी धान को गीला कहकर फसल नहीं खरीदते. किसानों का आरोप है कि मंडी में उन्हें कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती और ना ही सरकारी अधिकारी हमारी सुध लेते हैं. किसानों ने कहा कि ऐसे में बहाना बनाकर उनकी फसल को नहीं खरीदा जाता, जिससे उन्हें काफी नुकसान होता है. किसानों ने बताया कि अपनी फसलों को बेचने के लिए वे लोग कई-कई दिनों से मंडी में ठहरे हुए हैं.

sirsa grain market
अपनी फसलों की देखरेख में किसान परेशान.
इस रेट में नहीं निकलता खर्च- किसान

सिरसा के किसानों ने कहा कि इस बार उन पर दोहरी मार पड़ रही है. एक ओर जहां इस बार फसल के उत्पादन में पिछली बार से 5 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ में कमी आई है तो वहीं दूसरी ओर धान का पिछले साल के मुकाबले 1200 रुपये कम दाम मिल रहा है.

ये भी पढ़ेंः कुरुक्षेत्र मंडी में कई-कई दिन से पड़े किसान फिर नहीं मिल रहे उचित दाम, देखें रिपोर्ट

किसानों ने बताया कि पिछले कई सालों से इस धान की कीमत बाजार में 3400 रुपये से लेकर 3500 रुपये क्विंटल मिल रही थी लेकिन मंडियों में किसानों को इस बार मात्र 2200 रुपये से लेकर 2400 तक ही दाम मिल रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस रेट से तो उनका खर्चा भी नहीं निकला. जाहिर है कि इस निराशाजनक रेट को लेकर भी किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

sirsa grain market
खुले आसमान के नीचे पड़ा धान.

विधानसभा चुनाव में किसान बना चुनावी स्टंट!

गौरतलब है कि हरियाणा की नई नवेली गठबंधन की सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों के मुद्दे को जोरों शोरों से उठाया था. किसानों को आश्वासन दिया गया था कि सरकार किसानों के एक-एक दाने की खरीद करेगी. यही नहीं विपक्ष ने भी किसानों की समस्या को अहम मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश की थी, लेकिन सिरसा के किसानों की बातों ने सरकार के तमाम दावों को झूठा और चुनावी स्टंट साबित कर दिया. फिलहाल तो देखने वाली बात ये होगी कि क्या सरकार किसानों से किए वादों को पूरा करने की ओर ध्यान देगी या सिर्फ किसानों पर पराली जलाने पर केस दर्ज कराने पर.

Intro:एंकर - हरियाणा के किसानों को धान की फसल की बिक्री को लेकर काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. धान की बिक्री को लेकर किसान पिछले कई-कई दिनों से मंडियों में पड़े हुए हैं लेकिन उनका धान नहीं बिक रहा है.
इसका जायजा लेने के ईटीवी भारत की टीम सिरसा की अनाज मंडी पहुंची और किसानों से जानने की कोशिश की कि क्या उनको मंडी में फसल का उचित दाम मिल रहा है और प्रशासन की ओर से उनको क्या-क्या सुविधाएं दी जा रही हैं। और उन्हें अपनी फसल को बेचने में किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

Body:वीओ - मंडी मौजूद किसानों ने मंडी की बदहाली के बारे में बताते हुए कहा कि यहां किसी प्रकार की कोई सुविधा मुहैया नही कराई गई है। हमारी फसल कई कई दिनों तक यहां बाहर खुले आसमान में पड़ी रहती है। और प्रशासन उसकी तरफ कोई ध्यान नही देता । वहीं टाइम पर बिक्री को लेकर किसानों का कहना है धान अगर आज तुलती है तो उसे अगले दिन उठाया जाता है। कुछ धान को गीला है कहकर फसल नहीं खरीदते । किसानों ने कहा कि इस बार उनपर दोहरी मार पड़ रही है , जहाँ इस बार फसल के उत्पादन में पिछली बार से 5 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ में कमी आयी है तो वहीं दूसरी और पिछली बार से इस बार धान 1000 से 1200 रुपए कम दाम मिल रहा है। पिछले कई सालों से इस धान की कीमत बाजार में 34 सौ रुपये से लेकर 35 सौ रुपये क्विंटल मिल रही थी लेकिन मंडियों में किसानों को इस बार मात्र 22 सौ रुपये से लेकर 24 सौ तक ही दाम मिल रहे हैं. इस निराशाजनक रेट को लेकर भी किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

बाइट किसान
Conclusion:
Last Updated : Nov 15, 2019, 11:08 AM IST
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